प्रदर्शन कर रहे किसानो पर लाठी

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प्रदर्शन कर रहे किसानो पर लाठी

आलोक कुमार 

पटना.नये कृषि कानूनों के खिलाफ राजभवन मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों को राजभवन की तरफ जाने से रोकने के क्रम में पटना में पुलिस को लाठी चार्ज करनी पड़ी.अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आज 29 दिसंबर को आयोजित किसानों के राजभवन मार्च में दसियों हजार किसानों की भागीदारी पर भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने बिहार के किसानों को बधाई दी है और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, मंडी व्यवस्था फिर से बहाल करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान सहित सभी फसलों की खरीद की गारंटी करने के सवाल पर आगे भी आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया है.

राजधानी पटना लाल झंडों से पट गया.नये कृषि कानून के खिलाफ आज तमाम किसान संगठनों ने राजभवन मार्च कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने का ऐलान कर राजभवन मार्च शुरु किया.भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आज के राजभवन मार्च से साबित हो गया है कि पंजाब की तरह बिहार के किसान भी मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी लाए गए तीनों कानूनों के पूरी तरह खिलाफ हैं. बिहार में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कहीं भी धान खरीदारी नहीं हो रही है. बिहार में 2006 में ही मंडियों की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी. इसके खिलाफ आज के राजभवन मार्च में किसानों के आक्रोश का इजहार हुआ है. भाजपा-जदयू के खिलाफ बिहार के किसानों ने भी मोर्चा जमा दिया है. सरकार को पीछे हटना ही होगा.

माले राज्य सचिव ने आज के राजभवन मार्च में शामिल किसानों के शांतिपूर्ण मार्च पर पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी आलोचना की और कहा कि सरकार को आंदोलित किसानों के प्रति संवेदनशील रूख अपनाना चाहिए, लेकिन वह लाठी-गोली की भाषा बोल रही है. सरकार दमनात्मक कार्रवाइयों से बाज आए. पुलिस दमन में कुछ किसान साथियों को गहरी चोट आने की भी सूचना है.डाकबंगला चौराहे पर रोके जाने के बाद किसानों और पुलिस के धक्का-मुक्की शुरू हो गई. जब भीड़ अनियंत्रित होने लगी तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर कंट्रोल करने की कोशिश की. पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद भगदड़ मच गई. भाग रहे किसानों को भी पुलिस ने दौड़ाकर पीटा.कई किसानों ने गलियों में छिपकर जान बचाई.कई महिला किसान सड़कों पर गिर गईं, जिससे उन्हें काफी चोट पहुंची.उन्हें पीएमसीएच भी भेजा गया.


उधर, आज गांधी मैदान से आरंभ किसानों के राजभवन मार्च में भाकपा-माले के सभी विधायक और खेत मजदूर संगठनों-महिला संगठनों व छात्र-युवा संगठनों के नेताओं ने भी भाग लिया. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, तरारी विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुदामा प्रसाद, काराकाट विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव अरूण सिंह, दरौली विधायक व खेग्रामस के सम्मानित बिहार अध्यक्ष सत्यदेव राम, सिकटा विधायक व खेग्रामस के बिहार राज्य अध्यक्ष बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, फुलवारी विधायक व खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव गोपाल रविदास, अगिआंव विधायक व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, अरवल विधायक महानंद सिंह, पालीगंज विधायक व आइसा के महासचिव संदीप सौरभ, डुमरांव विधायक व इनौस के बिहार राज्य अध्यक्ष अजीत कुशवाहा, घोषी विधायक रामबली सिंह यादव, पूर्व सांसद व खेग्रामस के सम्मानित अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद आदि लोग किसानों के मार्च में शामिल हुए.

मार्च में भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य व खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, राज्य सचिव शशि यादव, ऐक्टू नेता आरएनठाकुर, मनरेगा संगठन के राज्य सचिव दिलीप सिंह आदि नेताओं की भी भागीदारी दिखी.

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