आलोक कुमार
पटना.पटना नगर निगम में 75 वार्ड है.इसके वार्ड नम्बर-01 में है दीघा मुसहरी.इस वार्ड की वार्ड पार्षद हैं छठिया देवी.जो महादलित मुसहर समुदाय की हैं.अपने बिरादरी को पुलिसिया जुल्म से बचाने में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं.इसके कारण खौफ के साये में लोग जीने को बाध्य हैं.
दीघा मुसहरी में कुटीर उद्योग का रूप ले रखी थी
महुआ और मीठा दारू
कच्ची शराब का काला कारोबार कुटीर उद्योग का रूप ले चुका था.अवैध देसी शराब के धंधे ने ग्रामीण क्षेत्र में कुटीर उद्योग का रूप ले लिया था 2015 से पूर्व ले लिया था.इस मुसहरी के लोग दारू पीकर रोगग्रस्त होते चले.प्रथम चरण में बुजुर्ग और द्वितीय चरण में जवान परलोक सिधार गये.चमरू मांझी के संपूर्ण परिवार ही राम राम सत्य हो गये.इस बीच सीएम नीतीश ने कहा 2015 से पहले महिलाओं से स्वच्छ एवं सुरक्षित समाज देने का वादा किया था. 2016 में शराबबंदी लागू कर इस वादे को पूरा किया. शराब पीने-पिलाने में कोई भी शामिल हो बचना नहीं चाहिए.इस धंधे में लोगों को रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था करने की हिदायत दी थी.राशि की व्यवस्था सरकार से की गयी.परंतु दीघा मुसहरी के लोगों को नहीं मिला.यहां के लोग और बच्चे रद्दी कागज सुनने लगे.जो कष्टदायक काम हो गया है.चोर चोर कहकर पकड़वा दिये जाते हैं.कुछ दुष्ट स्वभाव के लोग गरम माड़ फेंक देते हैं.कुछ लोगों ने मुसहरी में रोजगार करने लगे.जिसे डंडे के बल पर दीघा थाना बंद करवाने पर उतारू हैं.
मानवाधिकार का हो रहा है खुल्लम खुला उल्लघंन
यहां के लोगों का है हमारी सुरक्षा के लिए पुलिस है.
अब तो पुलिस से मुसहरी के आम नागरिकों में खौफ बढ़ गया हैं.इनको देखते ही कोहराम मच जाता है.आते ही सामने आने वाले लोगों पर डंडा चलाने लगते हैं.यही एक वजह बन गयी.अब यहां ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब पुलिस ने पर्याप्त कारण न होने के बावजूद भी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए लोगों को गिरफ्तार किया है.मुसहरी में गणेश मांझी रहते थे.किसी कारण से गणेश मांझी को दीघा पुलिस ने पकड़ ली.पुलिस ने पिता का नाम पूछा तो पिताजी का नाम भदई मांझी बताया.उसे जेल भेज दिया.कुछ दिनों के बाद जेल से जमानत पर आने पर जमानत टूट गयी.जमानट टूटी के नाम पर महेश मांझी को पुलिस पकड़कर दीघा थाना ले गयी.पिता जी का नाम भदई मांझी बताने पर पुलिस ने महेश को गणेश मांझी के नाम पर जेल भेज दी.जमानत के बाद महेश बाहर आया.इसकी भी जमानत टूट गयी.फिर पुलिस हरकत में आयी और तीसरे व्यक्ति को पकड़ लिया.उसका नाम गणेश मांझी और पिता का नाम भदई मांझी था.इसे भी जेल भेज दिया.एक पत्रकार के नाते आलोक कुमार दीघा थाना में जानकारी ली गयी तो बताया कि उसके पिता का नाम भदई मांझी रहने पर गणेश मांझी को जेल भेज दिया जाता था.कुछ साल के अंदर भदई मांझी और उनके पुत्रों की मौत हो गयी.
पुलिस गिरफ्तार कर हिरासत में बंद कर देती है
सर्वज्ञात है कि पुलिस का दायित्व है कि वह तलाशी लेने के लिए स्वतंत्र साक्षियों को लायें.जो कुछ भी आवास से बरामद हुआ है,उस पर पकड़े गए शख्स अथवा उसके गवाहो का सूची पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है. जब्त हुई वस्तुओं का एक 'जब्ती मीमो' की एक प्रतिलिपी पकड़े गए शख्स को देना है जो उसका अधिकार है यह सूची पकड़े गए शख्स अथवा घर की तलाशी से उत्पन्न हर वस्तु का उल्लेख करती है.सीआरपीसी की धारा 41 बी के मुताबिक पुलिस को एक अरेस्ट मेमो तैयार करना होगा, जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी की रैंक, गिरफ्तार करने का सही समय और पुलिस अधिकारी के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के भी दस्तखत होंगे.अरेस्ट मेमो में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से भी हस्ताक्षर करवाना होगा.
कानून से अनभिज्ञ महादलितों ने कहा
महादलित कांति देवी ने कहा कि बिना परमिशन के पुलिस मेरी बेटी के घर में घुस गयी.घर में एलपीजी ने नहीं रहने के कारण लकड़ी रख रही थी.इतने दौड़ लगाते पुलिस आ धमकी.बिना महिला पुलिस के ही घर में आ गयी. पुलिस के पास किसी तरह की वारंट नहीं थी.वह कहती है कि खाली हाथ ही बेटी को साथ ले गये.गिरफ्तार बेटी से पुलिस तलाशी नहीं ली. तलाशी की कार्यवाही का पंचनामा/महाजर तलाशी स्थल पर तैयार करना अति आवश्यक है.वह नहीं की गयी.साफ तौर से कहा जा सकता है कि पुलिस ने किसी तरह की खानापूर्ति नहीं की गयी.
सभी तरह का मौखिक बरामद व जब्त की गई वस्तुओं की सूची थाना में बनती है
महादलित कांति देवी कहती है कि मेरी बेटी के घर से कोई समान बरामद नहीं हुआ.उसे दीघा थाना खाली हाथ ही गाड़ी पर बैठाकर ले गये.उन्होंने कहा कि थाने में खाकी वर्दीधारी मनमौजी ढंग से मेरी बेटी पर 65 लीटर दारू और 10 किलो मीठा बरामद दिखाकर जेल भेज दिया.अभी बेउर जेल में बंद है.एक माह हो गया.लाचारी के कारण जमानत नहीं करवा पा रही हैं.
जानकार लोगों का कहना है कि दीघा थाना का कोपभाजन बनते रहा है.जब कही भी चोरी होती थी तो मुसहर समुदाय को पकड़कर साहब के सामने तेज तर्रार पुलिस बल दिखा दिया जाता है.दीवाली चौधरी को थाना में सोने को बाध्य होना पड़ता था.अखबार में खबर छपने पर बंद हो गया.
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