आह दिल्ली पुलिस, वाह मोदी सरकार

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

आह दिल्ली पुलिस, वाह मोदी सरकार

हिसाम सिद्दीकी 
माहौलियाती (पर्यावरण) एक्टिविस्ट दिशा रवि को बंगलौर से गिरफ्तार कर दिल्ली लाने और उसके खिलाफ जो मजहकाखेज (हास्यास्पद) इल्जामात दिल्ली पुलिस ने लगाए उनसे एक बार फिर साबित हो गया कि दिल्ली पुलिस जेहनी तौर पर किस हद तक दीवालिया हो चुकी है. पटियाला हाउस कोर्ट के एडीशनल सेशन जज धर्मेन्द्र राणा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए जब दिल्ली पुलिस से यह पूछा कि दिशा रवि के खिलाफ उनके पास कौन से सुबूत हैं तो पुलिस वाले बगलें झांकने लगे. जज ने पुलिस से पूछा कि अगर मैं मंदिर बनाने के लिए किसी डाकू से चंदा ले लूं तो क्या मुझे डकैती की हरकतों में शामिल मान लिया जाएगा. एडीशनल सेशन जज ने यह भी सवाल किया कि क्या ‘जूम’ के जरिए जिन सत्तर लोगों की मीटिंग हुई उनमें शामिल एम ओ धारीवाल खालिस्तान का हिमायती है. क्या यह बात दिशा रवि और मीटिंग करने वाले दूसरे लोगों को पहले से मालूम थी? इसका जवाब भी पुलिस नहीं दे पायी. पुलिस के पास दिशा के खिलाफ कोई ठोस सबूत हैं ही नहीं इसके बावजूद उसने दिशा को गिरफ्तार कर लिया और निचली अदालत ने उसे पुलिस रिमाण्ड पर भी भेज दिया. आखिर यह कैसा इंसाफ है? 
दिल्ली पुलिस के पास वही रटा-रटाया इल्जाम हैं कि यह लोग टूल किट के जरिए 26 जनवरी से पहले देश में ट्वीटर स्टार्म (ट्वीटर तूफान) खड़ा करना चाहते थे. मोदी सरकार में एक नया इल्जाम दिल्ली पुलिस ने गढा है कि फलां-फलां मुल्जिम भारत की तस्वीर (छवि) खराब करने की साजिश रच रहे थे. मीडिया और इंटरनेट के इस एडवांस दौर में देश और दुनिया के किसी भी मुल्क में होने वाला कोई भी वाक्या मिनटों में पूरी दुनिया में पहुच जाता है. देश की तस्वीर (छवि) तों दिल्ली पुलिस ने ही तब खराब की जब दिल्ली के तीन बार्डर गाजीपुर, सिंघु और चिल्ला में आंदोलन कर रहे किसानों की बिजली काट दी, पानी की सप्लाई रोक दी, सड़कों पर कीलें गाड़ दीं, ऊंची-ऊंची सीमेंट की दीवार बनाकर कटीलें तार की फेसिंग कर दी और इन सबकी तस्वीरों के साथ दुनिया भर के अखबारों और टीवी चैनलों पर यह खबरें छा गयीं. 
अगर देश की तस्वीर खराब करने की बात करें तो वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने 2014 से 2019 तक दुनिया भर में जाकर यह कहकर देश को बदनाम किया था कि उनकी सरकार आने से पहले सत्तर सालों में भारत में कुछ हुआ ही नहीं. यह तकरीरें करके उन्होने दुनिया भर में न सिर्फ देश की तस्वीर खराब की थी बल्कि उनसे पहले के देश के एक दर्जन प्राइम मिनिस्टर्स की तौहीन की थी. उन प्राइम मिनिस्टर्स में खुद उनके अपने लीडर अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हैं. जो छः साल से ज्यादा मुद्दत तक देश के प्राइम मिनिस्टर रहे. पूरी दुनिया भारत को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के नाम अैर उनके कामों से जानती है. लेकिन मोदी ने तकरीबन हर मुल्क में जाकर पंडित जवाहर लाल नेहरू के लिए तौहीन आमेज (अपमानजनक) तकरीरें कीं, देश की तस्वीर तो उस वक्त भी मिट्टी में मिल गयी थी जब मोदी ने ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ प्रोग्राम के दौरान ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ का नारा लगाया था. दुनिया की तारीख में किसी भी मुल्क के प्राइम मिनिस्टर या सदर ने दूसरे मुल्क में जाकर कभी ऐसा काम नहीं किया. 
