पूसा.अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले शुक्रवार को कार्यकर्ताओं ने देशव्यापी कार्यक्रम के तहत प्रखंड मुख्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन किया . किसानों ने धरना-प्रदर्शन के दरम्यान दस सूत्री मांगो को लेकर कहा कि किसान किसी भी देश की रीढ़ होता है, रीढ़ को तोड़कर कभी देश तरक्की नहीं कर सकता.
किसानों ने कृषि संबंधी तीनों बिल तत्काल वापस लेने, बिजली समेत तमाम लाभवाली सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद करने, जनविरोधी नया बिजली बिल 2020 वापस लेने, सभी फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर की जाने वाली खरीद को अपराध की श्रेणी में रखने, देश की खाद्य सुरक्षा की गारंटी के लिए अनाज ,दलहन, तिलहन, आलू ,प्याज भंडारण व वितरण सिर्फ सरकारी क्षेत्र के लिए सुरक्षित हो और इसमें कंपनियों के प्रवेश पर रोक लगाने, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने और उस पर लगे सभी तरह के टैक्स हटाने, मोरसंड पंचायत समेत प्रखंड के तमाम पंचायतों में धान खरीद सरकारी दर पर अविलंब शुरुआत करने की गारंटी करने समेत 10 सूत्री को को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले कार्यकर्ताओं ने देशव्यापी कार्यक्रम के तहत प्रखंड मुख्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन किया गया.
इस दौरान किसान महासभा के प्रखंड अध्यक्ष किशोर राय की अध्यक्षता में सभा भी हुई.सभा का संचालन किसान महासभा के प्रखंड सचिव रविन्द्र सिंह ने किया.सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार ने कहा कि किसानों की बदतर हालात का कब सुध लेगी सरकार? किसान किसी भी देश की रीढ़ होता है. रीढ़ को तोड़कर कभी देश तरक्की नहीं कर सकता. किसानों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को उठाया लेकिन उनकी एकजुटता को तोड़ने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले और उनके मनोबल को तोड़ने के लिए वाॅटर कैनन का भी प्रयोग किया गया. यह रवैया अन्नदाताओं के प्रति मोदी सरकार की कुंठित सोच को दिखाता है.देश के किसान के साथ अनुचित व्यवहार करने वाली सरकार की उल्टी गिनती अब शुरू हो चुकी है.
अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन किया गया. कार्यकर्ताओं ने कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए रद्द करने की मांग की.इस दौरान किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जबरन किसान विरोधी इस काले कानून को लागू करने का प्रयास कर रही है.जबकि इस बिल के विरोध में ढ़ाई सौ से भी अधिक किसान संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है.
किसान महासभा के समर्थन करने वालों ने कहा है कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का बड़ा घटक पार्टी से जुड़ा अखिल भारतीय किसान महासभा है.इस बिल के माध्यम से निजी कंपनियां उनके मनमुताबिक फसल उगाने के लिए किसानों को बाध्य कर देगी. जो निकट भविष्य में खाद्यान्न के संकट को बढ़ावा देने वाला है.यहीं नहीं इस बिल में बटाईदार किसानों की आजीविका भी खत्म हो जाएगी.कार्यकर्ताओं ने इन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य पर फसल खरीदने वाले पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की.इस कार्यक्रम में नजरें आलम, दिनेश राम, अनिरुद्ध राम, काशी सिंह आदि दर्जनाधिक कार्यकर्ता शामिल थे.
मौके पर महेश सिंह, रविन्द्र सिंह, अखिलेश सिंह, सुरेश कुमार, शिवजी राय, दिनेश राय, पवन कुमार, पंकज कुमार, सुरेन्द्र सहनी, उपेंद्र राय, राजदेव राय इत्यादि मौजूद थे.इस बात की जानकारी है अमित कुमार, भाकपा-माले प्रखंड सचिव पूसा सह जिला कमिटी सदस्य समस्तीपुर.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments