कमेटी में आधे संघ समर्थक तो आधे बड़ी कंपनियों के !
नई दिल्ली .किसान आंदोलन जारी रहेगा .किसान संगठन मानते हैं हैं कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से उनके आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है .गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों विवादित कानूनों को लागू किए जाने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है जो किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता का काम कर सकती है.इसके लिए अदालत ने कुछ विशेषज्ञों के नाम भी सुझाए हैं.पर किसान नेताओं का कहना है कि जिन चार लोंगो की कमेटी बनाई है वे या तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों की रक्षा करते रहे हैं या फिर संघ की . अशोक गुलाटी मोदी सरकार में कई मंत्रालयों में सलाहकार हैं जिसमे एक खेती भी है .भूपेंद्र सिंह मान 67 से जनसंघ से जुड़े रहै हैं . शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवटे मोदी सरकार के तीन सूत्रीय कानून की हिमायत शुरू से करते आ रहे हैं .
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से ज्यादा कुछ निकलना मुश्किल नजर आता है .आंदोलन अब और तेज हो सकता है .गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम को लेकर टकराव भी हो सकता है ऐसी आशंका जताई जा रही है .जानकारों का मानना है किसान आंदोलन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को दखल देने से बचना चाहिए थे .संदेश यही गया है कि इससे सरकार को तो राहत मिली है पर किसानो को कुछ मिलता नजर नहीं आ रहा .किसान नेता डा सुनीलम ने कहा कि किसान आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट से तो कोई मदद मांगी ही नहीं थी ऐसे में यह आदेश कोई रास्ता निकालने वाला तो नजर नहीं आता .
डॉ सुनीलम ने कहा कि दिल्ली में दस हजार ट्रैक्टरों के साथ किसानों ने रैली निकालकर यह संदेश दिया है कि 26 जनवरी को लाखों ट्रैक्टरों के साथ किसानों द्वारा देशभर में परेड निकाली जाएगी. 13 जनवरी को कानूनों की होली जलाई जाएगी . 18 को महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को सुभाष चंद बोस जयंती मनाई जाएगी. सुनीलम ने कहा कि किसानों का संघर्ष देश को बचाने का संघर्ष है. एक बार हम ईस्ट इंडिया कंपनी के गुलाम हुए थे दूसरी बार हम देश को कारपोरेट (अडानी- अंबानी) के गुलाम नहीं होने देंगे.
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