अब मंदिर के नाम पर चंदा बटोरा जाएगा 

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अब मंदिर के नाम पर चंदा बटोरा जाएगा 

राजेंद्र 

लखनऊ .अयोध्या फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा के वजह मंदिर निर्माण के लिए चंदा प्राप्त करने की योजना है. विश्व हिंदू परिषद यानी विहिप अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए पूरे देश में चंदा वसूलेगा. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ सीधे तौर पर इस अभियान से जुड़ा है और इस काम में भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक, नेता आदि भी मदद करेंगे. यह अभियान 15 जनवरी से शुरू होगा और 27 फरवरी तक चलेगा. यह मंदिर आंदोलन पार्ट टू होगा. लोकप्रिय फिल्मों की जुबान में कहें तो मंदिर आंदोलन रिटर्न्स! इस बार विश्व हिंदू परिषद ने तय किया है और वह छह लाख गांवों में 13 करोड़ हिंदू परिवारों तक जाएगी और मंदिर निर्माण के लिए चंदा मांगेगी. विहिप की ओर से कहा गया है कि जो मुस्लिम भगवान राम को इमाम ए हिंद मानते हैं वे भी मंदिर निर्माण के लिए चंदा दे सकते हैं.विहिप ने ऐसा अभियान इससे पहले 1989 में चलाया था, जब पूरे देश में राम शिलापूजन हुआ था. यह अभियान तीन साल चलता रहा, जिसकी अंतिम परिणति अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे का ध्वंस था. उस घटना के बाद मामला अदालत में चलता रहा और विहिप ने मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू कर दीं. उस समय भी पूरे देश से चंदा वसूला गया था और करोड़ों रुपए मंदिर निर्माण के लिए जमा हुए थे. सवाल है कि चंदे से कितने रुपए इकट्ठा हुए थे और अब वे रुपए कहां हैं? क्या वे मंदिर निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इसलिए चंदा इकट्ठा करने का अभियान चलाना पड़ रहा है या कोई और मकसद है? वैसे भी मंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूलने की क्या जरूरत है? जब प्रधानमंत्री ने स्वंय मंदिर का शिलान्यास किया है तो इसे सरकारी खर्च से क्यों नहीं बना दिया जा रहा है? जैसे प्रधानमंत्री ने दिल्ली में नए संसद भवन की नींव रखी या आज ही यानी 31 दिसंबर को राजकोट में एम्स की नींव रखी है तो इनका निर्माण सरकार करा रही है. यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री भूमिपूजन और शिलान्यास करें और निर्माण जनता के चंदे से हो! वैसे उत्तर प्रदेश में तो राज्य सरकार करोड़ों रुपए लगा कर सरयू के किनारे भगवान राम की मूर्ति बनवा रही है. करोड़ों रुपए की लागत से कहीं हनुमान जी की मूर्ति बननी है तो कहीं लक्ष्मण जी की मूर्ति बनाने की बात हो रही है. जब भगवानों की मूर्तियां सरकारी खर्च से बन सकती हैं तो मंदिर भी सरकारी खर्च से क्यों नहीं बन रहा है?असल में एक बार फिर देश में नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही है. इससे देश में तनाव बढ़ेगा. मध्य प्रदेश में इसकी शुरुआत हो गई है. राज्य के मालवा इलाके में विश्व हिंदू परिषद की तैयारियों के बीच ही कुछ झड़पों की खबरें हैं. राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण अदालत के फैसले से हो रहा है और प्रधानमंत्री ने इसका शिलान्यास किया है. इसलिए यह दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इसे लेकर कोई ऐसा काम होता है, जिससे शांति भंग की आशंका हो तो उसे रोकें. यह भी सोचें कि मंदिर की जमीन के बदले में मस्जिद बनाने केलिए जो जमीन दी गई है वहां मस्जिद निर्माण के लिए इसी तरह मुस्लिम समुदाय के लोग जन जागरण अभियान शुरू करें और चंदा लेने के लिए देश के चार-पांच करोड़ मुस्लिम परिवारों तक पहुंचने का अभियान चलाएं तो क्या होगा? अब इसे लेकर सूबे की नौकरशाही में खूब चर्चा हो रही हैं और अयोध्या में तैनात रह चुके अफसर ऐसी चर्चाओं में जमकर अपने विचार रख रहें हैं. इन अफसरों का कहना है कि विहिप का यह अभियान गांव-गांव में मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल बनाएगा. जो प्रदेश सरकार के लिए अच्छा रहेगा.

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