फिर विधान परिषद पहुंचे राजेंद्र चौधरी

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फिर विधान परिषद पहुंचे राजेंद्र चौधरी

मणेंद्र मिश्रा 'मशाल'

फिर विधान परिषद पहुंचे गए हैं राजेंद्र चौधरी .जिनके बारे में लोग कम जानते हैं .बीते कई दशकों से छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति सहित प्रदेश के समाजवादी धारा के हर प्रमुख घटना से जुड़े रहने वाले राजेंद्र चौधरी की राजनीतिक शुरुआत चौधरी चरण सिंह के मार्गदर्शन में हुई और अनेक उतार-चढ़ाव के बाद  मुलायम सिंह यादव के साथ क्रांतिरथ के संचालन सहित सांगठनिक  कार्यो को कुशलता पूर्वक संपादित करते रहे. 1966 में किशन पटनायक जब युवजन सभा  के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे  उस दौरान  6 अप्रैल 1970 को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के संसद के घेराव मार्च में राजनारायण , जॉर्ज फर्नांडिस, जनेश्वर,बृजभूषण तिवारी के साथ  राजेंद्र चौधरी  ने भी सक्रिय भूमिका निभाई. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के युवा संगठन में रहते हुए 1968 के जनवाणी आंदोलन में मेरठ जेल में राजेंद्र चौधरी पहली बार 3 हफ्ते जेल रहे. उसके बाद समाजवादी युवजन सभा, उत्तर प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. जिसके बाद 1970 में जब चौधरी चरण सिंह ने छात्र संघ पर प्रतिबंध लगा दिया उनके खिलाफ आंदोलन करने के बाद मेरठ विश्वविद्यालय के एम एम एच कॉलेज गाजियाबाद के छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए. 1973 में चौधरी चरण सिंह के आठ माल एवेन्यू वाले निवास पर उनसे छात्र आंदोलन की आवश्यकता के विषय पर लंबी चर्चा के बाद चौधरी चरण सिंह ने प्रभावित होकर 1974 में सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल और मुस्लिम मजलिस तीनों दलों की राजनीतिक तालमेल के दौरान पहली बार राजेंद्र चौधरी को विधानसभा का चुनाव लड़ाया और उनका उद्घाटन भाषण करने खुद गए.आपातकाल के दौरान मीसा बंदी के रूप में 19 महीने जेल रहे.

1977 में जनता पार्टी से फिर से चुनाव लड़कर राजेंद्र चौधरी बेहद कम उम्र में विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. उस समय तत्कालीन गठित जनता पार्टी के युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ संस्थापक राष्ट्रीय महासचिव चुने गए. 1980 में जब नेताजी मुलायम सिंह यादव को चौधरी चरण सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया उनके साथ राजेंद्र चौधरी प्रदेश महामंत्री बने.90 के दशक की नेताजी की सरकार में राजेंद्र चौधरी को एग्रो का चेयरमैन बनाया गया.2004 में समाजवादी पार्टी की सरकार में चौधरी जी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अध्यक्ष बनाया गया.


2012 में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार में राजेंद्र चौधरी विधान परिषद के सदस्य चुने गए और जेल कारागार, खाद्य-रसद सहित राजनीतिक पेंशन मंत्री हुए. पाँच वर्षों के कार्यकाल में राजेंद्र चौधरी की तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ प्रत्येक सार्वजनिक आयोजनों में उपस्थिति राजनीति में प्रतिबद्ध,संघर्षशील और ईमानदार लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सम्बल बना रहा.बतौर राजनैतिक पेंशन मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सहयोग से उन्होंने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा करते हुए जेल गए लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के लिए 15000 की मासिक पेंशन की आजीवन व्यवस्था की.साथ ही उनके निधन पर राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि किए जाने का कानून बनवाने में विशेष भूमिका निभाई.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता रहते हुए पिछले तीन दशकों में उन्होंने जिस तरीके से समाजवाद की वैचारिक धारा,शुचिता और सादगी को  मजबूत किया है वह राजनीति में मील का पत्थर है.सम्प्रति समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और सदस्य विधान परिषद सदस्य के रूप में समाजवादी नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन में सक्रियता जारी है.

 गाजियाबाद में मार्च 1996 में जनता ने सार्वजनिक जीवन में स्वच्छ व ईमानदारी के 25 वर्ष पूरे होने पर जिस व्यक्ति के सम्मान में आयोजन किया था वह राजेंद्र चौधरी ही थे. इस आयोजन में देश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि सरोकारी पत्रकारिता के शिखर पुरूष प्रभाष जोशी ने उनके विषय में कहा था ,सार्वजनिक जीवन में विश्वास का संकट बढ़ा है लेकिन आज अगर समाज जिंदा है तो उसका कारण राजेंद्र चौधरी जैसे लोग जिंदा है.

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