सरकार के गुरूर के लिए देशद्रोह नहीं लग सकता

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सरकार के गुरूर के लिए देशद्रोह नहीं लग सकता

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! दिल्ली पुलिस मोदी सरकार के गुरूर को बनाए रखने के लिए ठोस सबूतों के बगैर किसी पर भी देशद्रोह का मुकदमा कायम कर देती है. दिशा रवि को जमानत देते हुए एडीशनल सेशन जज धर्मेन्द्र राणा ने दिल्ली पुलिस पर जो सख्त तब्सिरे किए उन्हें सुनने के बाद तो ऐसा ही लगता है कि दिल्ली पुलिस किसी भी बेगुनाह को फंसाने के लिए कोई भी सनसनीखेज कहानी गढ देती है. अदालत ने कहा कि सिर्फ सरकार के गुरूर को कायम रखने के लिए किसी पर देशद्रोह जैसा मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि पुलिस ने अदालत के सामने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे साबित होता हो कि दिशा रवि इलाहदगी पसंद (अलगाववादी) ख्यालात की हिमायत करती है और दिशा का ममनूआ (प्रतिबंद्दित) सिख तंजीम ‘सिख फार जस्टिस’ के साथ किसी किस्म का कोई ताल्लुक हो. अदालत ने कहा कि पुलिस के जरिए पेश सबूत घिसे-पिटे हैं जिनकी बुनियाद पर दिशा को जेल में डाला जा सके. जबकि उसका कोई मुजरिमाना रिकार्ड भी नहीं है. जज ने कहा कि टूल किट मामले में मुल्जिम बनाए गए शान्तनु ने टै्रक्टर परेड में शामिल होकर कोई गुनाह नहीं किया क्योकि परेड की इजाजत खुद पुलिस ने दी थी. जज धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि टूल किट बनाना गलत नहीं हो सकता है क्योकि जराए अबलाग (संचार माध्यमों) की कोई जुगराफियाई बंदिशें नहीं हैं. हर शहरी के पास सबसे बेहतर जराए अबलाग का इस्तेमाल करने का बुनियादी हक है कानून भी इसकी इजाजत देता है. उन्होने कहा कि दिशा रवि पर कोई भी मुजरिमाना मामला नहीं बनता वह पूरी तरह बेकुसूर है. एडीजे धर्मेन्द्र राणा ने 18 सफहात (पृष्ठों) पर मुश्तमिल (आधारित) अपने फैसले में पांच हजार साल पुरानी अपनी कदीम तहजीब के हवाले से ऋगवेद के एक श्लोक का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी तहजीब अलग-अलग ख्यालात की मुखालिफ नहीं रही है. श्लोक के मायने हैं कि हमारे पास चारों जानिब से ऐसे फलाही (कल्याणकारी) अफकार आते रहे जो किसी से न दबे, उन्हें कहीं से रोका न जा सके और नामालूम मौजुआत को जाहिर करने वाले हों. 
अदालत का यह फैसला और तब्सिरा दिल्ली पुलिस के मुंह पर एक करारा तमांचा है और मोदी व अमित शाह के मंसूबों पर गहरी चोट है. जो आज कल देश की तस्वीर (छवि) खराब करने का इल्जाम लगा कर अपने किसी भी मुखालिफ को देशद्रोह जैसे मुकदमे में फंसवाने की आदी बन चुके है. दिशा रवि को चाहिए कि अब वह दिल्ली पुलिस के उन बेईमान अफसरान के खिलाफ अदालती कार्रवाई करें जिन्होने डरावनी फिल्मों जैसी कहानी गढ कर उसे बंगलौर से गिरफ्तार किया और छः दिनों तक अपनी कस्टडी में रख कर पूछगछ के बहाने उसे जेहनी तौर पर परेशान किया. अदालत ने दिल्ली पुलिस के मुंह पर सख्त तमाचा मारते हुए कहा कि व्हाटसएप ग्रुप बनाना और टूल किट को एडिट करना कोई जुर्म नहीं है. अदालत ने कहा कि सरकार के फैसलों और पालीसियों से इत्तेफाक न रखने की वजह से किसी को सलाखों के पीछे नहीं डाला जा सकता. अदालत ने इंतेहाई सख्त लहजे में कहा कि पुलिस दिशा रवि के खिलाफ ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाई जिससे यह साबित होता हो कि उसने भारत को बदनाम करने या देश की तस्वीर (छवि) खराब करने की कोई मुहिम चलाई हो. यह भी सबूत नहीं है कि दिशा ने किसानों की हिमायत करने के बहाने या उसकी आड़ में देश में हिंसा फैलाने की कोई साजिश रची. हिंसा फैलाने के मामले में गिरफ्तार लोगों से दिशा का कोई ताल्लुक पुलिस साबित नहीं कर पाई. 
दिशा रवि को जमानत देते हुए एडीशनल सेशन जज धर्मेन्द्र राणा ने दिल्ली पुलिस और सरकार पर जो तब्सिरे किए गर दिल्ली पुलिस में जरा भी शर्म हो तो हवा-हवाई किले बांध कर किसी बेगुनाह को फंसाने की दोबारा गलती नहीं करेगी. अदालत की इजाजत के बगैर वह विदेश नहीं जा सकेंगी. दिशा रवि पर अदालत ने यह शर्त भी लगाई है कि दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की तरह ही दिल्ली दंगों के बहाने बड़ी तादाद में मुसलमानों को जेलों में डाल रखा है. अगर उनके मामलात भी धर्मेन्द्र राणा या उन जैसे दूसरे जज साहबान के सामने पेश हो जाएं तो शायद उन्हें भी इंसाफ मिल सकेगा. 
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली पुलिस के जरिए लगाए गए बेबुनियाद इल्जामात के मुताबिक दिशा की आजादी में खलल पैदा करना जायज या वाजिब नहीं होगा. अदालत ने कहा कि पुलिस की ¬जानिब से जमानत की मुखालिफत भी महज दिखावटी लगती है. देश के हर शहरी का फर्ज बनता है कि वह सरकार के काम-काज पर सख्त नजर रखे और गलत फैसलों व पालीसियों के खिलाफ नाइत्तेफाकी जाहिर करते रहें. क्योकि सरकार के फैसलों और पालीसियों को गैर जिम्मेदाराना बनाने के लिए एख्तेलाफ, नाइत्तेफाकी या मुखालिफत करना जायज तरीकों में शामिल है. अदालत ने कहा कि मामूली और आधे-अधूरे इल्जामात की बुनियाद पर दिशा को जेल में रखना किसी भी तरह वाजिब नहीं है. देश के तमाम गुलाम टीवी चैनलों ने दिशा को देश का दुश्मन करार दे रखा था. अब जब अदालत ने उसे बेगुनाह करार देते हुए दिल्ली पुलिस को कई कानूनी थप्पड़ मारे तो इन गुलाम टीवी चैनलों के एंकर और एंकरनियों को सांप सूंघ गया. 
 

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