अल्मोड़ा जेल की नेहरु बैरक में कुछ घंटे

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

अल्मोड़ा जेल की नेहरु बैरक में कुछ घंटे

अंबरीश कुमार  
अल्मोड़ा . कोई भला जेल जाता है घूमने के लिए.अमूमन लोग कहेंगे बिलकुल नहीं .पर मैं गया और परिवार समेत गया .क्योकि नेहरु कौन थे ,यह अपने छोटे बेटे और उसके दोस्त को बताना था .नेहरु ने इस देश के लिए क्या किया वह समझाना था .दरअसल नई शिक्षा व्यवस्था की कमान आईटी सेल और व्हाटशप विश्विद्यालय के हाथ में भी है .ये अल्मोड़ा का वह जेल है जहां पंडित जवाहर लाल नेहरु दो बार कैद रहे .लिखते थे ,पढ़ते थे और चरखा पर सूत कातते थे . उनका लिखा लोग बहुत कम पढ़े होंगे .डिस्कवरी से लेकर इंदिरा गांधी को लिखे पत्र तक .वे और भी जेलों में रहे .इस बार अल्मोड़ा गया तो बेटे को यह जेल दिखाने ले गया जहां आजादी के इतिहास का कुछ पन्ना रखा हुआ है . 

ये वही अल्मोड़ा का वह जेल है जहां वे दो बार कैद रहे .लिखते थे ,पढ़ते थे और चरखा पर सूत कातते थे .  उनका लिखा ख़ास विचारधारा वाले लोग बहुत कम पढ़े होंगे .डिस्कवरी से लेकर इंदिरा गांधी को लिखे पत्र तक .वे और भी जेलों में रहे .इस बार अल्मोड़ा गया तो बेटे को यह जेल दिखाने ले गया जहां आजादी के इतिहास का कुछ पन्ना रखा हुआ है .जेलर ने जिस सिपाही को भेजा वह बैरक दिखाते हुए बोला  ,अब कहां इस तरह के नेता होते हैं जिनसे कोई प्रेरणा ले .इतिहास को तोड़े मरोड़े पर एक बार ऐसी जगहों को अपनी दूसरी पीढ़ी को जरुर दिखाएं .जेल में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले बहुत से नेताओं का नाम लिखा था पर इनके स्कूल का कोई भी नहीं था . 
अल्मोड़ा की इसी बैरक में लिखे कई और नाम भी मिले .समाजवादी चिंतक आचार्य नरेंद्र देव भी इसी बैरक में रहे .यह इतिहास है जिसपर हम गर्व करते हैं .नेहरु जी की बैरक में उनका पलंग ,कंबल चरखा आदि आदि .बेटे अंबर को दिखाने लाया था . 
यह कमरा देख रहे हैं यह नेहरु बैरक का कमरा था .वही पलंग वही कुर्सी और वही चरखा .नेहरु यहीं बैठकर पढ़ते लिखते थे .चरखा चलाते थे और इसी पलंग पर सोते थे .वह कंबल भी है यह अपना इतिहास है .इतिहास को तोड़े मरोड़े पर एक बार ऐसी जगहों को अपनी दूसरी पीढ़ी को जरुर दिखाएं . 
भवाली से अल्मोड़ा करीब दो ढाई घंटे का ही रास्ता है .हालांकि हम लोग मुक्तेश्वर की तरफ से गए थे .दरअसल जाना तो अनाशक्ति आश्रम कौसानी था पर जानबूझकर अल्मोड़ा होते हुए गए .दो वजह थी .एक सामाजिक कार्यकर्त्ता और अपने अखबार जनसत्ता के अल्मोड़ा संवाददाता शमशेर सिंह बिष्ट से मिलना और फिर अल्मोड़ा जेल में नेहरु बैरक देखना .बिष्ट साहब पिछली बार जब रामगढ़ घर पर आए तो बुलाया भी था .इस वजह से अल्मोड़ा होकर ही जाना था .एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है इतिहास का जो पास के भवाली में है .कमला नेहरु सेनोटोरियम .कमला नेहरु का यहीं पर टीबी का इलाज चल रहा था .नेहरु को देहरादून जेल से अल्मोड़ा शिफ्ट कर दिया गया था ताकि वे कमला नेहरु से मिलने जा सकें .नेहरु ने भवाली में कमला नेहरु ,उनकी बिमारी और अपनी आशंका के बारे में विस्तार से लिखा भी है .जारी 
 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :