नई दिल्ली.केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है.किसानों का आंदोलन गुरुवार को 23वें दिन जारी है.राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चारों तरफ किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं, यह दायरा व्यापक होता जा रहा है.जो किसान दिल्ली नहीं आ पा रहे वे क्षेत्रीय स्तर पर कानूनों का विरोध कर रहे हैं.उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को नोटिस भेजे जा रहे हैं. संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेजे गए हैं. पहले इन किसानों को 50 लाख के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन अब इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है. इस नोटिस में कहा गया है कि 'किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफ़वाह फ़ैला रहे हैं जिससे कानून व्यवस्था ख़राब हो सकती है.'
टीकरी व सिंघु बॉर्डर पर किसानों के जमावड़े में हर रोज वृद्धि हो रही है.यहां खालसा ऐड व अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा किसानों को ठंड से बचाने के लिए तमाम तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं.इस ऐतिहासिक आंदोलन की खास बात है कि इसे क्षेत्रीय स्तर का प्रिंट मीडिया भी कवर कर रहा है.
हालांकि, मेन स्ट्रीम मीडिया का बहिष्कार कर किसान अपना गुस्सा निकाल रहे हैं तो वहीं, सोशल मीडिया पर एक्टिव यू ट्यूब चैनल्स को लगातार बाइट दे रहे हैं.
किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल किसानों को आठ पन्नों की एक चिट्ठी लिखी.इस पत्र में किसान बिल की खूबियाँ गिनाई हैं और साथ ही किसान बिल को लेकर फैलाई गयी कथित भ्रांतियाँ भी बताई गयी हैं.पीएम मोदी ने भी किसानों से कृषि मंत्री की चिट्ठी पढ़ने की अपील की है.
दरअसल, सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेने के मूड में नजर आ रही है वहीं किसान भी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं.अब सरकार इससे निपटने के लिए फूट डालो राज करो की नीति पर काम करने की तैयारी में जुटी है.इसका नज़ारा बीते कुछ दिनों के घटनाक्रमों में देखने को मिला जब कई किसान नेताओं ने सरकार के साथ बातचीत में हल निकालने की बात कही.
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