किसानों के साथ बड़ी साजिश

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किसानों के साथ बड़ी साजिश

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! छब्बीस जनवरी को किसानों ने दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर टै्रक्टर रैली निकाली उसमें दिल्ली पुलिस और बीजेपी के कुछ लोगां ने गहरी साजिश रच कर किसान आंदोलन को बदनाम करने में कामयाबी हासिल ही कर ली.दीप सिद्धू नाम का एक पंजाबी फिल्मों का अदाकार और एक माफिया सरगना लक्खा सिधाना इन दोनों ने साजिश करके सुबह आठ बजे ही रैली निकाल दी, जबकि रैली निकालने का वक्त उसके चार घंटे बाद था.इन्हीं दोनों ने टै्रक्टर रैली को लाल किले तक पहुचाया और सामने खड़े होकर लाल किले पर निशान साहब का झण्डा फहरवा दिया.चूंकि इन दोनों को दिल्ली पुलिस का प्लाण्ट बताया जा रहा है, शायद इसीलिए दिल्ली पुलिस ने कई वीडियो व दीगर सबूत होने के बावजूद खबर लिखे जाने तक इन दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी.हालांकि जब दीप सिद्धू सिंघु बार्डर पर पहुचा था तो किसानों ने उसे दौड़ा लिया था.पच्चीस जनवरी की रात में सिद्धू और लक्खा ने कुछ नौजवान किसानों के साथ अलग मीटिंग करके तय कर लिया था कि वह लोग लाल किले तक जाकर झण्डा फहराएंगे.सवाल यह है कि जब इन लोगों ने रात में ही तय कर लिया था तो इंटेलीजेंस एजेंसियां और दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी.दिल्ली पुलिस जाने-अनजाने किसान मुखालिफ साजिश में तब शामिल हो गई जब पुलिस ने तय शुदा रूट पर भी बैरिकेटिंग कर दी.दीप सिद्धू के लिए बताया गया है कि गुरूदासपुर से बीजेपी के लोक सभा मेम्बर सनी देओल के एलक्शन का कनवीनर (संचालक) था और वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह तक उसकी पहुच थी.दोनो के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

टै्रक्टर रैली के दौरान हिंसा के लिए कांग्रेस ने होम मिनिस्ट्री, इंटेलीजेंस एजेंसियो और होम मिनिस्टर अमित शाह को जिम्मेदार करार देते हुए उनके इस्तीफे का मतालबा किया और वजीर-ए-आजम मोदी से कहा कि अगर अमित शाह इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए.कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि किसानों ने तो अम्नो अमान कायम रखा.उन्होने सरकार से कहा कि अगर वह जिद पर अड़े रहने के बजाए किसानों का मतालबा मानते हुए तीनों कानून वापस ले ले तो बेहतर है.इस दरम्यान 41 तंजीमों के ज्वाइंट किसान मोर्चा से अलग रहकर चिल्ला बार्डर पर धरना देने वाली किसान यूनियन (भानु ग्रुप) के सदर भानू प्रताप सिंह ने आंदोलन से हटने का एलान कर दिया.जवाब में किसान ज्वाइंट मोर्चा ने कहा कि भानु तो कभी उनके साथ थे ही नहीं इसलिए उनके आंदोलन से हटने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.भानु के अलावा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत मे रहकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन चलाने वाले वी एम सिंह ने भी गाजीपुर बार्डर से अपना धरना खत्म करने का एलान कर दिया.वी एम सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत पर इल्जाम लगाया कि राकेश टिकैत ने ही किसानों को यह कहकर भड़काया था कि लाल किले तक पहुंचना है हालांकि टिकैत ने इस इल्जाम को झूट करार दिया.

