लखनऊ .यूपी के तमाम आईएएस और आईपीएस बहुत खुश हैं. इनकी खुशी की वजह भी गजब ही है. सूबे के अफसर प्रसन्न है तो इसकी वजह एक योजना पर लगा "ग्रहण" है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया था कि भारत की शासन व्यवस्था पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पकड़ ढीली करनी है. और शासन की कार्यक्षमता में सुधार के लिए बाहर से विषय के विशेषज्ञों को लेकर सरकार में उच्च पदों पर बैठाना है.
उन्होंने यह काम शुरू भी कराया है पर ऐसा लग रहा है कि देश की नौकरशाही को यह अपने अधिकारों का अतिक्रमण लगा. जिसके चलते नौकरशाही ने इसमें टांग अड़ाना शुरू कर दिया. जिसका अंत नतीजा यह निकला है कि प्रधानमंत्री की यह पसंदीदा योजना अटक गई. बीते दिनों नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने अपनी नई किताब में इस ओर इशारा किया कि अधिकारियों के कारण यह योजना अटकी है.अब लगता है कि यह पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चली गई है. पिछले साल बड़ी मुश्किल से लैटरल एंट्री के तहत नौ लोगों को बाहर से लाया गया और विषय की उनकी विशेषज्ञता के आधार पर अलग अलग मंत्रालयों में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया. उनमें से वाणिज्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त हुए अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है. बाकी लोगों के बारे में भी कहा जा रहा है कि वे ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सिस्टम से सहयोग नहीं मिल रहा है.
सो, हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोग इस्तीफा दें. वैसे इस साल ऐसी कोई नियुक्ति नहीं हुई है. इसे लेकर अब यूपी के आला नौकरशाह खुश हैं और उन्हें लगता है रिटायर होने के बाद वह उन पदों पर तैनाती पा सकेंगे जिन पर विशेषज्ञता के आधार पर अन्य सेवाओं के लोगों को तैनात करने के बारे में केंद्र और राज्य सरकार में सोचा जा रहा था.नारद
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments