डॉ. शारिक़ अहमद ख़ान
आज सुबह की सैर करते हुए जनरल वाली कोठी की तरफ़ चले गए.ये कोठी अवध के नवाब सआदत अली ख़ान के दौर में लखनऊ में बनी.नवाब की सेना के जनरल यहाँ रहने लगे लिहाज़ा ये 'जनरल वाली कोठी' कही जाने लगी.कोठी गोमती नदी के किनारे बनी थी.
इसकी ख़ासियत ये है कि ये कोठी उस दौर की इंडो-यूरोपियन स्थापत्य शैली का नमूना है,जिसे आज गोल मेहराब कहा जाता है वो दरअसल 'घोड़े की नाल' नाम की मेहराब होती है जो इस कोठी की ख़ासियत है,वरना इसके पहले नवाबी दौर में इमारतों की मेहराबें पहले घोड़े की नाल के आकार की नहीं हुआ करतीं.कोठी के भीतर का गोल कमरा विशाल है.इसमें यूरोपियन शैली के आतिशदान और रोशनदान हैं.
जब सन् अट्ठारह सौ सत्तावन की जंग हुई तो अंग्रेज़ों ने इस कोठी पर भी हमला किया जिसकी वजह से कोठी को बहुत नुकसान हुआ.जब अंग्रेज़ों ने अवध पर क़ब्ज़ा जमा लिया तो क्षतिग्रस्त हुई इस कोठी की मरम्मत करायी.मरम्मत के बाद अंग्रेज़ों ने यहाँ अंग्रेज़ी पुलिस विभाग का ऑफ़िस खोल दिया,तब ये कोठी अंग्रेज़ एसपी की कोठी के नाम से पहचानी जाने लगी.जब सर हरकोर्ट बटलर गवर्नर हुए तो उन्हें पुरानी इमारतों के संरक्षण का बहुत शौक़ था,एक दिन सर हरकोर्ट बटलर की नज़र इस कोठी पर पड़ गई,उन्होंने पुलिस विभाग को कोठी फ़ौरन ख़ाली करने का आदेश दिया और कोठी को संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग को सौंप दिया.तब से ये पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है.कोठी परिसर में शांति रहती है लिहाज़ा हमने आज इसे मुफ़ीद जगह मान सुबह जमकर कसरत की.
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