नई दिल्ली .दिशा रवि मामले में सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने जमानत देते हुए जो टिपण्णी की है वह इतिहास बन गई है .उन्होंने कहा ,
एक लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं. सरकारी नीति से असहमति होने की वजह से उन्हें जेल नहीं हो सकती. देशद्रोह के क़ानून का इस्तेमाल सरकार के जख्मी अहंकार पर मरहम के लिए नहीं किया जा सकता.
'कम और अधूरे सबूतों के मद्देनजर 22-साल की युवा महिला को 'जमानत' देने के सामान्य नियम से अलग जेल में रखने का कोई साफ कारण नजर नहीं आता, उसका पिछला रिकॉर्ड पूरी तरह से अपराध रहित है और समाज में उसकी मज़बूत जड़ें हैं'!
हमारी 5,00 साल पुरानी सभ्यता कभी अलग-अलग विचारों के विरोध में नहीं रही. विभिन्न मतों को सम्मान के सांस्कृतिक मानस को दर्शाती हैं #ऋग्वेद की ये पंक्तियाँ: आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउद्भिदः
(हमारे पास चारों ओर से कल्याणकारी विचार आते रहें).कार्टून साभार
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