किसानों से खौफजदा सरकार

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किसानों से खौफजदा सरकार

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली. दिल्ली ने गौकुशी के खिलाफ साधुओं का आन्दोलन देखा, 1974-1975 में जय प्रकाश नारायण का आन्दोलन देखा, निर्भया रेप केस के बाद जबरदस्त अवामी गुस्सा देखा, बी.जे.पी और आर.एस.एस की मदद से ड्रामेबाज अन्ना हजारे का आन्दोलन और मोदी के गुलाम व्यापारी रामदेव का आन्दोलन देखा लेकिन उस वक्त की सरकारें कभी भी ना तो आन्दोलन करने वालों से खौफजदा हुई न ही लोगों को दिल्ली पहुँचने से रोकने के लिए दिल्ली की इस किस्म की बाड़ेबंदी की जैसे आज कल मोदी सरकार और उससे भी ज्यादा दिल्ली पुलिस ने किया है. आखिर अपनों से इतना खौफ क्यां? दरअस्ल खौफ की वजह सिर्फ और सिर्फ बदनियती है जो वह थैलीशाहों मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को फायदा पहुँचाने के लिए दिखाई जा रही है. सरकार इतनी पैनिक है कि हालीवुड की सिंगर रिहाना ने किसानों की हिमायत में ट्वीट कर दिया तो उसका जवाब देने के लिए होम मिनिस्टर अमित शाह और वजारते खारजा सब मैदान में आ गए. किसी ने यह नहीं सोचा कि रिहाना के भले ही दस करोड़ दस लाख ट्वीटर फालोअर हों उसकी इतनी हैसियत नहीं है कि उनके एक ट्वीट के जवाब देने के लिए पूरी भारत सरकार मैदान में उतर आए, यह कार्रवाई तो रिहाना की हैसियत बढ़ाने वाली है. तीस जनवरी को भारतीय किसान यूनियन के लीडर राकेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी के उनके और पूरी किसान बिरादरी के साथ धोकेबाजी का जिक्र करते हुए आंसू बहा दिए तो उनके आसुओं में मोदी और योगी दोनों की सरकारों का घमंड बह गया. इसके बाद उत्तर प्रदेश में आठ जिलों के अलावा बीजेपी के गढ़ हरियाणा के जींद व राजस्थान के दौसा समेत इक्कीस किसान पंचायतें हो गई. इन पंचायतों में दो से तीन लाख तक किसान शामिल हुए. सिंघु बार्डर,गाजीपुर और टीकरी बार्डर में आन्दोलन करने वाले काश्तकारों की तादाद में रोजाना हजारों का इजाफा हो रहा है. इस हकीकत के बावजूद सरकार अपनी आखों पर घमंड का चश्मा चढ़ाए हुए किसानों के खिलाफ कार्रवाई  करने पर गौर करती दिख रही है. सरकार और बीजेपी आई.टी सेल के प्रोपगाण्डिस्ट अभी भी यही कह रहें है चंद लोग आन्दोलन कर रहे हैं. सिघू, टीकरी और गाजीपुर बार्डर पर बैठे किसानों की बिजली और पानी भी काट दिया गया है. सरकार की यह जालिमाना कार्रवाइयां तब हो रही हैं जब तकरीबन ढ़ाई महीनों से आन्दोलन करने वाले किसानों की जानिब से हिंसा की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

