विनोद कुमार
इनका नाम विष्णु तिवारी हैं,ललितपुर जनपद के थाना महरौली के गांव सिलावन के रहने वाले है ये पिछले 20 वर्ष से जेल में थे वो भी बिना किसी अपराध किए,जरा सोचिए कि कोई कैसे इतना बर्दाश्त कर सकता है,एक बेकसूर को 20 साल तक जेल में रखा गया,विष्णु जब जेल गए थे तब इनका हसता खेलता परिवार था जो अब बिखर चुका है,सब बिक गया इनका पर ये खुद को बेकसूर नही साबित कर पाए !
पुलिस ने ऐसा खेल किया एक इनके साथ कि ये निर्दोष होने के बाद भी 20 वर्ष तक जेल में रहने के लिए मजबूर हो गए. इसका खुलासा 20 वर्षों बाद न्यायपालिका कर सकी है. विष्णु जब 26 वर्ष के थे तब इनके खिलाफ वर्ष 2000 में दुष्कर्म एवं एससी/एसटी एक्ट का फर्जी मुकदमा दर्ज हुआ था. और तो और पुलिस की झूठी रिपोर्ट पर अदालत ने विष्णु को आजीवन कारावास की सजा सुना दिया.
विष्णु पांच भाइयों में चौथे नंबर के है, विष्णु को सजा होने के बाद वर्ष 2013 में उसके पिता रामसेवक की मौत हो गई. एक साल बाद ही उनकी मां भी चल बसीं. कुछ साल बाद बड़े भाई राम किशोर और दिनेश का भी निधन हो गया . पर विष्णु अपनो के बीच नही थे जब उनकी जरूरत उनके परिवार के जनों को सबसे ज्यादा थी .
आर्थिक रूप से कमजोर विष्णु के पास अपनी पैरवी के लिए न रुपये थे और न ही कोई वकील. ऐसे में जेल प्रशासन ने उसकी ओर से अपील की व्यवस्था की. विधिक सेवा समिति की ओर से अधिवक्ता ने उसके मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने विष्णु की रिहाई का आदेश दिया. विष्णु को परवाने का इंतजार था. 03 मार्च 21 को तीसरे पहर परवाना पहुंचा. इस मामले में कोर्ट ने पाया कि बिष्णू तिवारी निर्दोष है उसे गलत तरीके से फंसा दिया है.
आज भी कुछ ज्यादा परिवर्तन नही हुआ है कई ऐसे मामले देखने मिल ही जाते है जिसमे पुलिस की भुमका 100% गलत ही रहती हैं .
आज का ही ले लू तो एक 19 से 20 साल का लड़का जो अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए सिगरेट पान मसाला पानी का बोतल वगेरह बेचता है.
मेरे पास आया और रो-रो कर अपनी आपबीती सुनने लगा जिसको सुनकर बहुत तकलीफ हुई और गुस्सा भी आया पर क्या कर सकते हैं, समय बदल चुका है पर जल्द ही समय बदलेगा , रात हुई है तो सवेरा जरूर होगा जैसे विष्णु तिवारी की जिंदगी में सवेरा हुआ है . विनोद कुमार की फेसबुक पोस्ट से
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