आलोक कुमार
पटना.आप माने न माने परन्तु यह बिल्कुल सत्य है कि बिहार के विभिन्र जेलों में छापेमारी मारने के बावजूद भी मोबाइल फोन का भंडारण विराजमान है.किसी की गिरफ्तारी के बाद थाना से लेकर जेल तक पल-पल और जगह-जगह बगले तलाशने के बावजूद भी जेल के अन्दर मोबाइल पहुंच ही जाता है.जेल के अन्दर जाने के पहले कैदी की तलाशी ली जाती है. और तो और कैदी से मुलाकात करने वालों को मुक्कमल गेट पर तलाशी ली जाती है.फिर भी जेल के अंदर से भींगे होंठ तेरे प्यासा दिल मेरा.....वाले रिंग टोन बन्द कराने में जेल प्रशासन नाकामयाब हैं.
सर्वाधिक सुरक्षित समझे जाने वाले स्थानों में बड़ी सहुलियत से सेंधमारी की जा सकती है.विभिन्न कारा के सुरक्षातंत्र तार-तार है और तो और सुरक्षा में लगाएं सुरक्षा प्रहरी लापरवाह और निकम्मा हैं. ऐसे ही लोगों के बल पर कारा में अनुशासन और व्यवस्था बनाये रखना खतरे से खाली नहीं है,खतरे को दावत देने जैसे है. पुलिस कारा में मोबाइल खेल को अंत करने में विफल हो रहे हैं.इसके पीछे पुलिस की इच्छाशक्ति का अभाव ही दर्शाता है.
कारा से छुटकर आने वाले एक शख्स ने जेल की कलई खोला कि जब कारा से कैदी कोर्ट में सुनवायी करने वाहन से जाते हैं.तो सुनवायी की तारीख पर कैदियों के परिजन और शुभचिंतक भी आते हैं.अपने कैदी को उनके इच्छानुसार समान देने की व्यवस्था कर लाते हैं. उस समय समानों की तलाशी नहीं ली जाती है.कारण की कोर्ट के हाजत में कैदी रहते हैं. वहीं पर कारा के आरक्षी भी रहते हैं. झोली में भरा समान को कैदी वाहन में रख दिया जाता है.मुलाकाती करवाते समय लुजपुंज की व्यवस्था बन जाती है.मसलन आप मजे से टिफिन बॉक्स में दाल और भात के साथ मोबाइल ले जा सकते हैं. ब्रेड और बिस्किट के बीच में स्मैक, गांजा, भांग, बीड़ी, सिगरेट, पान मशाला, गुटका आदि रख सकते हैं. तरकारी खरीदकर सब्जी के बीच में अवैध ढंग से समान रखकर ले जा सकते हैं. इसमें वाहन के चालक भी चालाकी से झोलों को रखकर जेल के अंदर पहुंचाने में सहायता करते हैं. तब न कारा में छापामारी करने के दरम्यान अवैध समान बराबद होते ही रहते हैं. यह सवाल उठता है कि अबतक सर्वाधिक सुरक्षित माने जाने वाले जेल भी असुरक्षित ही हो गया है.
यह भी जग जाहिर है कि कुछ ही रूपए देने से कारा में राज कायम किया जा सकता हैं.यहां नशापान की दुकान सजायी जा सकती है. रूपए देने से राइटर और कारा पुलिस ठगे जा सकते हैं. किसी तरह का कार्य करने के लिए रजामंद किए जा सकते हैं.हाँ, यह बिहार के कारा में हो रहा है. मजे से पुलिस टिफिन बॉक्स में दाल और भात के साथ मोबाइल भी कारा के अन्दर पहुंचाने में सहयोग कर सकते हैं.यह पढ़कर आप जरुर चौक गए होंगे, मगर चौकियें नहीं, यह एक नया तरीका इजाद किया गया है.
बिहार की जेलों में आराम फरमा रहे अपराधी बेहद आसानी से जेल परिसर के साथ ही बाहर सड़कों पर भी वारदातों को अंजाम दिलवा रहे हैं. ऐसे कई इनपुट मिलने के बाद राज्य मुख्यालय के निर्देश पर बुधवार की सुबह प्रदेश की लगभग सभी जेलों में एक साथ छापेमारी की गई.इस दौरान सबसे ज्यादा हैरान करने वाला वाकया बिहार की राजधानी पटना स्थित आदर्श केंद्रीय कारा, बेऊर से सामने आया.यहां छापेमारी करने पहुंची प्रशासन की टीम को आधा घंटे तक गेट पर ही इंतजार करना पड़ गया.
