गौरव गिल बने चैपियन

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गौरव गिल बने चैपियन

फज़ल इमाम मल्लिक

गौरव गिल ने ट्रैक पर अपना दबदबा फिर साबित किया. गौरव देश के जाने-माने कार चालक हैं. अपनी श्रेष्ठता वे साबित करते रहे हैं. जीत के अपने सिलसिले को बरकरार रखते हुए .चैंपियन याच क्लब-एफएमएससीआई इंडियन नेशनल रैली चैंपियनशिप का दूसरा राउंड, जिसे रैली ऑफ अरुणाचल के नाम से जाना जाता है, का खिताब जीत लिया. जेके टायर चालक ने अपने सहचालक मूसा शरीफ के साथ वहीं से शुरुआत की, जहां उन्होंने पहले राउंड को खत्म किया था. गिल ने 42.15.00 मिनट का समय निकाला और रैली जीत कर ग्रैंड डबल के साथ अरुणाचल लेग पूरा किया.

अपने एक्सयूवी300 में सवार तीन बार के एपीआरसी चैंपियन गिल शानदार फार्म में दिखे. शुरुआत से ही उन्होंने रेस पर अपनी पकड़ बनाए रखी. शुरुआत के दो नाइट स्टेज के बाद गौरव ने शनिवार को ही 1.51 मिनट की बढ़त ले ली थी. इसके बाद छह स्पेशल स्टेजेज, जिनमें चार नाइट स्टेजेज भी शामिल हैं, में जीत हासिल करते हुए गिल ने खुद को इस राउंड में चैंपियन के तौर पर स्थापित किया.

गिल के टीम के साथी अमित्राजीत घोष ने अपने सहचालक अश्विन नाइक के साथ दूसरा स्थान हासिल किया. इन दोनों ने 43.48.1 मिनट का समय निकाला. घोष भी एक्सयूवी300 चला रहे थे. वे बीते एक साल से अधिक समय के कार में समस्या का सामना कर रहे थे लेकिन इस बार उन्होंने शानदार ड्राइविंग करते हुए सीजन का पहला पोडियम फिनिश हासिल किया. घोष ने कहा कि पहले तो यह कहूं कि फिर से रैली में आकर अच्छा लग रहा है. कोविड और फिर महेंद्रा का पुल करना, हमारे लिए काफी मुश्किल स्थिति थी लेकिन जेके टायर और महेंद्रा ने हमारा सहयोग किया और अब चीजें सामान्य होने लगी हैं. मेरे लिए यह राउंड खास था क्योंकि काफी समय के पाद मैंने पोडियम फिनिश किया है. इसका सारा श्रेय कार को जाना चाहिए. इसी कार को मैंने यूरोप में चलाया है और अब मैं भारत में इस कार के प्रदर्शन से खुश हूं.

मौजूदा चैंपियन चेतन शिवराम अपने सहचालक रुपेश खोले (योकोहामा टायर्स) पहले राउंड में डिसक्वालीफाई हो गए थे लेकिन दूसरे राउंड में इन दोनों ने स्टाक इंजन कार के साथ शुरुआत की. बिल्कुल अलग स्पेक्स वाली गाड़ी होने के बावजूद दोनों ने ओवरऑल तेरहवां स्थान हासिल करते हुए बहुमूल्य लेग अंक प्राप्त किए. अब दोनों बाकी के दौर में अच्छा प्रदर्शन करते हुए पोडियम फिनिश करना चाहेंगे. एमआरएफ टायर्स के कर्णा कादूर ने भी अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखा है. पहले दौर में वे रनरअप रहे थे. इस दौर में वे तीसरे स्थान पर रहे. अपने सहचालक निखिल पाई के साथ कर्णा ने लगातार घोष का पीछा किया और समान दूरी पर बने रहते हुए कुल 44.57.3 मिनट समय के साथ तीसरे स्थान पर रहे. पोडियम पर उनकी पहुंच ने अंक तालिका में उन्हें दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया है.

आईएनआरसी-2 में डीन मास्कारेनहास अपने सहचालक श्रुप्था पाडिवाल के साथ शानदार प्रदर्शन करते हुए 45.38.6 मिनट के साथ पहले स्थान पर रहे जबकि स्नैप रेसिंग के साहिल खन्ना और उनके सहचालक विदित जैन ने 47.42.0 मिनट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. राहुल काथिराज ने अपने सहचालक विवेक भट के साथ तीसरा स्थान पाया. आईएनआरसी-3 में टीम नुटुललापती के आदित्य ठाकुर ने अपने सहचालक वीरेंद्र कश्यप के साथ पहला स्थान पाया जबकि पिछले दौर में इस क्लास के विजेता मनिंदर सिंह प्रिंस ने अपने नेवीगेटर विनय पी के साथ तीसरा स्थान हासिल किया. फबिद अहमर और एल्डो चाको की जोड़ी दूसरे स्थान पर रही.


 मुजीब रहमान और गौतम सीपी ने आईएनआरसी-4 में पहला स्थान हासिल किया, जबकि वैभव मराठे और सुहान एमके दूसरे स्थान पर रहे. इसी तरह रोहित अय्यर और एम मंजूनाथ ने पोडियम पर तीसरा स्थान पाया. जूनियर आईएनआरसी कटेगरी में हरिकृष्णा वादिया और चिराग ठाकुर ने टॉप पोजीशन हासिल किया जबकि अर्जुन ने अपने नेवीगेटर शनमुगम एसएन के साथ दूसरे स्थान पर रहे. टीम वसुंधरा की प्रगति गौड़ा अपनी नेवीगेटर दीक्षा बालाकृष्णा के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.

आज़ादी के बाद सबसे व्यापक और प्रगतिशील भूमि सुधार कार्यक्रम जमींदारी उन्मूलन कार्यक्रम रहा है जिसने ज़मीनों का मालिकाना हक किसानों को दिया. आज जब लगभग महीने भर से, कड़कती ठंड में, दिल्ली की सीमा पर किसान धरने पर हैं और 30 किसान ठंड से दिवंगत हो चुके हैं तो,  1978 की ऐतिहासिक किसान रैली के नायक रहे चौधरी चरण सिंह की याद आना स्वाभाविक है. सभी विश्लेषक एवं राजनीति के जानकार संख्या बल के लिहाज से 1978 की उस रैली को आजाद भारत की सबसे बड़ी रैली बताते हैं. बोट क्लब से लेकर इंडिया गेट के आगे नेशनल स्टेडियम के पार तक भीड़ ही भीड़ दिखती थी. मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल से चौधरी चरण सिंह व राज नारायण का निष्कासन हो चुका था, लेकिन चौधरी चरण सिंह किसान हितों को लेकर निरंतर चिंतित राजनेता के रूप में देशव्यापी ख्याति प्राप्त कर चुके थे. ग्रामीण उपेक्षा से उपजी बदहाली, गांव से शहर की ओर बढ़ता पलायन, गांव एवं शहर के  बीच बढ़ती आर्थिक-सामाजिक विषमता, किसानों को उनके उत्पाद का उचित दाम नहीं मिलना आदि प्रश्नों पर वह पंडित नेहरू के कार्यकाल से ही मुखर विरोध दर्ज कराते रहे. 

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