मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी से कहा ,जाओ अपने पति को हराओ

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मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी से कहा ,जाओ अपने पति को हराओ

अंबरीश कुमार  
आज के राजनीतिक माहौल में जहां किसी भी टिपण्णी पर लोग टूट पड़ते हैं उसके लिए कुछ किस्से कहानी जानना समझना चाहिए .वर्ष 1963 में उत्तर प्रदेश में तीन उप चुनाव हुए फर्रुखाबाद ,अमरोहा और जौनपुर .फर्रुखाबाद से डा राममनोहर लोहिया लड़ रहे थे तो जौनपुर से जनसंघ के दीन दयाल उपाध्याय और अमरोहा से आचाय जेबी कृपलानी .ये विपक्ष की रणनीति थी .सुचेता कृपलानी मुख्यमंत्री थी कांग्रेस की .सीबी गुप्ता ने उन्हें आदेश दिया ,जाओ अमरोहा में अपने पति आचार्य कृपलानी को हराओ .वे गई भी सभा भी की पर हरा नहीं पाई .पर इसे लेकर कोई तनाव नहीं हुआ . 
आचार्य तबतक बनारस से लखनऊ आ चुके थे .मुख्यमंत्री निवास में ही रहते थे जो आज के गौतम पल्ली में था .मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी पांच कालीदास से दफ्तर चलाती थी .एक सुबह समाजवादी नेता सत्य देव त्रिपाठी आचार्य कृपलानी से मिलने पहुँच गए .मुख्यमंत्री आवास होगा पर समाजवादियों को क्या इससे लेना देना .वे सीधे आचार्य के कमरे में धड़ धडाते पहुँच गए .आचार्य मालिश करा रहे थे .मालिश कर रहीं थी सुचेता कृपलानी .यह देख सत्य देव त्रिपाठी वापस लौटने लगे तो आचार्य कृपलानी जोर से बोले ,अरे साला लोग हर जगह सीधे चला आता है देखता तक नहीं .खैर कहां रहते हो .सत्य देव त्रिपाठी बोले ,अभी तो हास्टल में रहता हूं बटलर हास्टल में .कोई घर कहां है .आचार्य अब सुचेता कृपलानी से बोले ,सुचेता ये लड़का लोग कहां रहेगा इन्हें घर दिलाओ .एक कमरा पंखा वाला चाहिए .सत्य देव त्रिपाठी लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे .सुचेता कृपलानी कांग्रेसी मुख्यमंत्री रही पर राजनीति का शिष्टाचार जानती थी .तुरंत नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक राजीव रतन शाह को फोन लगाया .कहा ,शाह सत्य देव त्रिपाठी को फ़ौरन एक कमरा वाला घर आवंटित करो ,पंखा और बाथरूम वाला .तीन बजे तक हमें बता दो कि कहां दिया है . 
और सत्य देव त्रिपाठी जब राजीव रतन शाह से मिलने गए तो वे बोले ,मुझसे ही कह देते मुख्यमंत्री से कहने की क्या जरुरत थी .दरअसल वे उन्हें पहले से जानते थे .फिर बताया पेपर मिल कालोनी में आपको एक कमरे का घर दे दिया है ,पंखा लग रहा है .कल कब्ज़ा ले लीजिये .किराया 97 रुपये पड़ेगा .और किस्से अगली क़िस्त में   
 

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