खबर लिखे जाने तक दिल्ली पुलिस छब्बीस जनवरी के वाक्यात के लिए तैंतीस एफआईआर दर्ज कर चुकी थी जिनमें राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, दर्शनपाल सिंह, रजिन्दर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह, बुर्जगिल और जोगेन्दर सिंह उगराह समेत उन सभी चालीस किसान लीडरों को नामजद किया गया है जो अभी तक सरकार के साथ बातचीत करने जाया करते थे.नागलोई थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट में दीगर दफआत के अलावा डकैती की दफा भी लगाई गई है.नौ एफआईआर क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की गई हैं.पुलिस का इल्जाम है कि टै्रक्टर रैली में शामिल किसान नागलोई थाने से तकरीबन डेढ सौ आंसू गैस के गोले उठा ले गए.इसके अलावा सौ से ज्यादा पुलिस वालों पर हमला करके उन्हें जख्मी कर दिया.

एफआईआर लिखने के बाद पुलिस ने तकरीबन दो सौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन हैरतनाक बात यह है कि किसानों और टै्रक्टरों को लाल किले तक ले जाने वाले दीप सिद्धू और लक्खा को न तो नाजमद किया गया और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई.लाल किले की फसील (प्राचीर) पर पोल पर चढ कर सिखों का मजहबी झण्डा लगाने वाला शख्स कौन था, दिल्ली पुलिस को तीन दिन बाद तक उसका पता नहीं चल पाया था.पुलिस ने जिन दो सौ लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें वह किसान हैं जो पुलिस लाठी चार्ज में जख्मी हो गए थे.पुलिस ने यह तो बताया कि सौ से तीन सौ तक पुलिस वाले जख्मी हुए हैं लेकिन यह नहीं बताया कि कितने किसान लाठी चार्ज में जख्मी हुए.जबकि नागलोई, झज्झर, पलवल और सोनीपत में इंटरनेट बंद कराकर पुलिस ने किसानों पर बहुत ही बर्बर तरीके से लाठियां चलाईं.

लाल किले तक टै्रक्टर ले जाने वाले दीप सिद्धू के खिलाफ शायद इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई कि उसका ताल्लुक भारतीय जनता पार्टी से है, जब चारों तरफ से उसपर हमले हो रहे थे तभी छब्बीस जनवरी की शाम को उसने एक वीडियो वायरल करके एलान किया कि लाल किले तक पहुचने का फैसला तो 25 जनवरी की रात में संगत में ही हो गया था.यह संगत कौन थी यह कोई नहीं जानता इसलिए कि किसान तंजीमों के ज्वाइंट मोर्चे में शामिल सभी चालीस लीडरान ने पन्द्रह दिन पहले ही उसे सिंघु बार्डर से भगा दिया था और उसे सरकार का एजेण्ट करार दिया था.किसानों ने गुजरात से आए छः लोगों को भी पिस्तौल के साथ पकड़ा था और बाकायदा तहरीर के साथ पुलिस के हवाले किया था.इससे यह तो साफ जाहिर होता है कि किसान आंदोलन के साथ साजिशें तो हो ही रही थीं.

सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू की तस्वीर वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी, सनी देओल और होम मिनिस्टर अमित शाह के साथ वायरल हो रही है.2019 के लोक सभा एलक्शन में सिद्धू गुरूदासपुर में सनी देओल के एलक्शन का सर्वेसर्वा (संचालक) था.एलक्शन जीतने के बाद सनी देओल ही उसे वजीर-ए-आजम और होम मिनिस्टर के पास ले गए थे.वह पंजाबी फिल्मों का अदाकार है.सनी देओल के कुन्बे के साथ उसका ताल्लुक इतना गहरा है कि उसने जिस पहली पंजाबी फिल्म में काम किया उसके डायरेक्टर कोई और नहीं बल्कि अपने जमाने के मशहूर अदाकार रहे सनी देओल के वालिद धर्मेन्द्र थे.जब चारों तरफ से काफी शोर मचा तो सनी देओल ने दूसरे कई सियासतदानों की तरह झूट बोलते हुए एक ट्वीट करके सफाई दी कि दीप सिद्धू से उनका कोई ताल्लुक नहीं है.भारतीय जनता पार्टी का यही तरीका है कि वह अपने लोगों के गुनाहों पर पर्दा डालती है.2014 से अब तक ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का अपोजीशन लीडरान के खिलाफ तो बड़ी हठधर्मी से इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन साढे छः सालों में पूरे देश में बीजेपी के एक भी लीडर के खिलाफ न कोई तहकीकात हुई है न एजेंसियों का इस्तेमाल.