आधा घंटे इंतजार कराने के बाद जब प्रशासन की टीम को अंदर दाखिल होने दिया गया, तब सघन छानबीन के बाद भी प्रशासन को कुछ भी हासिल नहीं हुआ. इससे अधिकारियों को शक हुआ.हालांकि ऐसी हालत में अधिकारी कुछ कर नहीं सकते थे, इसलिए छापेमारी को बंद कर पूरी टीम बाहर निकल गई
.लेकिन टीम ने जेल प्रशासन को तगड़ा झटका देते हुए 10 मिनट के अंदर ही दूसरी बार छापेमारी कर दी.दूसरी बार की छापेमारी में प्रशासन को कई आपत्तिजनक सामान मिले हैं. दोनों बार को मिलाकर लगभग पांच घंटे तक अधिकारियों ने पुलिस बलों के साथ जेल के हर वार्ड की तलाशी ली.
दूसरी दफे जेल के अंदर छापेमारी करने पहुंची प्रशासन की टीम को राजद के विधायक विजय कृष्ण के वार्ड से मोबाइल और सिम मिलने की बात सामने आ रही है.यह भी चर्चा है कि जेल के किसी हिस्से में गांजा मिला है, हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है.
छापेमारी करने पहुंची टीम ने जेल के अंदर नाले और सामने के मैदान की खोदाई तक कर डाली. टीम को अंदेशा था कि कुछ चीजें जमीन के नीचे छिपाकर रखी गई हो सकती हैं.पंखे के ऊपर,टाइल्स को निकालकर देखा गया.आवास रहने के बावजूद निरीक्षण में आधे घंटे देर से पहुंचे जेल उपाधीक्षक संजय कुमार से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
आज प्रातः 4:50 बजे से 7:20 बजे तक जिला दंडाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय कारा, गया का औचक तलाशी किया गया.तलाशी के दौरान कक्ष संख्या 18 में संसिमित बंदी प्रभाकर शर्मा, पिता अमरेंद्र शर्मा, साकिन बक्सर, थाना गोह, जिला औरंगाबाद के बिस्तर के पास एक अचलंत सिम कार्ड (नॉन फंक्शनल सिम कार्ड) एवं एक सिम इजेक्टर पिन बरामद हुआ, जिसे जिला प्रशासन द्वारा जप्त किया गया है.अधीक्षक केंद्रीय कारा, गया द्वारा इस संबंध में पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष, रामपुर गया को सनहा दर्ज करने का अनुरोध किया है.
जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस अधीक्षक, अनुमंडल पदाधिकारी सदर, नगर पुलिस उपाधीक्षक सहित अन्य पदाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी द्वारा केंद्रीय कारा गया का सघन निरीक्षण करते हुए कैदियों की तलाशी ली गई.
मिली जानकारी के अनुसार पटना, बक्सर, आरा, छपरा, औरंगाबाद, हाजीपुर, भागलपुर, पूर्णिया, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, नवादा, बिहारशरीफ, गोपालगंज, कटिहार, किशनगंज समेत बिहार की 59 जेलों में छापेमारी की गई है.इसमें भागलपुर जेल से 25 पुड़िया खैनी, किशनगंज जेल से चाकू, कांटी और तंबाकू, खगड़िया से मोबाइल चार्जर, मोबाइल फोन, ब्लेड, पेनड्राइव, तार, चिलम, सुई, बलिया, कटिहार जेल से नशे का सामान, बिहारशरीफ जेल से 3 मोबाइल, छपरा जेल से 1 मोबाइल, गोपालगंज जेल से मोबाइल व पेन ड्राइव, औरंगाबाद के दाउदनगर उपकारा से 3 मोबाइल व 4 चार्जर, आरा जेल से मोबाइल, चार्जर और कुछ आपत्तिजनक समान बरामद हुए हैं.जबकि हाजीपुर, समस्तीपुर, शेखपुरा और भभुआ जेल से कोई आपत्तिजनक सामान नहीं मिली है.
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