आस्ट्रेलिया पर गजब की जीत दरअसल वंचितों का जलवा है

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आस्ट्रेलिया पर गजब की जीत दरअसल वंचितों का जलवा है

के विक्रम राव

 भारत की आस्ट्रेलिया पर गजब की जीत पर पाकिस्तान के क्रिकेट कप्तान रहे मोहम्मद वसीम अकरम ने कहा: ''यह एशिया महाद्वीप की  जीत है.' फिल्मी उदाहरण दिखता है ''लगान'' सिनेमा में फटेहाल किसान (आमिर खान) का अंतिम गेंद पर छक्का लगाकर हुकमते—बर्तानिया के साहब बहादुरों को शिकस्त देना.अत्यंत रोमांचकारी.समतावादी शब्दावलि में इस सीरीज की विजय ​वर्जितों, कुजात और मेहनतकशों की फतेह है.अवसर की समानता के मूलाधिकारों की उत्कृष्टता दर्शाती है.उपेक्षित को नैसर्गिक न्याय मिलने का दावा है.देश के ग्रामीण अंचल के निर्धन युवाओं को मौका मिला और उन लोगों ने श्वेत आस्ट्रेलिया को ध्वस्त कर दिया.

         मिसाल के तौर पर खाड़ीद्वीप अदन के एक पेट्रोल पंप पर मोटरकार में तेल भरने वाले दिहाड़ी किशोर धीरजलाल हीराचन्द अंबानी का उल्लेख हो.आज उनके पुत्र उपमहाद्वीप के सबसे धनी व्यापारी है.इस बार भारतीय क्रिकेट टीम में ठीक ऐसा ही हुआ है.


                      सिलसिलेवार विश्लेषण करें.यूं विश्वक्रिकेट अमूमन सम्पन्न, कुलीन, अभिजात्य, सकुलोत्पन्न वर्ग का ही शौक रहा.जैसे वंचितों का कबड्डी या गुल्ली—डण्डा.आस्ट्रेलिया गये भारतीय क्रिकेटरों की नामावलि पर गौर करें.एक चमकता नाम आया है थंगर्सू नाटराजन का.सेलम जनपद (चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्मस्थान) के कस्बाई इलाके के कूली का यह 29—वर्षीय बेटा अपने लिये सफेद किरमिच के जूते नहीं खरीद पाया था.नंगे पैर खेलता था.रबड़ की गेंद से.फिर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मौका मिला.भाग्य खिल उठा.ब्रिस्बेन में तीन कीमती विकेट चटकाये.जीत का शिल्पी बना.नटराजन की दयनीय मां अपने बेटे को टीवी पर खेलता देखकर आह्लादित हो गयी थी।


            करनाल (हरियाणा) के 27 वर्षीय नवदीप सैनी बल्ला और गेंद में माहिर हैं.उनके पिता अमरजीत सिंह एक वाहन—चालक हैं.इस युवक ने टेनिस गेंद से खेलना सीखा.उसके विपन्न पिता अपने महत्वाकांक्षी पुत्र के लिये कोचिंग तक नहीं करा पाये।

बाइस वर्षीय वाशी सुन्दर ने 62 रन ठोकें और तीन विकेट लिये.उसके पिता एक निम्नवर्ग के विप्र एम.सुन्दर बताते हैं कि चेन्नई के त्रिप्लिकेन मोहल्ले के निकट एक ईसाई फौजी अफसर पीडी वाशिंटन ने उन्हें क्रिकेट सीखने में वित्तीय मदद की.पढ़ाई, यूनिफार्म, आदि का व्यय वहन किया.जब सुन्दर का दूसरा पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम वाशिंगटन पर रखा.उस उदार फौजी सहायक के प्रति श्रद्धा के कारण.भावनात्मक ऋण चुकाया.इस युवा खिलाड़ी के पास इतना भी संसाधन नहीं था कि यह अपना एक कान का आपरेशन करा सके.वह आधा बहरा है.ब्रिस्बेन में भारत की जीत में वाशिंगटन सुन्दर का खास योगदान रहा।


              बीस वर्षीय मोना सिख शुभम सिंह गिल के पिता सरदार लखविन्दर सिंह फजलीका के किसान हैं.शुभम ने आस्ट्रेलिया से बयान देकर सिंघु सीमा पर विरोध प्रदर्शन में शामिल अपने पिता तथा अन्य पंजाबी किसानों का समर्थन किया था.यह युवा अपना आदर्श तेन्दुलकर को मानता है.


