रीता तिवारी
कोलकाता. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के दूसरे नेता भले 42 में से कम से कम 23 सीटें जीतने के दावे करें, पश्चिम बंगाल में भाजपा की राह आसान नहीं है. इसकी वजह यह है कि हाल के वर्षों में पार्टी का प्रदर्शन भले निखरा हो और उसने कांग्रेस और माकपा के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए उनको हाशिए पर धकेल दिया हो, वह अब तक तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध तो दूर खरोंच तक नहीं लगा सकी है. असके साथ ही भाजपा को अपनी सागंठनिक कमजोरी से भी जूझना पड़ रहा है. बंगाल के लोकसभा चुनावों को भाजपा नेता सेमीफाइनल मान कर चल रहे हैं. उनके मुताबिक, फाइनल 2021 का विधानसभा चुनाव है. उसमें भाजपा ममता बनर्जी सरकार को सत्ता से हटाने के सपने देख रही है.
पश्चिम बंगाल के उत्तरी हस्से में शुरुआती दौर में लोकसभा की सीटों पर होने वाले बंपर मतदान से तमाम राजनीतिक दल बमबम हैं. तृणमूल कांग्रेस से लेकर भाजपा तक सब इस मतदान को अपने-अपने तरीके से भुना रहे हैं. हालांकि यह उस इलाके के लिए कोई नई बात नहीं है. फिर भी भाजपा इसे अपनी लहर बताते हुए दावा करती फिर रही है कि अबकी उसे कम से कम 30 सीटें मिल जाएंगी. यह बात अलग है कि अपनी हालत को समझते हुए वह पहले चरण से ही राज्य के तमाम मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग उठाती रही है.
पहले तो उसे तमाम सीटों पर उम्मीदवार तलाशने में भी भारी मशक्कत करनी पड़ी. पार्टी का प्रदेश नेतृत्व पहले तो दावे कर रहा था कि एक-एक सीट के लिए 60 से 70 दावेदार मैदान में हैं. लेकिन उसका यह दावा हवाई ही साबित हुआ. तृणणूल कांग्रेस और माकपा से आने वाले नेता नहीं होते तो शायद पार्टी को ढंग के एक दर्जन भी उम्मीदवार नहीं मिलते. लेकिन इन तमाम दलबदलुओं को टिकट देने की वजह से पार्टी को जमीनी स्तर पर बगावत और असंतोष का भी सामना करना पड़ा.
बंगाल की 42 लोकसभा सीटों के लिए कांटे की लड़ाई में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी), बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ, नागरिकता (संशोधन) विधेयक और भ्रष्टाचार ही सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर उभरे हैं. भाजपा इन मुद्दों के सहारे जहां बंगाल में अपनी सीटों की तादाद बढ़ाने में जुटी है वहीं मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा, संघ औऱ कांग्रेस पर लगातार तीखे हमले कर रही हैं.
तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के तमाम नेता इनके अलावा रोजगार पैदा करने, अल्पसंखय्कों के तुष्टीकरण औऱ बालाकोट हमलों का भी जिक्र कर रहे हैं. ममता अपनी तमाम रैलियों में दावे करती रही हैं कि अबकी लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र सरकार के गठन में तृणमूल कांग्रेस की भूमिका अहम होगी. उन्होंने अबकी राज्य की सभी 42 सीटें जीतने का भी दावा किया है. दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बंगाल में अपनी तमाम रैलियों में एनआरसी लागू करने का वादा कर रहे हैं. लेकिन ममता ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर इसकी अनुमति नहीं देंगी. अमित शाह हों या फिर नरेंद्र मोदी, पार्टी के तमाम शीर्ष नेता अपनी रैलियों में ममता, उनकी पार्टी और राज्य में कथित भ्रष्टाचार व गुंडाराज का मुद्दा उठाते रहे हैं. भाजपा ने ममता पर बांग्लादेशी घुसपैटियों का वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए ममता को राज्य के विकास की राह में एक स्पीडब्रेकर बताया था. उसके जवाब में ममता ने उनको एक्सपायरी बाबू का नाम दिया है. ममता का आरोप है कि नागरिकता विधेयक और एनआरसी के जरिए अपने ही देश के नागरिकों को विदेशी घोषित करने की साजिश चल रही है. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि इन चुनावों में भ्रष्टाचार, एनआरसी, घुसपैठ और राज्य में लोकतंत्र की बहाली ही पार्टी के प्रमुख मुद्दे हैं.
अब तीसरे चरण की पांच सीटों से पहले तमाम दल अपनी जीत के दावे करने में जुटे हैं. इनमें भाजपा सबसे आगे है. इस चरण में कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस और माकपा की साख भी दांव पर है. इन पांच में से वर्ष 2014 में तीन सीटें कांग्रेस को मिली थीं और बाकी एक-एक माकपा व तृणमूल को. इस लिहाज से कांग्रेस के सामने अपनी इन सीटों को बचाने की चुनौती है. लेकिन मालदा उत्तर सीट पर वर्ष 2009 औऱ 2014 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाली मौसम नूर ने चुनावों से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया और अबकी उसी के टिकट पर मैदान में हैं. मालदा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के अबू हाशेम चौधरी अबकी हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में उतरे हैं. उन्होंने वर्ष 2009 में 1.36 लाख वोटों के अंतर से यह सीट जीती थी और 2014 में 1.64 लाख के अंतर से.
इसबीच, भारी मतदान से उत्साहित होकर भाजपा ने राज्य की 42 में से 30 सीटें जीतने का दावा कर दिया है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय नेता का दावा है कि राज्य में पार्टी के जबरदस्त जमीनी लहर है और उसे 42 में से 30 सीटें तक मिल सकती हैं. उनका कहना है कि पार्टी नेतृत्व को यहां लगभग 23 सीटें जीतने की उम्मीद थी. लेकिन ताजा राजनीतिक परिस्थिति और भाजपा के पक्ष में लहर को ध्यान में रखते हुए अब 30 सीटें तक संभव है. विजयवर्गीय ने दावा किया कि लोकसभा चुनावों के बाद तृणणूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो जाएंगे और राज्य सरकार छह महीने के भीतर गिर जाएगी. भाजपा ने राज्य को संवेदनशील करार देते हुए चुनाव आयोग से तमाम मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों को तैनात करने और सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है. विजयवर्गीय ने कहा है कि अगर तमाम मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों को तैनात नहीं किया जाता तो निष्पक्ष चुनाव लगभग असंभव है.
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