गाजियाबाद .किसान गजन सिंह भंगू खटरा की 28 नवंबर को मौत हो गयी थी.फिर शुरू हुआ मौत का सिलसिला.सिंघु बॉर्डर पर एक 38 वर्षीय किसान भीम सिंह की भी कड़ाके की ठंड के कारण मौत हो गई थी.एक अन्य किसान जयसिंह की बीमारी के चलते मौत हो गई थी.सुबह में गलतान सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई.यूपी गेट पर एक किसान सरदार कश्मीर सिंह लाडी बिलासपुर रामपुर ने गले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. 25 नवंबर के बाद से 21 किसानों की मौत हो चुकी.
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या कर ली है.यह कारूण हादसा किसानों के प्रदर्शन के बीच आज (शनिवार को) दिल्ली के यूपी गेट पर एक किसान सरदार कश्मीर सिंह लाडी बिलासपुर रामपुर ने गले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उन्होंने शौचालय के अंदर फांसी लगाई.
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा है. कड़ाके की ठंड में भी किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर बरकरार हैं. इस बीच, दिल्ली बॉर्डर पर एक और किसान ने आत्महत्या की. गाजियाबाद के यूपी गेट पर एक किसान ने शौचालय में शनिवार को सुसाइड कर लिया. सुसाइड करने वाले किसान का नाम कश्मीर सिंह था और वह 75 साल के थे. सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा का जिक्र किया है.
मृतक किसान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के बिलासपुर का रहने वाले हैं. उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि ये बहुत ही दुख का विषय है कि आज यूपी गेट पर रामपुर जिले के सरदार कश्मीर सिंह लाडी ने शौचालय में आत्महत्या कर ली. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मेरा अंतिम संस्कार मेरे पोते, बच्चे के हाथों यहीं दिल्ली यूपी बॉर्डर पर होना चाहिए.
किसान यूनियन ने कहा कि उनका परिवार, बेटा और पोता यहीं आंदोलन में लगातार सेवा कर रहे हैं. सुसाइड नोट अब पुलिस के कब्जे में है. उन्होंने नोट में अपनी आत्महत्या का जिम्मेदार सरकार को बताया है.
सुसाइड नोट में लिखा है कि आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे. ये सरकार सुन नहीं रही है और इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं, ताकि कोई हल निकल सके. गाजियाबाद पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत हो चुकी है.
किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान इस आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़ चुका है. सरकार सुन नहीं रही है. यही कारण है कि इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं.बिल वापस लेने को लेकर किसान पिछले 1 महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर अपना आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच शनिवार सुबह एक दुखद खबर आई. यहां आंदोलन के बीच एक अधेड़ किसान ने धरना-प्रदर्शन स्थल के पास लगे शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने किसान द्वारा आत्महत्या किए जाने पर दुख जाहिर किया है. राकेश टिकैत का कहना है कि किसान इस आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़ चुका है. सरकार सुन नहीं रही है. यही कारण है कि इस त्तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की अगर यही स्थिति रही तो इस सरकार को किसान धरती में मिला देगा.
बता दें कि सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले तीन महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था.
उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था.किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा.इसके चलते कॉरपोरेट जगत किसानों का शोषण करेगा.गत 25 नवंबर को दिल्ली कूच कर रहे किसानों को पुलिस ने बॉर्डर पर रोक दिया था. गृहमंत्री ने किसानों को बुराड़ी जाने पर वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने उसे ठुकरा दिया.
उसके बाद से ही किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है. इस दौरान कई विपक्षी राजनीतिक दलों सहित ट्रेन यूनियन और संगठनों ने भी किसानों का समर्थन कर दिया.ऐसे में किसान अपनी मांगों को लेकर सीमाओं पर मोर्चा जमाए बैठे हैं.कृषि कानूनों को निरस्त कराने सहित अन्य मांगों को लेकर 38 दिनों दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को अब सरकार के साथ कड़ाके की ठंड से भी मुकाबला करना पड़ रहा है.
दिल्ली में नए साल के पहले दिन 15 सालों का सबसे कम 1.1 डिग्री तापमान दर्ज किया गया.करीब 70 वर्षीय किसान गलतान सिंह तोमर की मौत हो गई. किसान की मौत से अन्य किसानों में शोक की लहर छाई हुई है.गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने बताया कि सुबह गलतान सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई.चिकित्सकों ने बताया कि प्राथमिक जांच के आधार पर उसकी मौत तेज ठंड के कारण हुई है.दरअसल, बॉर्डर पर किसानों के लिए वैसे तो पूरी व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन फिर भी ठंड से बचने के पर्याप्त उपाय नहीं हो रहे हैं. ऐसे में उम्रदराज किसान ठंड के आगे घुटने टेक रहे हैं.
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