पंकज चतुर्वेदी
उत्तर पूर्वी दिल्ली में लक्षित हिंसा, जिसे दंगों का नाम दिया गया, 23 फरवरी को उसका एक साल हो जाएगा. खालिद सैफी औऱ इशरत जहां के साथ पुलिसिया अत्याचार और निर्दोष होने के बावजूद गिरफ्तारी के आज 360 दिन हो गए.आने वाले एक हफ्ते हम हर दिन दिल्ली दंगों की एक नृशंस घटना बताएंगे.
असल में ये हमारे द्वारा अगस्त में अनूदित व सम्पादित दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की जांच रिपोर्ट के हिस्से हैं. यह किताब अमेज़न पर उपलब्ध है.
आज का दर्द
23 फरवरी, 2020 को कपिल मिश्रा के भाषण के कुछ घंटों के भीतर शिव विहार, खजूरी खास, चांद बाग, गोकुलपुरी, मौजपुर, करावल नगर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, अशोक नगर, भागीरथी विहार, भजनपुरा और कर्दम पुरी सहित उत्तर पूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़क गई.
दर्ज की गई मौतों की आधिकारिक संख्या 53 है. कम-से-कम 250 व्यक्ति घायल हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एक अज्ञात संख्या में लापता व्यक्ति (अनुबंध 1 देखें) है. हिंसा ने घरों, दुकानों, व्यवसायों और अन्य संपत्तियों की लूटपाट और आगजनी के कारण भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है.
इस अध्याय में हिंसा पर ज़मीनी रिपोर्टिंग करने वाले पीड़ितों और पत्रकारों में से कई की गवाही को संकलित किया गया है.
2.1 लक्षित हिंसा
ज़ुबैर पर भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है (द इंडियन एक्सप्रेस/दानिश सिद्दीकी)दंगे के दो दिन बाद शिव विहार में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के अध्यक्ष द्वारा ली गई तस्वीर
2.1.1. शिव-विहार के तीन मुस्लिम निवासियों द्वारा फेस-VII को फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी को दिया गया वक्तव्य
25.02.2020 को शाम 4 बजे कई लोग जिप्सी-कारों में आए और जौहरीपुर को जोड़ने वाले नाले पर पुलिया (छोटे पुल) के पास रुक गए. वे हेलमेट पहने हुए थे और उन्होंने चेहरे को ढँकने के लिए कपड़े का मास्क लगाया हुआ था. फिर उन्होंने मुस्लिमों की घनी आबादी वाली गली में पेट्रोल बम फेंकना शुरू कर दिया. इसके बाद एक अन्य समूह नाला आबादी पक्ष (जौहरीपुर वह क्षेत्र है, जो एक ग़ैर-मुस्लिम इलाका है) से आया. उनके पास एक सैंट्रो कार थी जिसमें एक गैस सिलेंडर था. शाम को लगभग 5 बजे वे शिव विहार के आवासीय क्षेत्र की ओर एक ढलान पर कार को नीचे ले गए. कार में आग लग गई थी, क्योंकि यह पुलिया से टकरा गई और इससे एक बड़ा विस्फोट हुआ. इसके बाद सभी डर गए. क्षेत्रवासी दहशत के मारे रो रहे थे, लेकिन भीड़ ने रिहायशी इलाकों की ओर सिलेंडर गैस, गोलियां (बम) और बोतलें फेंकीं.
लक्षित हिंसा : उन्होंने पहले घरों को लूटा और फिर उन्हें जला दिया. इस लूट और आगजनी को अंजाम देते हुए… वे कहते रहे… मुल्लाओं … आज़ादी लो… हम तुम्हें आज़ादी दे रहे हैं. वे जानते थे कि यहाँ के लोग मुस्लिम थे. इस गली नंबर 19 में, फेस 7 में 30 घर हैं, जिनमें से 27 मुस्लिमों के हैं और तीन ग़ैर-मुस्लिमों के हैं. मुसलमानों के सभी 27 घरों को लूट लिया गया, जला दिया गया और नष्ट कर दिया गया. ग़ैर-मुसलमानों के तीन घरों को छोड़ दिया गया था. उनके पड़ोसियों ने घरों की पहचान उन लोगों से की, जो बाहर से आए थे. किसी तरह कई मुस्लिम निवासी रात में क्षेत्र से भागने में सफल रहे.
पुलिस की भूमिका : पुलिस बल आखिरकार 23 फरवरी, 2020 को शाम 6.30 बजे आया. एक पुलिस अधिकारी ने हमलावरों पर अपनी बंदूक का निशाना बनाया, लेकिन पुलिस बल के भीतर से किसी ने (एक दरोगा हो सकता है) पुलिसकर्मी को रोका, यह कहते हुए कि 'उन्हें मत रोको' उन्हें यानी (हमलावर). पुलिस अधिकारी फिर रुक गए. इसे देखकर हमलावरों ने इलाक़े में बड़े पैमाने पर लूट और आगजनी शुरू कर दी. वे लोगों को मार रहे थे, घरों और दुकानों को आग लगा रहे थे. वे पूरी रात ऐसा करते रहे. पुलिस द्वारा कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई थी. इस अवधि के दौरान पुलिस बल यहाँ बैठा हुआ था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.
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