बाईडेन ने चर्चिल की मूर्ति क्यों हटाई
एलएस हरदेनिया
संयुक्त राज्य अमरीका में न सिर्फ राष्ट्रपति बदले हैं वरन् नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का राजनीतिक नजरिया भी बदला है. इसका अहसास उनके उस निर्णय से हुआ है जिसके अनुसार उन्होंने अपने ओवल आफिस में पहले से रखी ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की मूर्ति को हटा दिया है.
जैसा कि ज्ञात है ब्रिटेन, अमरीका का घनिष्ठ मित्र है. वर्षों पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने चर्चिल की यह मूर्ति तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश को भेंट की थी, जिसे बुश ने अपने आफिस में लगवा दिया था. परंतु बाद में बराक ओबामा ने राष्ट्रपति का पद संभालते ही उसे हटवा दिया था. डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने पर इसे दुबारा लगवा दिया था.
अमरीका के बहुसंख्यक निवासी चर्चिल को पसंद नहीं करते. वे उन्हें रंगभेद समर्थक मानते हैं. वे उन्हें 20 लाख भारतीयों की मौत का जिम्मेदार मानते हैं. सन् 1943 में भारत में एक महाअकाल पड़ा था. भारतीय अकाल पीड़ितों के लिए अमरीका गेहूँ भेजना चाहता था. परंतु चर्चिल ने उसे रूकवा दिया और जिस जहाज से गेहूँ भेजा जाना था उसी जहाज से हथियार बुलवाए. बहुसंख्यक इतिहासकार भी इन 20 लाख मौतों के लिए चर्चिल को जिम्मेदार मानते हैं. अधिकांश अमरीकी यह भी मानते हैं कि ट्रंप की नजरों में चर्चिल एक हीरो थे.
अधिकांश अमरीकी और ज्यादातर इतिहासकार चर्चिल को महात्मा गांधी का राजनीतिक प्रतिद्वंदी मानते हैं . वे यह भी मानते हैं कि चर्चिल भारत की आजादी के विरोधी थे. ओबामा ने न सिर्फ चर्चिल की मूर्ति हटाई वरन् महात्मा गांधी की मूर्ति को अपने आफिस में स्थापित भी किया.
बाईडेन ने ऐसे महान व्यक्तियों की मूर्तियों को अपने आफिस में रखा है जो महात्मा गांधी के प्रशंसक थे. इनमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर, श्रमिक यूनियन लीडर सीजर चावेज और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं नस्लभेद विरोधी नेत्री रोजा पार्कस शामिल हैं.
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