गुवाहाटी .असम में चुनाव के चलते जुबानी जंग तेज होती जा रही है .राज्य के स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा मुसलमानों पर आरोप लगाया हैं कि वे असमिया संस्कृति को बिगाड़ना चाहते हैं.हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनाव जीतने के लिए असम में बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय के वोटों की ज़रूरत नहीं है. सरमा ने उन पर “असमिया संस्कृति, भाषा, समग्र भारतीय संस्कृति को खुले तौर पर चुनौती देने का आरोप लगाया.
सरमा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “उन्होंने खुद को मियां के रूप में पहचानना शुरू कर दिया है. ये तथाकथित मियां लोग बहुत ही सांप्रदायिक और मौलिक हैं और वे असमिया संस्कृति और असमिया भाषा को विकृत करने के लिए कई गतिविधियों में शामिल हैं. सरमा ने कांग्रेस से भी आग्रह किया है कि वह भी ऐसा न करें. इसलिए, मैं उनके वोट से विधायक नहीं बनना चाहता. अगर वे मुझे वोट देते हैं तो मैं विधानसभा में नहीं बैठ पाऊंगा.”
मंत्री ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी उन लोगों को टिकट नहीं देगी जो खुद को मियां मुस्लिम के रूप में प्रस्तुत करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि हालाँकि कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के साथ गठबंधन किया है, जो बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय में एक बड़ा आधार रखती है, हेमंत बिस्वा सरमा का मानना है कि इस समर्थन आधार से भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
सरमा का सांप्रदायिक भाषण यहीं समाप्त नहीं हुआ, उन्होंने उन्हें वर्गीकृत किया और कहा, “जब हम असम में मुसलमानों की बात करते हैं, तो ये दो प्रकार के होते हैं - एक तो स्वदेशी असमिया मुसलमान हैं, जो आमतौर पर भाजपा को वोट देते हैं और भले ही वे वोट न दें हमारे लिए, वे हमारी संस्कृति और विरासत से जुड़े हुए हैं ... जबकि दूसरी श्रेणी उन लोगों की है, जिनका एनआरसी में अपना नाम भी ठीक से नहीं है.इंडियन एक्सप्रेस ने भी उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया, असम सरकार NRC को अपडेट करने के लिए एक नए अभियान की शुरुआत के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति का इंतजार कर रही है."
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