माले ने शहीदों को याद किया

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माले ने शहीदों को याद किया

आलोक कुमार 

पटना.भाकपा-माले के संस्थापक महासचिव काॅ. चारू मजूमदार की शहादत के बाद सुब्रत दत्त के नेतृत्व में भाकपा-माले का पुनर्गठन हुआ और उनके ही नेतृत्व में बर्बर पुलिस दमन व राज्य आतंक का समाना करते हुए क्रांतिकारी वामपंथ की शक्तियां फिर से उठ खड़ी हुई थी. 

माले के दूसरे महासचिव शहीद सुब्रत दत्त उर्फ जौहर, निर्मल व रतन की शहादत दिवस मनाई गई.इस अवसर पर भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि 1975 में आज ही के दिन जब पूरा देश आपातकाल के दौर से गुजर रहा था, वे भोजपुर में अपने साथी  निर्मल व रतन के साथ शहीद हो गए थे. आज इन तीनों शहीदों की स्मृति में भाकपा-माले राज्य कार्यालय सहित पूरे बिहार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया और शहीद साथियों के संकल्प को पूरा करने का संकल्प दुहराया गया.

राज्य कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर, पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजबिहारी पांडेय, विधानसभा में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, सरोज चौबे, प्रदीप झा, प्रकाश कुमार, विभा गुप्ता सहित बड़ी संख्या में पार्टी के नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए.

इस मौके पर बृजबिहारी पांडेय ने कहा कि जो आंदोलन 75 के समय आरंभ हुआ था, आज देश के पैमाने पर मोदी सरकार के खिलाफ और जोरदार तरीके से चल रहा है. भाकपा-माले इसकी अगली कतार में है. काॅ. जौहर की शिक्षायें हमारे लिए और प्रासंगिक हो गई हैं. पार्टी निर्माण, आंदोलनों का नेतृत्व, जनता की सेवा के लिए बलिदान की भावना आदि शिक्षायें हमने उनसे हासिल की है. हमें उनके क्रांतिकारी जज्बे व दृढ़ता से प्रेरणा मिलती है. समाज में बदलाव की लड़ाई आज भी जारी है.


राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि जौहर की हत्या आपातकाल के दौर में हुई थी. आज देश एक अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है. आज पूरे देश को भाजपा के फासीवादी माॅडल से खतरा है. लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में बिहार चुनाव में जिस वामपंथ की मौत का मर्सिया पढ़ा जा रहा था, वामपंथी पार्टियों व खासकर माले ने अपनी संसदीय ताकत को बढ़ाकर देश में एक नई चर्चा का दौर शुरू कर दिया है. आज पश्चिम बंगाल से लेकर पूरे भारत में हमारी पार्टी की विधानसभा में उल्लेखनीय प्रदर्शन की चर्चा हो रही है. चुनाव में महागठबंधन के संकल्प पत्र को हमने वामपंथी स्वरूप दिया और उसमें जनता के विभिन्न तबकों के मुद्दे को शामिल करवाने में सफलता हासिल की. अब नया दौर संघर्षों के विस्तार का दौर है. हमें उम्मीद है कि इस दिशा में हमें आशातीत सफलता हासिल होगी और शहीदों के सपने को भारत को आकार मिलेगा.

इस मौके पर विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि संशोधनवादी वामपंथ से क्रांतिकारी वामपंथ की ओर आने की दिशा में सुब्रत दत्त के लेखों व उनकी शहादत ने उन्हें काफी प्रेरणा देने का काम किया. सुब्रत दत्त काॅ. चारू मजूमदार के सच्चे वारिस थे. वे काफी कम उम्र में अपने साथियों डाॅ. निर्मल व रतन के साथ शहीद हो गए, लेकिन उनकी पताका को लेकर हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं. आने वाले दिनों में बिहार की तर्ज पर अब पूरे देश में जनता के मुद्दों की बात होगी.

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