कील कौन ठोक रहा है,लोग जानते हैं

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कील कौन ठोक रहा है,लोग जानते हैं

अरुण दीक्षित

 आपका बहुत बहुत शुक्रिया,आभार और अहसान दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव जी!आपने मीडिया को कटघरे में खड़ा करते हुये यह बता दिया कि दिल्ली की सड़कों पर जो भाले ठोके जा रहे हैं,खन्दक खोदे जा रहे हैं,कंक्रीट की दीवारें खड़ी की जा रही हैं उनकी एक बजह मीडिया भी है.आपके मुताविक अगर मीडिया 26 जनवरी को यह सवाल उठाता कि किसान बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में क्यों घुसे, पुलिस कर्मियों पर ट्रेक्टर क्यों चढ़ाए तो शायद आप दिल्ली की सड़कों पर खन्दक न खुदवाते!भाले न गड़बाते!एक पत्रकार के सवाल पर आपने जो अतिसंक्षिप्त उत्तर दिया उसका वास्तविक अर्थ यही था.आपने सवाल पर सवाल दागते हुए कहा-आपने तब कोई सवाल क्यों नही उठाया जब 26 जनबरी को बैरिकेड थोड़े गए!पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाए गए.अब हम अपने बैरिकेड मजबूत कर रहे हैं.

श्रीवास्तव जी न तो आप पहले ऐसे अफ़सर हैं और न ही शायद आखिरी होंगे,जिन्होंने ऊपर से मिले आदेशों को भगवान का आदेश मानकर पालन कराया.लेकिन आपसे पहले दिल्ली पुलिस की अगुआई आप जैसे किसी आईपीएस अफसर ने नही की!आने वाले दिनों के लिए आप मिसाल बनोगे या फिर हँसी के पात्र,यह मैं नही कह सकता लेकिन इतना तय है कि किसान भले ही आपको भूल जाएं पर आपके साथ और आपके मातहत काम करने पुलिस अफसर और कर्मचारी आपको हमेशा याद रखेंगे!

 आप कुछ भी कहें या कोई कारण बताएं,सब यह जान रहे हैं और समझ रहे हैं कि आपने दिल्ली की सड़कों पर भाले किसके आदेश पर ठुकबाये हैं.आपकी कोई सफाई काम आने वाली नही है.

 आपने 26 जनबरी की घटना की जो आड़ ली है,उसका सच पूरी दुनियां जानती है.उस दिन जो कुछ हुआ वह पूरी दुनियां ने देखा था.मैं उस घटना का पक्षधर नही हूँ,न ही उसे उचित मानता हूं!लेकिन मैं यह भी जानता हूँ कि उस दिन अगर आपने दूरदर्शिता दिखाई होती तो यह स्थिति ही नही बनती.आपका एक पुलिस अधिकारी के तौर पर लंबा अनुभव है.आप अच्छी तरह से जानते होंगे कि ऐसे आंदोलनों में क्या हालात बनते हैं.अगर आप चाहते तो आप यह सब होने से रोक सकते थे.लेकिन आप तो कुछ और ही चाहते थे.और वही हुआ जो अपने और आपकी टीम ने होने दिया!

 कमिश्नर साहब यह सरकारी आंकड़ों में दर्ज है कि आप जून 2021 में पुलिस सेवा अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा कर लेंगे. बहुत बड़ी संभावना इस बात की है कि आपको इनाम के तौर पर बड़ा पद मिले!किसी राज्य के उपराज्यपाल बना दिये जायें या फिर किसी बड़े आयोग के अध्यक्ष पद से नवाजे जायँ, या फिर कोई और बख्शीश मिले.इसका इलहाम तो आपको होगा ही.

 लेकिन एक बात तय है कि आपने अलिखित ऊपरी आदेश का पालन करने के लिये दिल्ली में जो कुछ करबाया है उससे पूरी दुनियां में दिल्ली पुलिस और उसे चलाने वाली सरकार की बदनामी हुई है.आप कुछ भी कहें,मीडिया या किसी की भी आड़ लें,आपके कहे पर कोई यकीन नही करने वाला.सबको पता है कि कौन करवा रहा है!किसका आदेश चल रहा है!यह तथ्य इतिहास में दर्ज हो गया है.

 मेरा एक निवेदन और है!जितनी शिद्दत से आपने किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने,मीडिया कर्मियों को किसानों तक पहुंचने तथा उनकी रसद आपूर्ति को रोकने की व्यवस्था की है उसमें से थोड़े से हिस्से से कभी अपनी फोर्स पर भी नज़र डाल लेना.अभी आपके पास कई महीने हैं.यह पता करा लेना कि दिल्ली के करीब 200 थानों में हालात कैसे हैं.क्या मूलभूत सुविधाएं पुलिस कर्मियों को मिल रही हैं.क्या थानों की दीवार पर लिखा और क्या असलियत में मौजूद है.कभी यह भी सोचना जो पैसा भालों ,बर्छियों और खंदकों पर खर्च किया वह अगर इनकी बेहतरी के लिए खर्च किया गया होता तो आपको दिल्ली पुलिस आपको कैसे याद रखती.

 मुझे यह पता नही है कि मैं जो लिख रहा हूँ उसे आप कभी पढ़ेंगे!लेकिन मुझे उम्मीद है कि मेरी बात आपको बुरी नही लगेगी.

 हार्दिक शुभकामनाओं के

साथ!

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