राकेश टिकैत के साथ पुलिस व्यवहार की निंदा

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राकेश टिकैत के साथ पुलिस व्यवहार की निंदा



संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गाजीपुर में प्रदर्शनकारी किसानों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कटौती और आज किसानों को जबरन हटाने के प्रयासों की निंदा की.  राकेश टिकैत, तजिंदर विर्क और केके रागेश जैसे नेताओं ने शांतिपूर्वक इस पुलिस व्यवहार का विरोध किया.  आरएसएस-भाजपा द्वारा प्रायोजित लोग गाजीपुर साइट पर आए पर किसान नेताओं ने इनके खिलाफ शांतिपूर्ण रहने के लिए जनता को समझाया. नेताओं ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में जनता को समझाया.  मोर्चे ने पलवल में प्रदर्शनकारियों को बेदखल करने की भी कड़ी निंदा की जहां पुलिस ने स्थानीय लोगों को उकसाया और विभाजनकारी भावनाओं को भड़काया.


किसान आंदोलन को बदनाम करने के सरकार के प्रयास जारी है. सभी बोर्डर्स पर सरकार जिस तरह से सुरक्षा बढ़ा रही है उससे सरकार की घबराहट साफ जाहिर होती है. सरकार बार बार आंदोलन को हिसंक दिखाना चाहती है पर सयुंक्त किसान मोर्चा की एकमत राय, प्रयास और रास्ता है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा.


दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों की हम निंदा करते हैं. हमें ये नोटिस नहीं डरा सकते. भाजपा सरकार 26 जनवरी की हिंसक कार्रवाई के नीचे इस आंदोलन को दबाना चाहती है जिसे हम कतई स्वीकार नहीं करते. पुलिस कई धरने खाली भी करवा रही है. पुलिस किसान नेताओ और प्रदर्शनकारियों को इस तरह से परेशान करना बंद करें.


आज सिंघू बॉर्डर में किसान यूनियन के नेताओं द्वारा सद्भावना यात्रा निकाली गई.  यह प्रदर्शनकारी किसानों को धर्म और राज्यों के अनुसार विभाजित कर रही ताकतों को जवाब दिया गया है. यह मार्च किसानों के बीच एकता की भावना को मजबूत करने के लिए था.  यात्रा के दौरान सबने हाथो और गाड़ियों पर लहराता हुआ तिरंगा था. किसान नेताओं ने कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद केवल कुछ लोगों की जागीर नहीं है. भारत के जवान, जो किसानी परिवार से है, भी देश की रक्षा करते हैं और किसान भी उतने ही देशभक्त हैं.


सिंधु बॉर्डर विरोध स्थल पर लगभग 16 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली सद्भावना यात्रा में बलबीर सिंह राजेवाल, दलजीत सिंह दलेवाल, डॉ दर्शन पाल, जगमोहन सिंह पटियाला, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, गुरनाम सिंह चढूनी, जंगबीर सिंह, सुरेश खोथ, अमरजीत सिंह और अन्य विभिन्न नेताओं के साथ सभी प्रदर्शनकारी किसानों ने संदेश दिया कि वहाँ  बढ़ती पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी से हमे डरने की जरूरत नहीं है.


टीकरी बॉर्डर पर भी किसानो ने मार्च आयोजित कर एकता और देशभक्ति दिखाई. बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्राहां की अगुवाई में किसानो ने मार्च निकाले.


इस आंदोलन में अब तक 171 किसान शहीद हो चुके है, हम इन शहीद किसानों को हार्दिक श्रद्धाजंलि अर्पित करते है. बहुत दुख के साथ, हम एक आदिवासी महिला किसान, सीताबाई तडवी, की मौत की रिपोर्ट कर रहे हैं, जो दिल्ली मोर्चे पर विरोध करने के लिए महाराष्ट्र से आई थीं.  56 साल की सीताबाई लोक संघर्ष मोर्चा द्वारा किए गए कई संघर्षों में सबसे आगे रही हैं और उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. SKM दिवंगत आत्मा को गहरा सम्मान देता है. अनेक आंदोलनकारी बीमार और जख्मी भी हुए है. ये सब बताता है कि सरकार का घमंड इंसान की क़ीमत से कहीं ज्यादा बड़ा है.


देशभर के किसानों ने 26 जनवरी को बता दिया था कि ये आंदोलन एक तबके का नहीं बल्कि देशव्यापी जनांदोलन है. हम पूरे विश्वास से कहते है कि सिर्फ पंजाब-हरियाणा ही नहीं, सारा देश एक है. हम सभी से अपील करते है कि जो भी किसान दिल्ली पहुंच रहे है उनके लिए रास्ते मे लंगर और सभी सुविधा जारी रखे.


पुलिस असल अपराधियों पर कार्रवाई करने की बजाय शांतमयी प्रदर्शन कर रहे किसानों को गिरफ्तार कर रही है और उनके वाहन जब्त कर रही है. सयुंक्त किसान मोर्चा मांग करता है कि सभी शांतमयी प्रदर्शन करने वाले किसानों को बिना किसी शर्त के तुरंत रिहा किया जाए. दीप सिधु जैसे असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई की जाए.

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