पटना. वर्ष 1962 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे.उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (NSEP) की शुरुआत की गयी.वर्ष 1995 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव थे.उनके कार्यकाल में पल्स पोलियो टीकाकरण (पीपीआई) कार्यक्रम आरंभ किया.वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी हैं.उनके कार्यकाल में शुरुआती तौर पर फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोविड का टीका दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जनवरी से दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण की शुरुआत करने वाले हैं.
भारत ने साल 1962 में राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य तीन सालों में पूरी आबादी को चेचक के टीके देना था.भारत ने साल 1962 में राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (NSEP) की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य तीन सालों में पूरी आबादी को चेचक के टीके देना था.
साल 1967-68 में चेचक उन्मूलन कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए गए और फिर निगरानी, महामारी की जांच की कोशिशें भी शुरू हुईं.साल 1973 के मध्य तक भारत में अधिकतर राज्यों में ये प्रयास काम आए और चेचक सिर्फ़ उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में ही दिखा. इसके बाद इसी साल सभी राज्यों में बड़े स्तर पर अभियान चलाकर घर-घर जाकर चेचक के मामले पकड़ने की कोशिश की गई. साल 1974 में सरकार के प्रयासों से चेचक के 188000 मामले सामने आए. हालांकि इस दौरान 31000 लोगों की मौत भी चेचक की वजह से हुई.
सरकार ने मामलों को ट्रेस करने और टीकाकरण के अभियान में तेज़ी दिखाई. साल 1975 में भारत में चेचक का आखिरी मामला सामने आया. हालांकि इसके बाद भी इस बीमारी को लेकर निगरानी जारी रही.साल 1977 को भारत को चेचक मुक्त घोषित किया. चेचक जैसी महामारी से पूरी तरह छुटकारा पाने में आज़ाद भारत को तीन दशक से भी अधिक वक़्त लगा.
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की तारीफ करते हुए सोनिया गांधी ने पत्र में लिखा, “राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में एक लंबे कैरियर के बाद वह गंभीर आर्थिक संकट के समय भारत के प्रधानमंत्री बने. उनके साहसिक नेतृत्व के माध्यम से, हमारा देश कई चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार करने में सक्षम हुआ. 24 जुलाई, 1991 का केंद्रीय बजट और हमारे देश के आर्थिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया, ".
दिल्ली शहर में 2 अक्टूबर 1994 को 4000 पोलियो केंद्रों के माध्यम से 12 लाख बच्चों को पोलियो टीकाकरण की दवा पिलाने की सफलता के बाद देशव्यापी आंदोलन चालू हुआ और एक साल बाद 1995 में पल्स पोलियो कार्यक्रम पूरे देश में फैल गया.पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान भारत ने डब्ल्यूएचओ वैश्विक पोलियो उन्मूलन प्रयास के परिणाम स्वरूप 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण (पीपीआई) कार्यक्रम आरंभ किया ' इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो समाप्त होने तक हर वर्ष दिसंबर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके (ओपीवी) की दो खुराकें दी जाती हैं' यह अभियान सफल सिद्ध हुआ है और भारत में पोलियो माइलिटिस की दर में काफी कमी आई है'. पीपीआई की शुरुआत ओपीवी के तहत शत प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी' इसका लक्ष्य उन्नत सामाजिक प्रेरण, उन क्षेत्रों में मॉप अप प्रचालनों की योजना बनाकर उन बच्चों तक पहुंचना है जहां पोलियो वायरस लगभग गायब हो चुका है और यहां जनता के बीच उच्च मनोबल बनाए रखना है' 2009 के दौरान हाल ही में भारत में विश्व के पोलियो के मामलों का उच्चतम भार (741) था, यहां तीन अन्य महामारियों से पीडित देशों की संख्या से अधिक मामले थे' यह टीका बच्चों तक पहुंचाने के असाधारण उपाय अपनाने से भारत में पश्चिम बंगाल राज्य की एक दो वर्षीय बालिका के अलावा कोई अन्य मामला नहीं देखा गया जिसे 13जनवरी 2011 को लकवा हो गया था 'आज भारत ने पोलियो के खिलाफ अपने संघर्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव प्राप्त किया है, चूंकि अब पोलियो का अन्य कोई केन्द्र नहीं है' भारत में 13 जनवरी 2011 के बाद से सीवेज के नमूनों में न तो वन्य पोलियो वायरस और न ही अन्य पोलियो वायरस का मामला दर्ज किया गया है 'इसकी असाधारण उपलब्धि लाखों टीका लगाने वालों, स्वयं सेवकों, सामाजिक प्रेरणादायी व्यक्तियों ,अभिनेताओं , सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं के साथ सरकार द्वारा लगाई गई.
डब्लूएचओ ने 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था. इस दिन दिल्ली स्थित डब्लूएचओ के कार्यालय में आयोजित समारोह में दक्षिण-पूर्व एशिया को पोलियो मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया. इसी के तहत भारत भी पोलियो मुक्त घोषित हो गया था.27मार्च 2014को दिल्ली स्थिति डब्लूएचओ के कार्यालय में आयोजित समारोह में दक्षिण-पूर्व एशिया को पोलियो मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया.इसके तहत भारत को भी पोलियो मुक्त देश का दर्जा दिया गया.डब्लूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र सर्टिफिकेशन आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को पोलियो मुक्त देश का प्रमाण पत्र सौंपा.
भारत को आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त देश घोषित करते हुए डब्लूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ.पूनम खेत्रपाल ने कहा कि कभी किसी एक देश को अकेले पोलियो मुक्त घोषित नहीं किया जाता,बल्कि डब्ल्यूएचओ अपने क्षेत्रीय जोन को पोलियो मुक्त घोषित करता है.
27मार्च 2014 को पोलियो मुक्त घोषित दक्षिण-पूर्व एशिया जोन में भारत सहित कुल 11 देश शामिल हैं,जिसमें बांग्लादेश,भूटान,कोरिया,इंडोनेशिया,मालदीव, म्यांमार,नेपाल,श्रीलंका,थाइलैंड व तिमोर-लेस्ते शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी हैं.उनके कार्यकाल में शुरुआती तौर पर फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोविड का टीका दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जनवरी से दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण की शुरुआत करने वाले हैं.16 जनवरी से प्रारंभ हो रहे कोरोना टीकाकरण की तैयारी की जानकारी देने हेतु राज्य स्वास्थ्य समिति में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया.बिहार में कोरोना का पहला टीका IGIMS के सफाईकर्मी श्री रामबाबू जी एवं एम्बुलेंस चालक श्री अमित कुमार जी को दिया जाएगा.
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