भारत-पाकिस्तान के दरम्यान ताल्लुकात

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

भारत-पाकिस्तान के दरम्यान ताल्लुकात

हिसाम सिद्दीक़ी  
किसी भी मुल्क के हुक्मरान यानि प्राइम मिनिस्टिर या प्रेसीडेंट की कामयाबी तय करने का बहुत बड़ा पैमाना यह भी होता है कि उसके पड़ोसी मुल्कों से ताल्लुकात कैसे हैं. अपनी हुकूमत के दौरान प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के सिलसिले में कहा था कि दोस्त तो तब्दील किए जा सकते हैं लेकिन पड़ोसी तब्दील नहीं किए जा सकते, वह जैसे भी हों उनके साथ ही रहना पड़ता है. वाजपेयी की पार्टी के ही नरेन्द्र मोदी वजीर-ए-आजम बने तो महज लोकसभा एलक्शन जीतने और कट्टरपंथी हिन्दुओं को खुश करने के लिए उन्होंने पाकिस्तान से ताल्लुकात खराब किए, चीन-श्रीलंका और नेपाल जैसे सैकड़ों साल पुराने दोस्त से ताल्लुकात अच्छे नहीं रहे. बीजेपी का पूरा मीडिया सेल और मोदी का गुलाम मीडिया दोनों ने मोदी की मर्जी के मुताबिक पाकिस्तान को खूब कोसा, टीवी चैनलों पर पाकिस्तान को भिकमंगा और नंगा-भूका जैसे कई अल्फाज से नवाजा जाने लगा. ऐसा करते वक्त खुद प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी, उनके आई.टी. सेल में बैठे लोगों, गुलाम मीडिया और अंद्दे भक्तों ने महीनों तक दिन रात यही प्रोपगण्डा किया. यह सोचे बगैर कि पड़ोसियों के साथ कैसे ताल्लुकात रहने चाहिए. 
वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी को शायद खुद ही यह बात समझ में आई कि पड़ोसी खुसूसन हर तरह के कमजोर पाकिस्तान जैसा पड़ोसी हमारा मुकाबला तो नहीं कर सकता, लेकिन पर्दे के पीछे से नुकसान जरूर पहुंचा सकता है, मसलन समाज के किसी ताकतवर शख्स की अगर उसके कमजोर पड़ोसी से लड़ाई हो जाए तो जाहिर है कमजोर पड़ोसी ताकतवर पड़ोसी का कुछ बिगाड़ तो नहीं सकता लेकिन ‘सबोटाज़’ करने की गरज से ताकतवर पड़ोसी की कार की हवा तो निकाल ही सकता है. ताकि ताकतवर पड़ोसी जब किसी जरूरी काम से घर से निकले तो कार में हवा भराने या स्टेपनी तब्दील करने में उसका अच्छा खासा वक्त जाया हो जाए इसलिए कमजोर पड़ोसी से ताल्लुकात खराब न करना ही ताकतवर पड़ोसी के हक में रहता है. 
गुजिश्ता तकरीबन चार महीने से पाकिस्तान पर इस सिलसिले में, बीजेपी का मीडिया सेल और गुलाम टीवी चैनलों में खामोशी सी छाई थी, तभी यह बात समझ में आने लगी थी कि शायद अंदरखाने कुछ खिचड़ी पक रही है, पच्चीस फरवरी को यह बात सामने आ गई कि चौबीस-पच्चीस फरवरी की रात में दोनों मुल्कों के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री आपरेशन के दरमियान एक लम्बी मुद्दत के बाद हॉट लाइन के जरिए तफसीली बातचीत हुई और तय हुआ कि दोनों मुल्क उसी दिन से सरहद पर सीज़ फायर पर सख्ती के साथ अमल करेंगे, एक दूसरे के खिलाफ कोई छेड़खानी या फायरिंग नहीं करेंगे. इस समझौते के फौरन बाद पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम इमरान खान ने दो कदम और आगे बढ़कर यह कहा कि वह भारत के साथ हर अहम मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है. यह मजमून लिखे जाने तक भारत की जानिब से इमरान खान की तजवीज का कोई जवाब नहीं दिया गया था. लेकिन जिस किस्म के हालात है, उन्हें देखकर यह यकीनी लगता है कि शायद अब दोनों मुल्कों के दरम्यान बातचीत भी शुरू हो जाएगी. 
अपने कट्टरपंथी वोटरों को खुश करने के लिए वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ ताल्लुकात नहीं रखे, इसका खामियाजा भी देश को ही भुगतना पड़ा. पाकिस्तान ने वही हरकते कीं जो एक कमजोर पड़ोसी ताकतवर पड़ोसी के साथ छुपकर साजिश के तहत करता है. गुजिश्ता तीन सालों में भारत-पाक सरहद पर दस हजार सात सौ बावन (10ए752) बार सीज़ फायर को तोड़ा गया. इसमें हमारे बहत्तर (72) जवान शहीद हो गए, सत्तर (70) आम शहरी मारे गए, तीन सौ चौसठ (364) फौजी और तीन सौ इक्तालिस (341) आम शहरी जख्मी हुए. एलओसी के पास कई गांवों के काश्तकारों को अपनी फसल और मवेशियों की शक्ल में भारी नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा. पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर पिकस्तानी दहशतगदों ने हमला करके चालीस (40) से ज्यादा जवान मार दिए. हम भले ही इस बात के लिए खुश हो लें कि हमने बालाकोट पर एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को सबक सिखा दिया, लेकिन उससे भी ज्यादा नुक्सान तो हमारा ही हुआ. हमारा एक मिग पाकिस्तानी सरहद में क्रैश होकर गिर गया और अभिनन्दन जैसे सीनियर एयर फोर्स पायलेट की जान जाते-जाते बची. हमने सरहद पर छः फौजियों को ले जा रहे अपने ही हेलीकाप्टर को पाकिस्तानी समझ कर मार गिराया, जिसमें सवार सभी छः फौजी भी शहीद हो गए. पाकिस्तान का क्या गया? 
पुलवामा दहशतगर्दी के हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक को भुनाकर वजीर-ए-आजम मोदी ने 2019 के लोकसभा एलक्शन में दो सौ तीन (203) सीटें जीत लीं, लेकिन खसारे में तो भारत ही रहा. इसीलिए कहा गया है कि कमजोर पड़ोसी के साथ ताल्लुकात खराब नहीं करने चाहिए. भारत-पाकिस्तान के दरम्यान 2003 में सरहद पर सीज़ फायर का समझौता हुआ था, उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी देश के वजीर-ए-आजम थे. यह समझौता कमो बेश 2016 तक जारी रहा, लेकिन 2016 से दोनों मुल्कों के ताल्लुकात खराब हुए जिसका असर सीज़ फायर समझौते पर भी पड़ा. मोदी शायद 2016 से ही 2019 के लोकसभा एलक्शन की हिकमते अमली (रणनीति) पर काम करने लगे थे. उन्हें मालूम था कि 2019 के एलक्शन में पाकिस्तान ही उनके काम आ सकता है.जदीद मरकज़ 


 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :