पर इंटरव्यू नहीं देते है राजेंद्र चौधरी

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पर इंटरव्यू नहीं देते है राजेंद्र चौधरी

अंबरीश कुमार 

राजेंद्र चौधरी फिर एमएलसी बन गए .कल ही तो प्रमाण पत्र मिला .घर आये पर बैठे नहीं .बोले ,जबसे आपने यह यू ट्यूब वाला नया लफड़ा पाल लिया है मैंने आपके घर आना छोड़ दिया है .पता नहीं कब आपका कैमरा क्या रिकार्ड कर ले.बोले भाई ये बहुत दिक्कत वाला काम है .पहले आप कई बार ऐसा कुछ लिख चुके हैं जिससे मैं फंस जाता हूं .खैर वे गांव से आया गुड़ लेकर आए .पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मशहूर गजक भी .बिना उर्वरक वाली गुड़ वे देते हैं क्योंकि यह अपने को पसंद है .मै मंगवाता हूं कहकर .आर्गेनिक गुड़ मिलता कहां है . पर वे इंटरव्यू नहीं देते किसी कीमत पर .इतनी पुरानी मित्रता के बाद भी .वजह कुछ किस्से कहानी जनसत्ता में भी मैंने लिखे तो शुक्रवार में भी .  

बीते करीब दो दशक में जनसत्ता में अगर किसी समाजवादी का नाम सबसे ज्यादा प्रकाशित हुआ होगा तो मुलायम ,अखिलेश के बाद वे राजेंद्र चौधरी ही रहे .पुराने साथी हैं, खांटी समाजवादी हैं .पर राजनीति की भाषा में वे कोई काम के नहीं हैं यानी कोई काम नहीं कराते .यह आरोप पत्रकार चित्रकार कलाकार ,नेता ,ठेकेदार इंजीनियर सभी का है .तब जब वे कैबिनेट मंत्री थे तब .तो अब क्या काम कराएंगे .खैर मीडिया से तो पुराना रिश्ता रहा है .

चंचल दिल्ली का हाल लिख चुके हैं .अस्सी और नब्बे के दशक में दिल्ली में पत्रकारों का सांध्यकालीन राष्ट्रीय कार्यक्रम किसी पत्रकार के ही घर होता रहा है . उदयन ,एसपी ,राम कृपाल सिंह ,केवल वर्मा जैसे कई ठीहे थे .राजेंद्र चौधरी ठहरे सूफी संत .दूध मठ्ठा के अलावा खाली पानी पीने वाले .पर बैठते वे भी थे और चना मूंगफली खा लेते थे .समस्या आती रात में .जब कई पैग के बाद वरिष्ठ पत्रकार उन्हें अपनी गाडी से विठ्ठल भाई पटेल हाउस छोड़ने जाते .पत्रकार का नाम नहीं लिख रहा हूं चौधरी साहब फिर नाराज हो सकते है .वे वीपी हाउस में रहते और उनके साथ रहते और बड़े समाजवादी शरद यादव .वे रात में बारह बजे के बाद दरवाजा खोलते पर गुस्से में काफी कुछ सुना भी देते .अपने चौधरी साहब जो पहले ही आठ दस पैग ले चुके पत्रकार की गाडी का खतरनाक अनुभव लेने के बाद घर में घुसते तो शरद यादव का ऐसा समाजवादी व्यवहार भी झेलते .किस्से तो कई हैं पर सुनाना ठीक नहीं . पर वह भी क्या दौर था आप कल्पना कर सकते हैं जब पूर्व कैबिनेट मंत्री शरद यादव और राजेंद्र चौधरी रिवोली, रीगल में सिनेमा देखने जाते थे .जाते तो वे लखनऊ में भी और एक रिक्शा पर खांटी समाजवादी बेनी बाबू के साथ .बेनी बाबू यानी बेनी प्रसाद वर्मा .तब वे रिक्शा पर बैठते ही बीडी सुलगा लेते जो राजेंद्र चौधरी को रास न आता .सिनेमा ,गाना और अखबार यही सब शौक रहा है चौधरी साहब का .पर गुरु रहे चौधरी चरण सिंह जिन्होंने सबसे पहले लोकदल से टिकट दिया और देवीलाल को इनके प्रचार में भेज दिया .बाद में इन्होने चौधरी साहब यानी चरण सिंह से कहा देवीलाल को आप दूर ही रखो ,ये हरियाणा के जाट नेता हैं इनको गाजियाबाद का जाट क्या जाने खैर देवीलाल को वपसर दिया गया .एक चुनाव वे हारे तो बाद में जीत भी गए .

और प्रचार करने अटल बिहारी वाजपेयी भी गए .यह चौधरी चरण सिंह का प्रभाव था .आज की समाजवादी पार्टी उन्ही चौधरी चरण सिंह के चलते आगे बढती गई .मुलायम सिंह सिंह यादव चरण सिंह की विरासत लेकर आगे बढ़ गए और अजित सिंह ने उसे काफी गहरे डूबो दिया है .पर राजेंद्र चौधरी पर चौधरी चरण सिंह का ख़ासा असर है .सुबह दो दिन कप ग्रीन लेबल बीना दूध की चाय .नाश्ता का कोई सवाल नहीं .दिन में पपीता आदि .और रात में दलिया ,एक कटोरी दाल सब्जी खिचड़ी और दूध .चावल भी नहीं और लहसुन प्याज से भी परहेज .कोई गाडी घोडा भी नहीं रखते .पार्टी ने एक गाडी दी कैसे यह किस्सा जान लीजिये .शाम को नुक्कड़ पर एक पैकेट दूध लेकर दिलकुशा कालोनी वाले घर जा रहे थे .अचानक मुलायम सिंह बगल से गुजरे और उन्होंने देखा राजेंद्र चौधरी एक पैकेट दूध लिए जा रहे हैं .गाडी रोकी और बैठाया .बोले पैदल ? चौधरी साहब ने कहा वे पार्टी दफ्तर से पैदल ही जाते हैं .फिर पूछा ,ये एक पैकेट दूध तो जवाब मिला , यही दलिया में डाल कर रात का खाना हो जायेगा .नेताजी हैरान और परेशान .दूसरे दिन पार्टी ने उनके लिए अलग गाडी की व्यवस्था की आने जाने की . 

कल आये तो बोले गुलिस्तां में कोई घर खाली हो तो ले लेता .पास पड़ेगा .दरअसल उनका लखनऊ में कोई घर कहां है ?चौहत्तर से राजनीति कर रहे है .कैबिनेट मंत्री रहे हैं पर घर नहीं है राजधानी में . गाजियाबाद में मार्च 1996 में जनता ने सार्वजनिक जीवन में स्वच्छ व ईमानदारी के 25 वर्ष पूरे होने पर जिस व्यक्ति के सम्मान में आयोजन किया था वह राजेंद्र चौधरी ही थे. इस आयोजन में मुख्य अतिथि और जनसत्ता के संस्थापक संपादक प्रभाष जोशी ने कहा था ,सार्वजनिक जीवन में विश्वास का संकट बढ़ा है लेकिन आज अगर समाज जिंदा है तो उसका कारण राजेंद्र चौधरी जैसे लोग जिंदा है.


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