दिलीप खान
शृंगी नंदन यादव बिहार से छह महीने पहले ग़ाज़ियाबाद आया था. इंजीनियरिंग का कोर्स किया हुआ है. नौकरी थी. लॉकडाउन में बेरोज़गार हो गया. इसी दौरान नफ़रत भरे हिंसात्मक भाषण देने वाले नरसिंहानंद सरस्वती का चेला बन गया. बेरोज़गार भारत में किसी भी भक्त के पास कोई ऐसा काम हीं है जो ‘हिंदू धर्म की रक्षा करने’ से बेहतर हो.
इंडियन एक्सप्रेस में छपे बयान में मंदिर प्रबंधक समिति के सदस्य अनिल यादव ने कहा है कि शृंगी ग़ाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में 6 महीने से ‘आईटी सेल’ संभाल रहा था. जी हां, आईटी सेल! ऐसे छोटे मंदिरों में आईटी सेल की संकल्पना और इस पदावली का इस्तेमाल चौकाता है. क्या कंप्यूटर मॉनिटर करने को ही मंदिर से जुड़े लोग ‘आईटी सेल’ बता रहे हैं या फिर नरसिंहानंद सरस्वती के नफ़रत भरे भाषणों का प्रचार और हिंसक गतिविधियां भी इस वर्क प्रोफ़ाइल का हिस्सा है?
शृंगी नंदन यादव ने जिस तरह एक नाबालिग को सिर्फ़ अलग धर्म का होने की वजह से पीटा और उसका वीडियो बनाया, उससे लगता है कि वह इस नफ़रत का प्रसार करने का इरादा रखता था. मंदिर कमेटी का बयान भी इसको पुष्ट करता है. कमेटी ने कहा है कि वह बिना शर्त शृंगी यादव के पक्ष में खड़ी है और उसको मुफ़्त क़ानूनी सहायता मुहैया कराएगी.
उसके वीडियो को जिस इंस्टाग्राम एकाउंट पर सबसे पहले शेयर किया गया, उसमें एक जगह शीर्षक था- मुल्लों की पिटाई. एकाउंट का नाम है- हिंदू एकता संघ. अब डिएक्टिवेट कर दिया गया है. जल्द ही संघ या भाजपा का कोई नेता शंभुलाल रैगर की तरह उसे भी मंच पर जगह देगा.साभार फेसबुक वाल से
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments