अर्घ्य देने के साथ महाछठ पर्व संपन्न

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अर्घ्य देने के साथ महाछठ पर्व संपन्न

आलोक कुमार

पटना.आस्था के महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना कर सूर्य से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की.इससे पहले षष्ठी को यानी 20 नवंबर की शाम को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.भक्तों ने रातभर सूर्य देव के जल्दी उगने की प्रार्थना की.व्रत रखने वाले अपने परिवार के साथ पूरी श्रद्धा के साथ पूजा उपासना किया.बहुत से इलाकों में बादल या धुंध के कारण सूर्य समय पर नहीं दिखे तो लोग सूर्योदय समय के अनुसार भी पूजा कर लिये.

हालांकि महाछठ पर्व वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है. पर इनमें तुलनात्मक रूप से अधिक प्रसिद्धि कार्तिक मास के छठ की ही है. हिंदू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक मास में दीपावली बीतने के बाद इस चार दिवसीय पर्व का आगाज़ हो जाता है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर ये पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी को भोर की अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है. इस चार दिवसीय पर्व का आगाज़ 18 नवम्बर को ‘नहाय खाय’ नामक एक रस्म से हुआ. इसके बाद 19 नवम्बर को खरना, फिर 20 नवम्बर को सांझ की अर्घ्य व अंततः 21 नवम्बर को भोर की अर्घ्य के साथ इस पर्व का समापन हो गया. यूं तो ये पर्व चार दिवसीय होता है, पर मुख्यतः षष्ठी और सप्तमी के अर्घ्य का ही विशेष महत्व माना जाता है.


बता दें कि व्रती व्यक्ति द्वारा पानी में खड़े होकर सूर्य देव को ये अर्घ्य देते हैं. इसी क्रम में यह उल्लेखनीय है कि संभवतः ये अपने आप में ऐसा पहला पर्व है जिसमे कि डूबते और उगते दोनों ही सूर्यों को अर्घ्य दिया जाता है; उनकी वंदना की जाती है. सांझ-सुबह की इन दोनों अर्घ्यों के पीछे हमारे समाज में एक आस्था काम करती है. वो आस्था ये है कि सूर्यदेव की दो पत्नियां हैं– ऊषा और प्रत्युषा. सूर्य के भोर की किरण ऊषा होती है और सांझ की प्रत्युषा, अतः सांझ-सुबह दोनों समय अर्घ्य देने का उद्देश्य सूर्य की इन दोनों पत्नियों की अर्चना-वंदना होता है.


छठ के गीत तो धुन, लय, बोल आदि सभी मायनों में एक अलग और अत्यंत मुग्धकारी वैशिष्ट्य लिए हुए होते हैं. ‘कांच ही बांस के बहन्गियां’, ‘मरबो जे सुगवा धनुष से’, ‘केलवा के पात पर’, ‘पटना के घाट पर’ आदि इस पर्व के कुछ सुप्रसिद्ध गीत हैं, जिन्हें तमाम बड़े-छोटे गायकों द्वारा गाया भी जा चुका है. इन गीतों का लय और संगीत इतना अलग और मुग्धकारी होता है कि इनको सुनते वक़्त अनायास आपको छठ के वातावरण का आभास होने लगता हैं. आलम यह कि जिसका वास्ता छठ से न हो, वह भी अगर इन गीतों को सुने और समझ सके तो इनके आकर्षण से नहीं बच सकता. केला, सेब, अन्नानस, आदि अनेक फलों के अतिरिक्त गन्ना और घर में बने ठेकुआ आदि चीजें इसके प्रसाद को भी विविधतापूर्ण और विशेष बनाती हैं.

अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के शख्स डेरिक लौरेंस कहते हैं कि अनेकता में एकता हमारे संविधान का मूलमंत्र है.हम पूजन पद्धति तो अपने धर्म के अनुसार करते हैं वह उचित है परंतु दूसरे धर्म का भी सम्मान करने से हम भारतवासी प्रेम के एकसूत्र में बंधते एवम बांधते हैं."सर्व धर्म सम्मान से ही होगा मेरा देश महान"

जय माँ भारती को मानते हुए कला अपने आप में एक सबसे बड़ा धर्म है.जो सभी जातीय भेद भाव मिटा देती है.डेरिक लौरेंस कहते हैं कि मैंने lent के समय भी एक गीत बनाया था जिसको लोगों ने सराहा था और मेरा उत्साहवर्धन किया था. अभी मेरा मकसद "सर्व धर्म सम्मान है".गत दो वर्षों से छठी मैया पर भजन पेश कर रहा हूं.इस साल शुभ टीवी भजन पर,संस्कार इंडिया और सत्संग टीवी पर 'कहतनी छठी मैय की पावन कहानी' प्रसारित की गयी.


इस बीच बिहार की प्रथम महिला उपमुख्यमंत्री रेणु देवी का महापर्व छठ के अवसर पर बना रही ठेकुआ चर्चा का विषय बन गया.पिछले 30 साल से कर रही रेणु देवी छठ.यह छठ पर्व खास रहा.बेतिया जिले में उत्साह का माहौल व्याप्त है. हर आम से लेकर खास तक उत्साह के साथ छठ पर्व मना रहे है. बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी भी छठ की. रेणु देवी खुद से छठ का प्रसाद ठेकुआ बनायी. सुबह से रेणु देवी अपने सुप्रिया रोड स्थित आवास पर छठ का प्रसाद पूरे परिवार के साथ बैठकर बनायी.लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर ठेकुआ छठ व्रती अपने हाथों से बनाती है.

इस पर्व को महापर्व बनाता है.रेणु देवी के आवास पर उनका पूरा परिवार छठ पर्व को उत्साह पूर्वक मना रहा है और इस बार का छठ रेणु देवी के साथ साथ परिवार के लिए बेहद खास हो गया है क्योंकि इस बार वह राज्य के उप मुख्यमंत्री बनकर छठ कर रही हैं.

उपमुख्यमंत्री रेणु देवी अपने पैतृक आवास बेतिया में छठ पूजा कर रही हैं.गौरतलब है कि रेणु देवी ने छठ महापर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठ पूजा को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए.छठ पूजा करने वालों को सावधानी बरतनी चाहिए.उन्होंने कहा कि लोगों को अपने-अपने घरों में छठ पूजा करनी चाहिए.

प्रसाद में घर में बने ठेकुआ का विशेष महत्व है

इस पर्व का प्रभाव भारतीय राजनीति में भी व्यापक रूप से देखने को मिलता है. अब यूपी-बिहार तो खैर इस पर्व के गढ़ ही हैं, तो वहां तो नेताओं द्वारा इसके लिए घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा आदि की चाक-चौबंद व्यवस्था की ही जाती है, साथ ही राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे तमाम राज्यों जहां यूपी-बिहार के लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी है, में भी सरकारें छठ के पूरी तैयारी करती हैं. बिहार में तो अक्सर मुख्यमंत्री खुद ही सपरिवार छठ घाट पहुंचकर पूजन-अर्घ्य आदि करते हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के यहां होने वाला छठ का भारी भरकम आयोजन तो खैर देश भर में ही प्रसिद्ध है.   


छठ पर्व प्रकृति का त्योहार तो है ही साथ ही इसे मन्नतों का भी पर्व कहा जाता है. पुनाईचक पटना में रहने वाले अखिलेश ठाकुर को छठी मइया की कृपा से नाती प्राप्त हुआ है. पेशे से हलवाई अखिलेश ठाकुर ने बातचीत में कहा कि उसकी बेटी पूजा देवी लगातार दो बेटी को जन्म दी.इसको लेकर दामाद बबलू ठाकुर ताना मारता था.दामाद बबलू और पुत्री पूजा के साथ बेटे को लेकर झगड़ा भी होता था.


पुनाईचक के अखिलेश ठाकुर ने आगे कहा कि मेरी पत्नी किरण देवी ने छठी मइया से मन्नत मांगी कि मइया पुत्री पूजा को पुत्ररत्न प्राप्त होने पर छठ करेंगे.

उन्होंने कहा कि बड़का पर्व के नाम से चर्चित सूर्योपासना कर रही हूं.अन्य सभी श्रद्धालु एवं परिजन के साथ बांसकोठी दीघा में निर्मित छठ महापर्व यात्री शेड में रात्रि में ठहरी थी.अाज उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर चली गयी.इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर प्रशासन ने छठ व्रत घर में ही करने को कहा है.इस पर अखिलेश ठाकुर ने कहा कि मेरी पत्नी किरण देवी ने छठी मइया को गंगा किनारे ही अर्घ्य देने की मन्नत की थीं.उन्होंने कहा कि इसलिए इस साल घाटों पर लोगों की भीड़ नहीं दिख रही है और लोगों ने भी सरकार के आदेश का पालन किया.इस बार वाहनों को गंगा किनारे ले जाने की अनुमति नहीं दी.वाहनों को मुख्य सड़क पर ही पार्किग करने की व्यवस्था की गयी.व्रतियों को गंगा किनारे तक दउरा लेकर जाना पड़ा. अस्ताचलगामी सूर्य भगवान को अर्घ्य देने किरण देवी के साथ परिवार के लोग आये थे.अखिलेश ठाकुर और किरण देवी के दामाद बबलू ठाकुर आये हैं.उनकी पत्नी पूजा देवी भी आयी थीं.दो बच्ची इंसानी और अन्यया.मां की गोद में 10 माह का अभिराज है. सभी जिला प्रशासन द्वारा निर्मित छठ महापर्व यात्री शेड में रात्रि में ठहरें.डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद लोग उगते हुए सूर्य की तैयारी में जुट गए थे और (21 नवम्बर) सुबह अर्घ्य देने के बाद यह चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो गया.

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