आलोक कुमार
पटना.बिहार में अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, किंतु महाराष्ट्र, तेलंगाना और गोवा की तुलना में बिहार में शराब की खपत आज भी ज्यादा है. आंकड़े बताते हैं कि बिहार के शहरी क्षेत्र की महिलाएं भी शराब की शौकीन हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस), 2020 की रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते है. महाराष्ट्र में शराब प्रतिबंधित नहीं है लेकिन शराब पीने वाले पुरुषों की तादाद 13.9 फीसदी ही है. अगर शहर और गांव के परिप्रेक्ष्य में देखें तो बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
इसी तरह महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्र में 13 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 14.7 फीसदी आबादी शराब का सेवन करती है. महिलाओं के मामले में बिहार के शहरी इलाके की 0.5 प्रतिशत व ग्रामीण क्षेत्रों की 0.4 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं. महाराष्ट्र के लिए यह आंकड़ा शहरी इलाके में 0.3 प्रतिशत और ग्रामीणों में 0.5 फीसदी है. शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब उपलब्ध है. यह बात दीगर है कि लोगों को दो या तीन गुनी कीमत चुकानी पड़ती है चाहे शराब देशी हो या विदेशी.
बिहार में शराबबंदी के बावजूद यहां राज्य में धड़ल्ले से शराब की बिक्री की जा रही है.बिहार में खुलेआम शराब की होम डिलिवरी भी की जा रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्य में शराबबंदी और उसके बाद कानून व्यवस्था के दावे को फेल बताया है.
गौरतलब हो कि शराब की होम डिलीवरी के आरोप पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि जो लोग चोरी छिपे शराब पी ले रहे हैं वही शराबबंदी फेल होने का प्रचार कर रहे हैं। शराब की होम डिलीवरी की बात वही लोग कर रहे हैं जो इसे खूब पी रहे हैं.
बिहार विधानसभा में बुधवार को राज्य में शराबबंदी को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. राजद विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है. राजद विधायकों ने कहा कि मीडिया में यह खबर चल रही है कि बिहार में समानांतर शराब की सप्लाई हो रही है.
शराबबंदी कानून के असफल होने को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा जमकर हंगामा किया गया.विपक्षी सदस्यों ने यहां तक आरोप लगाया कि राज्य में कई नेता और अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें बिना शराब पीए नींद तक नहीं आती.विधानसभा में बुधवार की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने शराबबंदी कानून को लेकर सरकार को घेरा. विपक्षी पार्टी राजद और कांग्रेस के सदस्यों ने वेल में आकर हंगामा किया.
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा विपक्षी सदस्यों को बार-बार अपनी सीट पर जाने का आग्रह करते रहे, लेकिन हंगामा होता रहा.राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने सरकार के लोगों पर शराब बेचवाने का आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि राज्य में कई नेता और अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें बिना शराब पीए नींद तक नहीं आती.
कांगेस नेता अजीत शर्मा ने कहा कि यदि राज्य सरकार शराबबंदी को पूर्ण रूप से लागू नहीं कर पा रही है तो शराब के दाम तीन गुना बढ़ाकर इसकी बिक्री शुरू कराए. अवैध शराब से बिहार का पैसा दूसरे राज्यों में जा रहा है. इसको लेकर जेडीयू विधान पार्षद गुलाम गौस ने पलटवार किया है और कहा है कि विपक्ष शराबबंदी को लेकर गलत बयानबाजी कर रहा है. जबकि राज्य की जनता को इससे काफी फायदा है. आने वाले पीढ़ी को इससे काफी फायदा होगा. हमारी सरकार इसको लेकर संवेदनशील है.
वहीं शराबबंदी कानून को पूरी सख्ती से लागू करने और अवैध रूप से बिक रही शराब मामले में सरकारी पदाधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने विधानसभा के वेल में जमकर प्रदर्शन किया. आरजेडी ने उत्पाद मंत्री से इस्तीफे की मांग की. जिसपर विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सदन सहमत होगा तो शराबबंदी को लेकर अलग से हम डिबेट कराएंगे.
शराब बंदी कानून के बाद भी हो रही तस्करी
बिहार में पूर्ण रुप से शराब बंदी कानून लागू है. इसके बावजूद आए दिन किसी न किसी इलाके से शराब तस्करी की खबर सामने आती रहती है. बिहार सरकार की ओर से उत्पाद विभाग का बजट पेश करने पर सत्ता में बैठे लोगों ने शराबबंदी को क्रांतिकारी कदम बताया. वहीं, विपक्ष ने कहा कि शराबबंदी के बावजूद होम डिलीवरी हो रही. इस दौरान पुलिस प्रशासन के रवैए पर भी सवाल खड़ा किया.
इससे पहले विधानसभा परिसर में विपक्ष ने नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.राजद विधायकों ने पथ निर्माण विभाग में घोटाले का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की.वहीं खगड़िया जिले में पिछले दिनों स्कूल की चहारदीवारी गिरने से छह लोगों की हुई मौत की जांच की मांग को लेकर माले विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया.
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