हफीज किदवई
वह राहुल से घबराते हैं . आप राहुल गाँधी को भले ही सुनना नही चाहें मगर जिनको पता है कि वह क्या कह रहे हैं, वह चीखने लगते हैं . राहुल गाँधी के शब्द अगर सत्तापक्ष को रुलबुक देखनेपर मजबूर कर दें,तो समझ लीजिए कि उन्होंने कहाँ पर चोट की है .
राहुल ने आंदोलन में गुज़र चुके किसानों के लिए सदन में मौन रख लिया और रखवा लिया,क्या यह सामान्य बात है . जब सत्ताधीश कहते हैं की कोई तो हमें कानून की कमियां बतलाए,तब जब राहुल एक एक करके कमियाँ बताते हैं तो उन्हें चुप कराने का शोर होता है . जब कहा जाता है कि कृषि पर दिनभर सदन में बात हो,तो बात करने से मुँह चुराया जाता हो,ऐसे में राहुल का यह रास्ता सही रास्ता है .
आप उन्हें सुनिए,उनमें कलाकारी नही है और आप भी इतने कलाप्रेमी मत बनिये . कई बार सच्ची बातें सादे तरीकों से सुनने की आदत डालिये,क्योंकि सच्ची बातें सीधे ही सीधे कही जाती हैं . आज राहुल को सुनिए,इनपर भी बात कीजिये और बताइये की क्या अब भी कानून की कमियां आपको समझ नही आ रही हैं .
आप यह भी देखिये राहुल को दिनभर उल्टा सीधा बोलने वाले, राहुल को बोलते देख कैसे बिदकते हैं
असल में उन्हें बोलता राहुल नही पसन्द है क्योंकि जानते हैं की अगर कोई ने भी इसे ध्यान से सुन लिया,तो उसपर उनका जादू कैसे असर करेगा . बोलता राहुल डराता है,वह जानते हैं कि उसके मुंह से निकला 'हम दो-हमारे दो' ऐसा चस्पा होगा की भविष्य में भी उन्हें याद दिलाया जाएगा .
हम सब जब देश के तमाम सांसदों की बाते चलाते हैं,सभी के भाषणों पर खुश होते हैं . उनके बेहतरीन भाषणों को आगे बढ़ाते हैं, तो राहुल के इस सम्बोधन कोभी आगे बढ़ाना चाहिए,जिसने बड़ी ही आसान आम फ़हम भाषा मे सब समझा दिया और अंत में हमारे किसान भाई जो इस दुनिया में नही रहे,उनको भी श्रद्धांजलि दे दी....
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