अंबरीश कुमार
करीब दस बजे नाश्ता कर बाहर निकले तो बादल उमड़ रहे थे और तेज हवा से चीड ,देवदार और बलूत के पेड लहरा रहे थे . नई टिहरी में ऊपर की तरफ चीड़ और देवदार के घने जंगल है पर नीचे उतरते ही लगा सीमेंट के जंगल की और जा रहे है . बहुत तीखे मोड़ और ढलान से नीचे उतरते उतरते बरसात मूसलाधार हो चुकी थी . गंगा के किनारे किनारे जा रही तेज रफ़्तार मारुती वैन में अचानक ब्रेक लगा गाड़ी एकदम से १८० डिग्री घूम कर सड़क के जिस किनारे पर पहुंच गई अगर एक फुट भी आगे बढती तो सब गंगा में समां जाते . अब ड्राइवर को ढंग से समझाने के बाद तय किया उत्तरकाशी से अम्बेसडर कार से आगे की यात्रा करेंगे जो एक तो भारी गाड़ी है दुसरे इतनी रफ़्तार से भी नहीं चलाई जाती .
गढ़वाल में जंगल कट जाने की वजह से पहाड़ी रास्ते वैसे ही खतरनाक होते है और जब बरसात हो रही हो या बर्फ गिर चुकी हो तो इस पर चलना बहुत खतरनाक होता है . उत्तरकाशी तक एक तरफ पहाड़ और बचे खुचे जंगल थे तो सामने से आती गंगा जिसका शोर भी कई जगह सुनाई पड़ रहा था . बरसात और हवा ने ठंड और बढ़ा दी थी . उत्तरकाशी में अपनी भांजी के घर पहुंचने पर ही इस ठंढ से राहत मिली . कमरे में फायर प्लेस की लकडियां जला दी गई थी और हम चाय के साथ उसके आगे जम चुके थे .फोटो साभार जारी
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