काशी विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम चंचल का एक खत
डीयर कुलपति
आप यकीनन सौभाग्यशाली है जो इस ओहदे पर बड़े इत्मीनान से , बेबाधा तुगलकी ऐश कर रहे हैं . इस विश्व विद्यालय से जुड़े , शिखर तक गए नामों की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिसपर विश्व विद्यालय ही नही देश नाज करता है . इसका रचना और संघर्ष दोनो, तवारीख के चमकदार पन्नों से भरा पड़ा है . यहां का कुलपति किसी भी प्रधानमंत्री से ऊपर रहा है . दुर्भाग्य से आपके रहनुमाई में तैयार विश्वविद्यालय की साइट पर वह विभाग ही मिटा दिया गया है , वह है छात्र संघ का इतिहास . एक वाक्या है 52 ,53 का शायद . छात्रों के चुने सदर रहे नौटियाल साहब और कुलपति थे आचार्य नरेन्द्रदेव . विश्व विद्यालय में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू आ रहे थे . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे गोविंद वल्लभ पंत पूरे मंत्रिमंडल के साथ परिसर में मौजूद थे . मंच पर केवल तीन कुर्सियां थी . एक पर नौटियाल दूसरे पर आचार्य नरेन्द्रदेव और तीसरे पर पंडित नेहरू . गोविंद वल्लभ पंत वगैरह भीड़ में बैठे थे . इसी मंच ने इतिहास दिया था , पंडित नेहरू ने सुना नौटियाल जवाब दे रहे थे , देश के प्रधानमंत्री को - प्रधानमंत्री जी ! आप को प्रधान मंत्री चुनने वाले अपढ़ भी रहे होंगे लेकिन हमें जिन लोंगो ने चुना है उसमें ग्रेजुएट के नीचे कोई नही है . ताली बजानेवालों में पंडित नेहरू सबसे आगे थे . युवाओं के इस जज्बे को पंडित नेहरू ने नौटियाल की पीठ ठोंक कर जिंदा रहने की कामना की थी . आजादी के पहले सत्ता हुकूमत के खिलाफ बेखौफ खड़ा होने का जज्बा आजादी के बाद भी मुतवातिर चलता रहा है जिसे आपने विश्वविद्यालय का इतिहास बताते समय दबा ले गए हैं . खोलिये साइट में छात्र संघ का इतिहास . आज अगर यह छात्र संघ होता तो आप जैसे कुलपति आचार्य की परंपरा हटा कर हिज मास्टर्स वायस बने अमीबा की तरह न घिसटते . आज आप जिस तरह धनपशुओं के ' बीबियों का तकिया ' लिए पीछे पीछे घूम रहे हैं , यह जेहन में ही नही आता . जनाबे आली ! यह विश्वविद्यालय अनेक विदुषी महिलाओं के ज्ञान से सींचा गया है यहां सुचेता कृपलानी रही हैं उसी समाजशास्त्र विभाग में जहां आप 'सोने की बीवी ' लाने का जुगत कर रहे हैं . अब यहां गहनों की तिजोरी का हाट लगेगा और कहा जाएगा यही नकबेसर हाट की शोभा बनेगी और नारा लगेगा - महिलाओं का सशक्तिकरण का साध्य और साधन दोनो है , अदानियों अम्बानियों , मित्तालों के बीवियों के बाजूबन्द ? यह विश्व विद्यालय बेजोड़ है भटनागर साब ! हर दीवार जिंदा है , जर्रा जर्रा कहकहा लगाता है . जब आप अपने भसके विभागाध्यक्षों के बेतुके बुलाये गए बेगमों के नकबेसर का प्रदर्शन कर रहे होंगे तो संगीत विभाग से वायलिन पर एक महान शख्सियत यन राजमा का फाग उठेगा . नकबेसर कागा लेइ भागा , मोर सैयां अभागा ना जागा ..
कुलपति जी ! इस विषय पर कल हमे दिल्ली से एक पत्रकार मित्र ने बताया कि आपका बयान है, 'हमे इसकी जानकारी नही है कि किसने यह प्रस्ताव भेजा ? ' कुलपति जी !आपका यह बयान तो आपकी नालायकी का सबूत है . आपकी जानकारी के बगैर कल एक विभाग अपने आपको बेच कर सर्कस कम्पनी खोल ले और आप फरमाएं हमे तो मालूम ही नही . छात्रों से अपील . आप कितना भी कमजोर बना दिये जाए , हमारे जैसे लोग आप पर ही टिके रहेंगे . आप इस नई तमीज पर चिंता जाहिर करिये .
चंचल
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