वे सांसदों की विदाई पर रोये पर दो सौ किसान की मौत पर

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वे सांसदों की विदाई पर रोये पर दो सौ किसान की मौत पर

नई दिल्ली. वे सांसदों की विदाई पर रोये पर दो सौ किसान की मौत पर खामोश .वे साहब यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी . मंगलवार को राज्यसभा में चार सांसदों के कार्यकाल पूरा होने पर विदाई भाषण दिया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद पर बोल रहे थे तभी वह भावुक हो गए और वो रो पड़े.  पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कहा कि 'मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद इस पद को जो संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्‍कत पड़ेगी. क्‍योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे लेकिन देश की और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे. यह छोटी बात नहीं है, यह बहुत बड़ी बात है. मैं शरद पवार जी को भी इसी श्रेणी में रखता हूं. 

'मुझे याद है कि कोरोना काल में मैं फ्लोर लीडर्स की मीटिंग कर रहा था, उसी दिन गुलाम नबी जी का फोन आया कि सभी पार्टी नेताओं की बैठक जरूर कीजिए. मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने मुझे सुझाव दिया और मैंने उनके कहने पर बैठक की भी.' 

पीएम मोदी ने कहा, 'शायद ही कोई ऐसी घटना हो जिसमें हम दोनों के बीच कोई संपर्क सेतु न रहा हो. एक बार आतंकियों ने हमला कर दिया, करीब आठ लोग मारे गए थे. सबसे पहले मुझे गुलाम नबी जी का फोन आया. और वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था, उनके आंसू रुक नहीं रहे थे. फोन पर ही. उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस मिनिस्‍टर थे. मैंने उनको फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए. डेड बॉडी लाने के लिए. उन्‍होंने कहा चिंता मत कीजिए. लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया. वे एयरपोर्ट पर थे. यह कहते हुए पीएम भावुक हो गए. पीएम मोदी ने इसके बाद पानी पीया और फिर माफी मांग कर एक बार फिर रुंधे गले से भाषण पूरा किया. 

उन्होंने आगे कहा, 'एयरपोर्ट से ही उन्‍होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्‍य की चिंता करेंगे, वैसी चिंता.... ' पीएम मोदी ने कहा पद और सत्ता जीवन में आते रहते हैं लेकिन उसे कैसे पचाना है....और इसके बाद पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद की तरफ देखते हुए सैल्यूट किया. दूसरे दिन सुबह फिर फोन आया कि मोदी जी सब लोग पहुंच गए. इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभव के आधार पर मैं आदर करता हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना उन्हें चैन से बैठने नहीं देंगे.  

बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी भाषण के दौरान रो पड़े हों. साल 2014 के बाद पहले कार्यकाल में वह अमेरिका में फेसबुक मुख्यालय पर एक संवाद के दौरान अपनी मां पर बोलते हुए रो पड़े थे. इसके बाद से वह कई बार रो चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी के बार-बार भावुक हो जाने पर अब सोशल मीडिया पर तंज भी कसे जाने लगे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स सवाल कर रहे हैं कि डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है उस पर प्रधानमंत्री भावुक नहीं हुए लेकिन चार सांसदों की विदाई पर भावुक हो गए. 

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