अंबरीश कुमार
नई दिल्ली .प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब दिवंगत नेताओं से लड़ रहें है .नेहरु और इंदिरा गांधी से तो वे काफी पहले से लड़ रहे थे .चुनाव के चार पांच चरण के साथ ही वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर हमलावर हो गए हैं .पता नहीं कहां से खोज लाए कि राजीव गांधी ने नए साल का जश्न नौसेना के लड़ाकू पोत पर मनाया .वैसे भी इतिहास भूगोल को लेकर मोदी की खोज और शोध दोनों काफी चर्चा में रहते हैं .पर इस चुनाव में सेना ,युद्ध और देशप्रेम की हवा बहाने वाले मोदी ने देश को यह जानकारी भी दी कि युद्ध लड़ने वाले पोत पर राजीव गांधी के विदेशी परिजन जश्न मना रहे थे .एडमिरल रामदास ने इसे चंडूखाने जैसी गप बताया पर आईटी सेल सामने आ गया .आईटी सेल की यही मुख्य जिम्मेदारी भी रहती है कि अफवाह को सच में बदल दे .खैर पहले लक्ष्यद्वीप के दो द्वीप के बारे में जानकारी दे देता हूं क्योंकि इन द्वीप पर राजीव गांधी के जाने के कुछ समय बाद मुझे भी ठहरने का मौका मिला .
तब लक्ष्यद्वीप के एक द्वीप बंगरम को छोड़ किसी भी द्वीप पर आम भारतीय या विदेशी सैलानी को रुकने की इजाजत नहीं होती थी . कावरेती जो राजधानी है उसके गहरे समुद्र तक सैलानियों को ले जाने वाला जहाज जाता है और सैलानी दिनभर घूम कर मोटर बोट से वापस जहाज पर आ जाते थे .हमने अपने परिजन अफसर के जरिए इन द्वीप पर रुकने का परमिट लिया जो दस दिन का था .कावरेती के बात हेलीकाप्टर से अगाती द्वीप गए और एक दिन अगाती द्वीप के डाक बंगले में रुक कर बंगरम गए .बंगरम द्वीप बहुत छोटा सा है और तब कुल आठ दस काटेज ही थे जिसमे दो लक्ष्यद्वीप प्रशासन के अधीन था बाक़ी कैसिनो होटल समूह के पास .प्रशासन ने राशन ,पानी और कुक के साथ एक सरकारी मोटर बोट से हमें वहां भेजा .वहां सबकुछ बहार से ही जाता भी है .यह हाल सभी द्वीप का होता है जहां सब्जी भाजी राशन ,पानी और फल आदि बड़े जहाज से हफ्ते में दो बार जाता है .खासबात यह है कि लैगून वाले किसी भी द्वीप के आसपास कोई बड़ा जहाज नहीं जा सकता .इसलिए कोई युद्ध पोत सामने खड़ा हो यह कल्पना की बात हो सकती है .ऐसी ही कल्पना वाले तथ्य के आधार पर मोदी ने राजीव गांधी पर हमला भी किया है .और ज्यादातर अख़बारों की स्टोरी की डेट लाइन देखें तो वह कोच्ची या दिल्ली की है .ज्यादातर तथ्य ऐसे हैं जो बिना गए ही कोई लिख भी सकता है .राजीव गांधी एक सरकारी कार्यक्रम में कावरेती गए .वे नौसेना के युद्ध पोत पर भी गए .पर जब यह कार्यक्रम खत्म हो गया तो बंगरम द्वीप गए .नए साल का जश्न मनाने .और नए साल जश्न में चना मुरमुरा लेकर कोई जाता भी नहीं है . उस द्वीप पर बीस पच्चीस से ज्यादा लोगों के रुकने की व्यवस्था भी नहीं है .और जाने का साधन भी सिर्फ छोटी मोटर बोट .इसलिए कोई बड़ा क्रूज या युद्ध पोत लेकर जाना भी संभव नहीं है .युद्ध पोत दूर कहीं गहरे समुद्र में निगरानी कर रहा हो यह सुरक्षा का मामला है जश्न का नहीं .
इसलिए मोदी ने जिस तरह सेना को बीच में घसीटा है वह एक मनगढ़ंत कहानी के सिवा कुछ भी नहीं .खासकर जब एडमिरल रामदास ने सब साफ़ कर दिया हो तो कुछ बचा भी नहीं है .दूसरे कोई भी प्रधानमंत्री हो वह अपने लिए भी कुछ समय निकालता है .अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री रहते हुए गोवा गए तो सूर्यास्त की खूबसूरत फोटो एजंसी ने जारी की .वाजपेयी समुद्र को निहार रहे थे और उनके सामने छोटी मेज पर ग्लास और समुद्री व्यंजन रखे थे .हमने जनसत्ता के रायपुर संस्करण में यह फोटो दी भी पर ज्यादातर ने नहीं दी .यह प्रसंग इसलिए ताकि पता रहे कि प्रधानमंत्री अवकाश भी मनाते हैं .चुनाव के चक्कर में मोदी अब जिस तरह के हमले दिवंगत नेताओं पर कर रहें हैं उससे उनकी छवि भी दरक रही है .टाइम पत्रिका का यह कवर देखें जिसके बाद कुछ कहने को नहीं बचता .
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