टै्रक्टर रैली के बाद सिंघु बार्डर पर इकट्ठा हुए किसान लीडरान ने सात अहम फैसले किए जो इस तरह हैंः-

1. किसान तंजीमों के सभी लीडरान ने मंच से किसानों को पुरअम्न रहने के लिए कहा.तंजीमों ने कहा कि यह आंदोलन लंबा चलने वाला है.हिंसा करने वालों से हमारा कोई लेना-देना नहीं.दीप सिद्धू और कुछ लोगों ने पुरअम्न आंदोलन को बदनाम किया है.कुछ किसान लीडरान ने आंदोलन पर कालिख पोतने का काम किया है.दीप सिद्धू सरकार का आदमी है.इस साजिश को समझने की जरूरत है कि लालकिले तक यह लोग कैसे पहुंच गए.पुलिस ने उन्हें जाने क्यों दिया.

2. ज्वाइंट मोर्चा के किसान लीडरान ने कहा कि कुछ लोगों ने पीछे से वार करने का काम किया है.जिन्होंने छब्बीस जनवरी को लालकिले में गलत हरकतें की हैं, यह सही नहीं हैं.उन्होंने दो महीनां के आंदोलन को बदनाम किया है.लालकिले में जिन लोगों ने झंडा फहराया वह गद्दार हैं.हमारा आंदोलन तब तक चलेगा जब तक तीनों कानून रद्द नहीं हो जाते.

3. 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर सिंघु बार्डर पर किसानों से बातचीत की गयी, जहां किसानों ने लालकिले पर तिरंगे की जगह सिख समाज का झंडा लगाना गलत ठहराया है.इससे किसान आंदोलन को ठेस पहुंची है,  हिंसा गलत है.

4. एक सिख किसान ने झंडे को फहराना गलत बताया, तोड़फोड़ और पुलिस के साथ मारपीट होना बेहद शर्मनाक बताया है.वहीं एक दीगर किसान ने भी कहा कि गलत एक्शन होने से गलत नतायज निकलते हैं.

5. गौरतलब है कि 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के एलान के बाद कुंडली बार्डर से लेकर बहालगढ़ तक एन एच 44 पर दोनों साइड ट्रैक्टरों की वजह से  जाम हो गया था, अब 25 किलोमीटर के दायरे में 10 किलोमीटर का दायरे पर ट्रैक्टरों की भीड़ कम हो गयी थी.केएमपी पर खड़े होकर देखने पर जहां दूर दूर तक ट्रैक्टर नजर आ रहे थे, देर रात से ही वह काफिला छंटना शुरू हो गया था, टेंट हटा दिए गए हैं, केएमपी और केजीपी पर से भी ट्रैक्टर हटा दिए गए हैं.

6. बता दें कि किसान परेड के दौरान हिंसा, सरकारी इमलाक को नुकसान पहुंचाने और लालकिला की फसील (प्राचीर) पर मुजाहिरीन के जरिए दूसरा झंडा फहराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया को खत लिखकर सो-मोटो नोटिस लेने का मतालबा किया. विनीत जिंदल ने खत में लिखा कि लालकिला की फसील पर मुजाहिरीन के जरिए दूसरा झंडा लगाना कौमी परचम की तौहीन है.खत में मतालबा किया गया कि दूसरा झंडा फहराने, सरकारी इमलाक को नुकसान पहुंचाने वाले मुजाहिरीन पर कार्रवाई की जाए.

7. दिल्ली पुलिस इस मामले में साजिश को लेकर भी एफआईआर दर्ज करेगी.हिंसा के पीछे जो लोग हैं उनका पता लगाया जाए .जदीद मरकज़

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