अगर मगर में फंस गई भाजपा की डगर !

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अगर मगर में फंस गई भाजपा की डगर !

धीरेंद्र श्रीवास्तव

लखनऊ.  भारतीय जनता पार्टी का  विजय रथ तीसरे चरण में  ' अगर 'शब्द में फंस गया है. जैसे "अगर" कांग्रेस ठीक से वोट काटने में सफल रही तो भाजपा की जीत तय है. "अगर" बहुजन समाज पार्टी के समर्थकों ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट नहीं दिया तो भाजपा की जीत तय है. तीसरा "अगर" है गोवा में मतदान के पूर्व इवीएम की टेस्टिंग जिसमें सभी दलों को 9-9 वोट डाले गए. फिर देखा गया तो भाजपा के खाते में 17 वोट मिले. "अगर" हर जगह इवीएम ने 9 के बदले 17 वाला कमाल किया तो भाजपा की जीत तय है. वैसे इस "अगर" से बाहर निकलकर देखा जाए तो केवल सपा के साथ बसपा के खड़ा हो जाने से तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साथ ही धर्मेन्द्र यादव, एसटी हसन, आजम खान और शफीकुर्रहमान भी लोकसभा में जाने की ओर अग्रसर हैं. फिर भी इस चुनाव के पहले तक सैफई परिवार के दिग्गज रहे शिवपाल सिंह यादव इस बार फिरोजाबाद लोकसभा से अपनी नई पारी शुरू करने के लिए जूझते दिख रहे हैं.

तीसरे चरण की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सीट है मैनपुरी. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यहाँ कितने अधिक मतों से जीतते हैं, यही सवाल यहाँ के हर मोड़ पर जेरे बहस है. यहाँ 54 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 6.45 फीसदी कम है.

दूसरी महत्वपूर्ण सीट है, रामपुर जो इस चुनाव में अली, बजरंग बली और अनारकली को लेकर अधिक राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा में रही. यहाँ बसपा की मदद से लोकसभा में जाने की ओर अग्रसर आज़म खान को फ़िल्म अभिनेत्री  भाजपा उम्मीदवार जयप्रदा की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है. यहाँ इस बार 60.24 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 1.08 फीसदी अधिक है.

तीसरी महत्वपूर्ण सीट है बदायूँ जो 2014 के मोदी लहर में भी सपा के पास रही. सपा के धर्मेन्द्र यादव इस बार भी अन्यों से आगे दिख रहे हैं लेकिन सलीम शेरवानी की उम्मीदवारी और भाजपा उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य की सक्रियता ने इस सीट पर लड़ाई को रोचक बना दिया है. यहाँ इस बार 55.61फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 2.48 फीसदी कम है.

चौथी सीट है फिरोजाबाद. यहाँ से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल सिंह यादव सांसद के रूप में अपनी नई पारी शुरू करने की कोशिश में है. उनके इस प्रयास को चुनौती किसी गैर से नहीं, अपने ही भतीजे अक्षय यादव से मिल रही है जो यहाँ से सांसद रहे हैं और इस बार भी सपा, बसपा, रालोद गठबन्धन के उम्मीदवार हैं. इन दोनों की लड़ाई में भाजपा के चन्द्रसेन जादौन भी बाजी जीत लेने की जुगत में हैं. यहाँ इस बार 56.45 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 11.04 फीसदी कम है.

पांचवी सीट है, संभल. यहाँ से सपा, बसपा, रालोद गठबन्धन के उम्मीदवार शैफीकुर रहमान का रास्ता रोकने के लिए भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलकर पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने फजले मसूद को जिनकी वजह गठबन्धन और भाजपा में काँटे का संघर्ष दिख रहा है. यहाँ पर इस बार 58.36 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 4.07 फीसदी कम है.

छठवीं सीट है, मुरादाबाद. यहाँ से जीत के प्रति उत्साहित सपा, बसपा, रालोद गठबन्धन के उम्मीदवार एसटी हसन के रास्ते में कांग्रेस उम्मीदवार शायर इमरान प्रतापगढ़ी के आंसुओं ने बाधा खड़ी करने की जबरदस्त कोशिश की है. इन आंसुओं ने भाजपा के उम्मीदवार कुँवर सर्वेश सिंह की उम्मीद को इस बार भी कम नहीं होने दिया है. यहाँ इस बार 63.72 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 कि तुलना .06 फीसदी अधिक है.

बरेली में भाजपा के सन्तोष गंगवार को रोकने के लिए कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन, सपा, बसपा और रालोद के उम्मीदवार सन्तोष गंगवार जोर लगाए हुए हैं. तीनों के बीच कांटे की टक्कर है. यहाँ इस बार 57.01 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 4.16 फीसदी कम हैं.

पीलीभीत में भाजपा के वरुण गाँधी का विजय रथ गठबन्धन के उम्मीदवार हेमराज वर्मा ने पूरी कोशिश की है लेकिन पीएसपी के हनीफ मंसूरी ने वरुण गाँधी की राह आसान कर दी है.आंवला में भाजपा के धर्मेन्द्र कश्यप, कांग्रेस के कुँवर सर्वराज सिंह और गठबन्धन की रुचिवीरा के बीच कांटे का संघर्ष है. यहाँ इस बार 56.38 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 3.83 फीसदी कम हैं. एटा में भाजपा के राजवीर सिंह और गठबन्धन के देवेंद्र यादव हर बूथ पर आमने सामने हैं. यहाँ इस बार 59.97 फीसदी वोट पड़े हैं जो 2014 की तुलना में 1.25 फीसदी अधिक है.गत लोकसभा चुनाव में इस चरण के मैनपुरी और बदायूँ को छोड़ दिया जाए तो सभी पर भाजपा का परचम लहरा रहा था जो इस बार "अगर" में बुरी तरह उलझा नज़र आ रहा है.

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