मिट्टी से जुड़ी हैं सानिका हरदा

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मिट्टी से जुड़ी हैं सानिका हरदा

आलोक कुमार

पटना.वैश्विक महामारी कोरोना पर जागरूकता गीत गा रही है वह .पिछले महीने बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी का एक भोजपुरी रैप काफी लोकप्रिय हुआ. इस रैप के बोल थे मुंबई में का बा? इस रैप की तर्ज पर बिहार में भोजपुरी में ऐसे कई गाने बन गए हैं, जिनका इस्तेमाल चुनाव प्रचार में हुआ. ऐसा ही एक गाना है- बिहार में का बा. इसे नेहा सिंह राठौर ने गाया है.

कैमूर के रामगढ़ में एक गांव है जलदहां. यहीं के रमेश सिंह की बेटी है नेहा सिंह राठौर.जो पिछले चुनाव प्रचार में व सोशल साइट पर हिट हो रही है.वह इसलिए कि नेहा वैश्विक महामारी कोरोना पर जागरूकता गीत गा रही है.वह भी भोजपुरी आवाज में.जिसके प्रशंसक आज की तारीख में 3 मिलियन से अधिक हो गए हैं. मसलन कोरोना जागरूकता पर नेहा की भोजपुरी गीत सोशल साइट पर धमाल मचा रही है.दरअसल कोरोना संक्रमण के फैलाव ने सरकार और आमजन की चिंता बढ़ा दी है.

नेहा ने अपने गाने 'बिहार में का बा' से एक सनसनी पैदा कर दी है. इस गाने के जरिये नेहा ने राज्य में एनडीए सरकार के कामकाज पर निशाना साधा था. उन्होंने अपने गाने में राज्य में कानून और व्यवस्था की खराब होती स्थिति का जिक्र किया है. शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाया है. इसमें प्रवासी मजदूरों का दर्द बयां करने की भी कोशिश की गई है.

इस समय 7 साल की बच्ची किसान आंदोलन में स्टार बन गई.अपनी ओजस्वी भाषण और कविता पाठ से हरदा की सानिका पटेल दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में स्टार बन गई हैं.आलमपुर गांव में जन्मीं सानिका हरदा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई करती हैं.वे विद्या बालन अभिनीत फिल्म 'नटखट में उनके बेटे का किरदार निभा चुकी हैं.हरदा की सानिका के किसान आंदोलन में दिए उसके भाषण सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं.

ओजस्वी भाषण और कविता पाठ से हरदा की सात साल की सानिका पटेल दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में स्टार बन गई हैं. सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर दिए उसके भाषण सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं.कई जानी मानी हस्तियों ने इन्हें अपने पेज पर शेयर किया है.चैनल पर भी प्रभावशाली ढंग से किसानों की बात रख रही हैं.


सानिका पटेल अपने पिता संजय खेरवा के मार्गदर्शन में चार साल की उम्र से कविता पाठ और भाषण के मंच साझा कर रही सानिका खेती-किसानी के मुद्दों और इसकी बातों में इतनी रच-बस गई है कि दिल्ली में भी उन्होंने अपनी बातों का डंका बजा दिया. एक के वीडियो में वे कहती सुनाई दे रहीं हैं कि हमारी लड़ाई इन तीन काले कानून के साथ ही सत्ता, बिकाऊ मीडिया, ढेरों गलत जानकारियां और सर्दी से है.

भाषण में वह कहती नजर आ रही हैं कि सर छोटूराम, बाबा टिकैत (महेंद्र सिंह टिकैत), चौधरी चरण सिंह, चौधरी देवीलाल आदि की कर्मस्थली है.इन सरहदों (जहां आंदोलन चल रहा है) में इतनी ताकत है कि आपकी छोटी सी बेटी को मप्र से यहां आना पड़ा. आलमपुर गांव में जन्मीं सानिका हरदा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई करती हैं. वे विद्या बालन अभिनीत फिल्म 'नटखट में उनके बेटे का किरदार निभा चुकी हैं.

आपको बता दें कि, देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की आग धीरे धीरे देशभर में फैलने लगी है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के सिवनी जिले के पदाधिकारी भी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिये बड़ी संख्या में किसानों के साथ रवाना हो गए हैं.केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए कृषि कानून के विरोध में देश के कई किसान विरोध में हैं। इसी तर्ज पर राजधानी दिल्ली के नजदीक हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं.इस आंदोलन को देश के कई किसानों का समर्थन मिल चुका है.

आलमपुर गांव में जन्मीं व कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई करने वाली सानिका हरदा ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत की...

ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के 

 ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के .

अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के .

कह रही है झोपडी औ' पूछते हैं खेत भी,

कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के .


बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं ये जानकर,

अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के .

कफ़न बाँधे हैं सिरों पर हाथ में तलवार है,

ढूँढने निकले हैं दुश्मन लोग मेरे गाँव के .

हर रुकावट चीख़ती है ठोकरों की मार से,

बेडि़याँ खनका रहे हैं लोग मेरे गाँव के .


दे रहे हैं देख लो अब वो सदा-ए-इंक़लाब,

हाथ में परचम लिए हैं लोग मेरे गाँव के .

एकता से बल मिला है झोपड़ी की साँस को,

आँधियों से लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के .

तेलंगाना जी उठेगा देश के हर गाँव में,

अब गुरिल्ले ही बनेंगे लोग मेरे गाँव में .

देख 'बल्ली' जो सुबह फीकी दिखे है आजकल,

लाल रंग उसमें भरेंगे लोग मेरे गाँव के .

इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता पाठ की.हरदा के गांव आलनपुर की रहने वाली सानिका पटेल के पिता संजय खेरवा किसान हैं. उन्होंने कृषि विज्ञान में एमएससी की है. वहीं उनकी पत्नी नम्रता भी कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. लिहाजा माता-पिता घर में बच्चों को देश-दुनिया और सामाजिक समस्याओं की जानकारी देते रहते हैं. मासूम सानिका पर पिता की बातों का गहरा असर है. संजय ने बताया कि 4 साल की उम्र से ही सानिका कविताओं में रुचि लेने लगी थी. कम ही दिनों में उसने हिंदी भाषा के बड़े-बड़े कवियों की कविताएं पढ़ने लगी. उन्होंने कहा कि सानिका न सिर्फ कविता पढ़ती है, बल्कि उसके शब्दों का अर्थ समझने की भी कोशिश करती है. सानिका को कविता के अलावा स्पोर्ट्स में भी रुचि है.

सानिका के घर में उससे बड़ी बहन वंशिका है. दो बेटियों के पिता संजय ने बताया कि सानिका ने पहली बार जयपुर में मंच का सामना किया था. सितंबर 2018 में जयपुर में हुई किसान हुंकार रैली में शामिल होने संजय भी गए थे. वहां सानिका ने मंच से किसानों के सामने भाषण दिया था. उसका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था.सानिका ने कहा कि हरदा में सभी लोग उसे मिट्टी की बेटी के रूप में जानते हैं. वह किसान की बेटी है, इसलिए पापा ने उसे ये नाम दिया है.


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