           इन सबकी तुलना में हैदराबाद के अल हसनैन कालोनी, टोली चौक, के मोहम्मद सिराज सर्वाधिक विपन्न रहे.आटो ड्राइवर का यह बेटा मोहल्ले में किरमिच के गेंद से खेलकर बड़ा हुआ.आज आस्ट्रेलिया में नये कीर्तिमान रचे हैं.सिडनी में गोरे दर्शकों ने उसे ''भूरा कुत्ता'' कहकर अपमानित किया था.


           सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर ऐसी गंदी नस्ली हरकत होने का कारण भी है.अंग्रेजी के कवि सर जोसेफ रुडियार्ड किपलिंग यहां वास कर चुके हैं.इन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था.ये इलाहाबाद के ''पायनियर'' दैनिक के संपादक भी रहे.इन्होंने सूत्र रचा था : ''ह्वाइट मेन्स बर्डन'' (श्वेतजनों का दायित्व).इससे उन्होंने प्रतिपादित किया था कि अश्वेतों को सभ्य बनाने की बाध्यता पश्चिम के श्वेतों पर है.सिडनी में मैंने इस कवि के आवास में रहे लोगों से 2019 में उनकी विचारधारा पर अपनी घृणा व्यक्त की थी.हालांकि सिडनी मैदान की घटना पर वहां के पुलिस तथा अधिकारियों ने कदम उठाये तथा क्षमा याचना भी की थी.


        सिडनी से लौटकर ब्रिटेन के बालर मोहम्मद मोइन अली ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उन्हें सिडनी में आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने ''ओसामा बिन लादेन'' के नाम से पुकारा था.टाइम्स आफ इंडिया के पूर्व खेल संपादक और मेरे कनिष्ठ साथी रहे, वेटूरी श्रीवत्स बताते है कि सिडनी से रिपोर्टिंग करके लौटकर उनकी धारणा पक्की हो गयी कि वहां पर आम व्यवहार ही ऐसा रहा है.आस्ट्रेलियायी श्वेतजन असभ्य होतें हैं.वे एशियायीजन को चिढ़ाने के लिये सड़क पर वीजा दिखाने को कहते हैं.

अब एक बात विराट कोहली के विषय में.अपने को पत्नीव्रती साबित करने हेतु वे अपनी अर्धांगिनी अभिनेत्री अनुष्का के प्रसव पर आस्ट्रेलिया से पहले टेस्ट मैच के बाद ही भारत लौट आये.अर्थात बजाये राष्ट्र के उन्हें अपना कुटुंब ही प्रिय है.कोहली कप्तान हैं.अत्यधिक जिम्मेदारी का पद है.डेढ़ सौ करोड़ भारतीयों के प्रतिनिधि है.कल ही इंग्लैण्ड के विरुद्ध मैच कप्तान हेतु पुनर्नियुक्त हो गये.उनकी भर्त्सना होनी चाहिये.मोहम्मद सिराज के पिता का इंतकाल हो गया.भाई इस्माइल ने दफनाया.सिराज आस्ट्रेलिया में भारतीय टीम में सेवारत रहे.नमाजे जनाजा छूट गया.उधर टी. नटराजन की पुत्री पैदा हुयी.तब वह दुबई में आईपीएल खेल रहे थे.वहीं से सीधे आस्ट्रेलिया जाना पड़ा.अब अगले सप्ताह तीन माह के बाद अपनी नवजात पुत्री का मुखड़ा देखेंगे.अबतक पांच खिलाड़ी घायल हो गये.चिकित्सा हेतु घर नहीं लौट गये.आस्ट्रेलिया में अपनी टीम के साथ ही रहे ताकि आवश्यकता पड़ने पर मैदान में उतरें.

मगर कप्तान विराट कोहली परिवार से सटे रहे अर्थात भारत से कटे रहे.कोई पूछेगा क्यों? प्राथमिकता क्या होनी चाहिये?

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