इन पार्षदों में कौन कवि, लेखक और साहित्यकार है

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इन पार्षदों में कौन कवि, लेखक और साहित्यकार है

आलोक कुमार 

पटना.बिहार के महामहिम राज्यपाल फागू चौधरी की तरफ से मनोनीत 12 विधान पार्षदों के बीच में से खोजा रहा है कि इनमें कौन कवि, लेखक ,साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं विशिष्ठ कला के क्षेत्र मे ख्याति अर्जित किये हैं.यह जांच का विषय बन गया है.सत्ताधारी ही अपनी सहुलियत से ही विधान पार्षदों का नामों की सूची महामहिम के पास अग्रसारित करता है.6 महीने के अंदर विधानसभा या फिर विधान परिषद सदस्य के लिए चुना जाना जरूरी  

बिना विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य चुने हुए केवल छह महीने तक ही कोई मंत्री पद पर बना रह सकता है. ऐसे में उसे 6 महीने के अंदर विधानसभा या फिर विधान परिषद सदस्य के लिए चुना जाना जरूरी है. बिहार में विधान परिषद और विधानसभा दोनों ही विकल्प हैं. ऐसे में इन दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य होना लाजमी है. बिहार में 12 राज्यपाल कोटे की 12 विधान परिषद की सीटें रिक्त थी. संविधान के जानकार सुभाष कश्यप के मुताबिक संविधान का आर्टिकल 171 राज्य विधायिका की संरचना के बारे में बताता है. संविधान के आर्टिकल 171(3) (e) के मुताबिक़, राज्यपाल को विधान परिषद के कुछ सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होता है. आर्टिकल 171(5) के मुताबिक ऐसे किसी भी शख़्स जिनके पास साहित्य, कला, विज्ञान, सहभागिता आंदोलन या सामाजिक कार्यों में विशेष ज्ञान हो या इनका ज़मीनी अनुभव हो, तो उसे राज्यपाल विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर सकते हैं.  

अशोक चौधरी मार्च 2018 में कांग्रेस को छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए थे 

जेडीयू के बिहार के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है. अशोक चौधरी ने मार्च 2018 में कांग्रेस को छोड़कर जेडीयू का दामन थामा था, जिसके बाद नीतीश ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह दी थी. वो एमएलसी थे और कार्यकाल 6 मई 2020 को पूरा हो गया था, जिसके चलते चुनाव नतीजे से पहले उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब दोबारा से नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी. 

उपेन्द्र कुशवाहा की 'घर वापसी'  

उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू को 'घर वापसी' कहते हैं.सबसे बड़ा नाम जो इस लिस्ट में शामिल है वह है उपेन्द्र कुशवाहा का. उपेन्द्र कुशवाहा की 'घर वापसी' हुई. जदयू में उनकी एंट्री हुई और तीन दिनों के अंदर वह विधान परिषद सदस्य के लिए मनोनीत भी हो गए.जदयू में शामिल होने के बाद बुधवार को उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद सदस्य के रूप में शपथ ली. इसके साथ ही लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहने का अनोखा रिकॉर्ड उनके नाम हो गया है. जिसके लिए उन्होंने सीएम नीतीश कुमार का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि तीनों सदनों के अनुभव का लाभ उन्हें विधान परिषद में मिलेगा.पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं.ऐसा करने वाले उपेंद्र कुशवाहा तीसरे शख्स हो गये हैं. 

राज्यपाल कोटे से मनोनीत 12 सदस्यों ने विधान परिषद में शपथ ग्रहण कर लिया है. जदयू कोटो से 6 और बीजेपी कोटे से 6 सदस्यों को मनोनीत किया गया है. 
अशोक चौधरी- जेडीयू  
उपेन्द्र कुशवाहा 
प्रो.(डॉ.) राम वचन राम 
संजय कुमार सिंह 
ललन कुमार सर्राफ 
प्रो..(डॉ.) राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता 

जनक राम- बीजेपी -  
संजय सिंह 
देवेश कुमार 
प्रमोद कुमार 
घनश्याम ठाकुर 
निवेदिता सिंह 

'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में जो काम बाकी है, उन्हें पूरा करेंगे. जदयू में शामिल होने के लिए मैंने कोई शर्त नहीं रखी थी. मुख्यमंत्री का जो भी आदेश होगा उसे पूरा करेंगे''- उपेंद्र कुशवाहा, जदयू एमएलसी 

बता दें कि पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी रालोसपा समेत पिछले दिनों जदयू में शामिल हो गए थे. जदयू में शामिल होते ही नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय संसदीय दल का अध्यक्ष बना दिया और आज उपेंद्र कुशवाहा ने एमएलसी के रूप में शपथ ली है. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान परिषद के कार्यकारी सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह जी के कक्ष में विधान परिषद के मनोनीत नये सदस्यों के शपथ ग्रहण के पश्चात उन्हें बधाई एवं शुभकामना देते हुये. 

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