यह सरकार और दिल्ली पुलिस का खौफ ही है कि किसानों के मजाहिरों की सभी जगहों पर इंटरनेट कनेक्शन काट दिया गया है. गाजीपुर बार्डर हो, सिंघू बार्डर हो या टीकरी हर जगह दिल्ली पुलिस ने जिस अंदाज में बैरीकैडिंग की है वैसी बैरीकैडिंग तो पाकिस्तान और चीन की सरहद पर भी कभी नहीं की गई. दीवारें खड़ी कर दी गई हैं, सड़कों पर बड़ी बड़ी कीलें लगाई गई हैं, हाई-वे को खोद दिया गया है ऊपर से कटीले तार की भी बाड़ लगा दी गई है. इस किस्म की बैरीकैडिंग देख कर सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशां तक में भारत का मजाक उड़ाया जा रहा है, लेकिन तिल का पहाड़ बनाने में हमेशा से माहिर रही दिल्ली पुलिस ने यह सारा बंदोबस्त निहत्थे और पूरी तरह अहिंसक रहने वाले किसानों के खिलाफ किया है. जिस दिन से इस किस्म की बैरीकैडिंग की गई है उसी दिन से किसानों का पानी भी रोक दिया गया है क्योंकि पानी टैंकरों के लिए रास्ता ही नहीं बचा है. पी.एम मोदी हो या होम मिनिस्टर दोनों ही सियासी घाघ हैं. मोदी खुद लोकसभा में कह चुके हैं कि उन्हें कुछ आता हो या ना आता हो उन्हें सियासत आती है. यह कौन सी सियासत है जिसमें दिल्ली पुलिस अपनी कार्रवाइयों के जरिए हर तरफ सरकार का मजाक उड़वा रही है और सियासत के घाघ कहे जाने मोदी व अमित शाह उसे देख रहे हैं. जिस दिन से दिल्ली पुलिस ने इस किस्म की बाड़बंदी शुरू की है उसी दिन से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड और राजस्थान से रोजाना हजारों किसान आन्दोलन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं अब तक जो इक्कीस किसान पंचायतें हुई हैं सभी में लाखों किसानों ने शिरकत की है।

पार्लियामेंट में भी तकरीबन सभी अपोजीशन पार्टियों के लीडरान ने दिल्ली में हुई किलेबंदी पर सख्त एतराज किया राज्य सभा में लीडर आफ अपोजीशन गुलाम नबी आजाद ने कहा कि काश्तकारों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव अच्छी बात नहीं है. उन्होने कहा कि सरकार को तीनों किसान कानून वापस ले लेना चाहिए. क्योंकि देश की तारीख गवाह है कि किसानों ने जब-जब आंदोलन किया है हर बार सरकार को ही झुकना पड़ा है. उन्होने कहा कि पीएम मोदी को उनके अपने गुजरात के खेड़ा का किसान आंदोलन जरूर याद होगा उसमें सरकार को ही झुकना पड़ा था. उसके अलावा पंजाब और चम्पारण के भी किसान आंदोलन में सरकार को ही झुकना पडा था. आखिर में उत्तर प्रदेश में वीर बहादुर सिंह की कांग्रेस और राजनाथ सिंह की बीजेपी सरकारों में चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने आंदोलन किया था, दोनों बार सरकार ही झुकी थी. समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि उन्होने तो पाकिस्तान बार्डर भी देखा है ऐसी बाडे़ बंदी तो वहां भी कभी नहीं हुई.

दिल्ली पुलिस के इण्टरनेट बंद करा देने की वजह से आधे से ज्यादा हरियाणा के बच्चों का कैरियर खराब हो रहा है, आज कल बोर्ड के इम्तेहान चल रहे हैं पूरी पढाई और अब इम्तेहानात आनलाइन हो रहे हैं जब इण्टरनेट ही नहीं है तो न तालीम हो पाई और न इम्तेहान दे पा रहे हैं. हरियाणा और पच्छिमी उत्तर प्रदेश के वह करीबी गांव जहां से लोग दिल्ली नौकरी करने आते हैं वह हाई वे पर बैरिकेटिंग की वजह से गांवों के रास्तों से घूम फिर कर दिल्ली पहुच जाते थे अब दिल्ली पुलिस ने उन रास्तों को भी बंद कर दिया है. इस किस्म की बैरिकेटिंग और सत्ताइस जनवरी से इंटरनेट बंद होने की खबरें इण्टरनेशनल मीडिया में छायी हुई हैं. इसके बावजूद सरकार, बीजेपी और उनका गुलाम मीडिया यह कह रहा है कि कोई हमारे देश के अंदरूनी मामलात में दखल न दे.

जदीद मरकज़ 

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