लखनऊ . समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की किसान संगठनों के साथ बेनतीजा वार्ता के बाद फिर अगली तारीख हो गई. हर बार आधा दिन गुजार कर 02ः00 बजे बैठक करने से ही लगता है कि भाजपा सरकार आधे मन से आधे समय काम करके इस आंदोलन को भटकाना चाहती है. किन्तु सत्ता का दम्भ तोड़ने वाले किसानों का हौसला टूटने वाला नहीं है.
किसान अपना भविष्य बचाने के संघर्ष में बलिदान कर रहे हैं. भाजपा बेतुके तर्कों और झूठे तथ्यों से किसानों के आंदोलन को बदनाम कर रही है. वह हर हाल में काले कृषि कानून देश में थोपना चाहती है. अच्छा हो, भाजपा सरकार बयानबाजी में देश को न उलझाए और किसान आंदोलन में लगातार बढ़ती किसानों की मृत्यु व आत्महत्या पर शर्म करे.
जो भाजपा सरकार एमएसपी होने पर भी अन्नदाता को बाजार में सही दाम नहीं दे पा रही है वह काले कानून के आने के बाद क्या एमएसपी देगी? पूरे प्रदेश में अपनी मेहनत का हक नहीं मिलने से अन्नदाता बेहाल है. किसानों पर और कितना जुल्म करेगी भाजपा की डबल इंजन सरकार.
जबसे केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार आई है, किसान सबसे ज्यादा अन्याय का शिकार हुआ है. उसे लागत मूल्य का ड्योढ़ा देने, आय दुगनी करने का वादा करके झांसा दिया गया है. भाजपा राज में धान की लूट हुई. गन्ना मूल्य के भुगतान में सरकार खोखले आश्वासन दे रही है. किसान अपनी बात कहने गए तो उन पर आंसू गैस लाठीचार्ज किया गया.
भाजपा लाख सफाई दे, लेकिन किसान परेशान है कि नए कृषि कानून लागू होने के साथ ही खेती पर उनका स्वामित्व खतरे में पड़ जाएगा. उन्हें कारपोरेट खेती के लिए मजबूर किया जाएगा. इसीलिए कृषि कानून में एमएसपी का प्राविधान नहीं रखा गया है. बड़े कारपोरेट की शर्तो पर किसान को अपनी फसल बेचनी होगी. किसान संगठन बारबार इन सवालों पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांग रहे हैं पर भाजपा सरकार उससे कतरा रही हैं. गतिरोध का यही मूल कारण है.
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