देश की तस्वीर तो उस वक्त भी दुनिया भर में दागदार हुई थी जब दिल्ली हाई कोर्ट ने आर्डर किया था कि बीजेपी के कपिल मिश्रा के खिलाफ बारह घंटे के अंदर दंगा भड़काने की रिपोर्ट दर्ज की जाए तो मोदी सरकार ने ऐसा आर्डर करने वाले जज का आधी रात में हरियाणा एण्ड पंजाब हाई कोर्ट में तबादला कर दिया था. बहरहाल आर्डर तो हाई कोर्ट का ही माना जाएगा. जिस पर तकरीबन एक साल गुजरने के बावजूद मोदी और अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है और कपिल मिश्रा जैसा समाज दुश्मन क्रिमिनल सरकारी सिक्योरिटी के साथ आराम से घूम रहा है. यह सारी खबरें दुनिया भर में शाया (प्रकाशित) भी हुई और टेलीकास्ट भी. देश की तस्वीर (छवि) एक बार फिर मोदी के नजदीकी और बड़े जालसाज रामदेव ने खराब की जब उन्होने नरेन्द्र मोदी के दो वजीरों हेल्थ मिनिस्टर डाक्टर हर्षवर्धन और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी के साथ मिलकर यह दावा किया कि उसने कोरोना की दवा बना ली है. रामदेव ने दोनो वजीरों के साथ मिलकर दवा मार्केट में उतार भी दी, फौरन ही आईएमए के सेक्रेटरी जयेश लेले ने कहा कि इस दवा से आईएमए मुत्तफिक नहीं है. रामदेव ने दावा किया था कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यू एच ओ) से इस दवा को सर्टिफिकेट मिला हुआ है. लेकिन डब्ल्यू एच ओ ने कह दिया कि उसने ऐसी किसी दवा को कोई मंजूरी नहीं दी है. रामदेव और मोदी के दोनों वजीरों की इस हरकत से पूरी दुनिया में भारत पर थू-थू हुई क्या दिल्ली पुलिस इन मामलात के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज करके देश के सबसे बड़े जालसाज रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करेगी? 
जिस टूल किट मामले को दिल्ली पुलिस ने सस्पेंस फिल्म की कहानी की तरह गढ कर दिशा रवि को गिरफ्तार किया उसके लिए पुलिस यह कहती है कि टूल किट में कहा गया था कि दुनिया भर के मुल्कों में हिन्दुस्तानी सिफारत खाने (दूतावासों) के सामने किसान आंदोलन की हिमायत में मुजाहिरे करने हैं, देश के तमाम सरकारी दफ्तरों के सामने मुजाहिरे करने हैं. आंदोलन कर रहे किसानों की हर तरह से हिमायत करनी है. आंदोलन के लिए फण्डिंग करानी है. पुलिस को यह भी बताना चाहिए कि पूरी दुनिया में होने वाले आंदोलनों में यही सब तो होता है. इसमें क्राइम क्या बनता है क्या टूल किट में कहीं भी हिंसा का भी कोई जिक्र है? इस मामले में एडीशनल सेशन जज धर्मेन्द्र राणा ने दिशा रवि को जमानत देते वक्त दिल्ली पुलिस और मोदी सरकार पर जिस किस्म के सख्त तब्सिरे किए वह सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया में फैल गए क्या इससे देश की तस्वीर पर कोई उल्टा असर नहीं पड़ा?

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :