नुकसानदेह हैं लाल-पीली चटनियां

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नुकसानदेह हैं लाल-पीली चटनियां

लखनऊ .जंक फुड ने जीवन और खास कर शहरी जीवन में पूरी तरह से घुसपैठ कर ली है. छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में चाउमिन के नाम पर इसी तरह की खाद्य सामग्रियां परोसी जा रही हैं. शहरों में पिज्जा, पास्ता और मोमो लोगों की पसंद बनी है तो छोटे शहरों में ठेलों पर बिकने वाला चाउमिन युवाओं की पसंद बन चुका है. लेकिन इनका सहेत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. लाल-पीले सॉस के नाम पर जो परोसा जाता है वह टमाटर तो नहीं ही होता है. फिर डायबटीज और बीपी है कि बाजार के पिज्जा, मोमो, पास्ता ही नहीं बिरयानी से भी परहेज जरूरी है क्योंकि पिज्जा में चीज़ के नाम पर जो टापिंग्स की जाती है उसमें भी खतरनाक मिश्रण होता है. जनादेश लाइव के साप्ताहिक कार्यक्रम भोजन के बाद-भोजन की बात में बाजार में टमाटर सॉस के नाम पर दी जाने वाली इन लाल-पीली चटनियों पर भी चर्चा की गई और पिज्जा-मोमो पर भी. चर्चा के सूत्रधार थे जनादेश के संपादक अंबरीश कुमार. आहार विशेषज्ञ पूर्णिमा अरुण, होटल प्रबंधन संस्थान से जुड़े अमरजीत कुंडु और शेफ अन्नया खरे ने चर्चा में हिस्सा लिया.

अंबरीश कुमार ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि आजकी चर्चा की शुरुआत मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से करना चाहता हूं. मेरे बेटे ने दो-तीन दिन पहले पिज्जा मंगवाया. मैंने उसे खाया तो मुझे लगा कि उसमें चीज़ कुछ ज्यादा है. हालांकि मुझे शूगर वगैरह नहीं है लेकिन दूसरे दिन मुझे कुछ अलग तरह का लगा तो मैंमे शूगर नापा तो काफी ज्यादा था. तो बाद में मुझे पता चला कि पिज्जा में जो चीज़ इस्तेमाल किया गया था वह चीज़ के नाम पर कुछ और है. इसी तरह जो चाइनीज हम बाहर खाते हैं या समोसे वगैरह तो वहां लाल-पीली कई तरह की चटनी मिलती है, बाद में पता चला कि वह सिंथैटिक चटनी होती है. जिसमें बहुत सारी चटनी तो ऐसी होती है जिसमें टमाटर होता ही नहीं और कई में तो कद्दू भी नहीं होता है. हालांकि पहले लोग कहते थे कि इसमें कद्दू होता है.

अमरजीत कुंडु ने लाल-पीली चटनियों के साथ बातचीत में हिस्सा लिया और कहा कि कुछ अलटेरेटेड सॉस होते हैं जो हम रेहड़ी-पटरियों पर खा लिया बर्गर के साथ या पैटीज के साथ. अब जो यह कथित सॉस हैं, तो भारत में बहुत सारी कंपनियां हैं जो निबंधित नहीं हैं. ये कंपनियां इस तरह के नकली सॉस बनाती हैं और इसे लेकर अक्सर यह खबर भी आती हैं कि प्रशासन ने छापा मारा और नकली कैचअप या सॉस बनाने की कंपनियां पकड़ी गईं. अब यह कैसे बनती हैं तो समझ लें कि मंडी से जितनी फालतू चीजें होती हैं, जैसे आलू या गाजर सड़ गया इसे लेकर वे सिंथेटिक रंग, साइट्रिक एसिड या दूसरे केमिकल इस्तेमाल करते हैं. इनका ही हम इस्तेमाल करते हैं, जिसकी हमें जानकारी नहीं है. जहां तक जागरूकता का सवाल है तो हम ही अपने बच्चों को सही जानकारी नहीं देते हैं. बेचने वालों में भी एथिक्स नहीं है. उसे भी यह सोचना चाहिए कि समाज में हम जहर परोस रहे हैं. लेकिन वे अपने फायदे के लिए यह नहीं सोचेंगे लेकिन हमें तो अपने बच्चों की सेहत का ध्यान रखना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए. बाजार में यह अलग-अलग रंग में मिलेगा, कभी भी एक रंग का नहीं मिलेगा. एक खास बात और है कि हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं कि जब हम सॉस लेते हैं तो अच्छी कंपनी की बोतलों पर केचअप लिखा होता है, सॉस कभी नहीं लिखा मिलेगा. दरअसल केचअप तो टमाटर से बनता है लेकिन सॉस गाजर, टमाटर, कद्दू वगैरह से बनाया जाता है. इसका ध्यान रखें कि बाजार से कैचअप खरीदें, सॉस नहीं और यह भी ध्यान रखें कि जो हमें परोस रहा हो वह ब्रांडेड चीज ही परोस रहा हो. यह बहुत नुकासनदह है. इससे त्वचा, बालों और लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसके बहुत सारे साइड इफेक्ट भी है.


पूर्णिमा अरुण ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्रासेस फुड बनाने के दौरान प्रासेसिंग में घपला तो किया ही जा सकता है. मेरा तो यह कहना है कि प्रासेस फुड खाया ही नहीं जाए. प्रासेसिंग का मतलब यह होता है कि जो हमारा फल है पेड़ से तोड़ कर खा लिया या बाजार में आया खा लिया या सब्जी खा ली तो वह तभी भी ताजी है लेकिन एक फ्रेश चीज को एक प्रासेस यानी प्रक्रिया के जरिए पैक कर दिया, बेक कर दिया, डिब्बा बंद कर दिया तो वह प्रासेस फुड में आ जाता है. जैसे फ्रोजेन सब्जियां या टिन में जो अन्नास आता है वह भी प्रोसेस ही होता है. यह पहला लेवल है प्रासेसिंग का जो फिर भी चल जाएगा लेकिन फिर बात अल्ट्रा प्रोसेसिंग की आती है तो इसमें बहुत ज्यादा खतरा हो जाता है.

अनन्या खरे ने चर्चा को आगे बढ़ाया और कहा कि बाजार में जो चटनियां या सॉस मिलते हैं उसे घर में बहुत ही आसानी से बनाया जा सकता है. लोगों के पास वक्त की कमी है इसलिए बाजार से बोतल ले आए खरीद कर क्योंकि उसे इस्तेमाल करने में आसानी होती है. लेकिन सभी चटनी हम घर में बना सकते हैं. आजकल शेजवान चटनी बहुत लोग पसंद कर रहे हैं तो इसे भी घर में बनाई जा सकती है. इसी तरह मस्टर्ड सॉस जो हम बर्गर में इस्तेमाल करते हैं उसे भी घर में बना सकते हैं. चर्चा में यह बात सामने आई कि अच्छी कंपनियों की चटनियां ही खरीदें जो सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं हैं.यू ट्यूब लिंक नीचे 

https://youtu.be/W3ZL2eoivNQ


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