एक भी अल्पसंख्यक मंत्री नहीं

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एक भी अल्पसंख्यक मंत्री नहीं

आलोक कुमार 

पटना.बिहार में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है.आज काफी मंथन के उपरांत कैबिनेट की मीटिंग के बाद सभी सदस्यों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया.

बिहार में नीतीश कुमार सरकार की नई कैबिनेट के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो गया है.सबसे अहम गृह मंत्रालय को नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है.भाजपा यह विभाग खुद को कोटे में चाहती थी, लेकिन दबाव के बावजूद नीतीश इसे खुद के पास रखने में सफल हो गए.नीतीश मंत्रीमंडल के 1. उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद को वित्त एवं वन एवं पर्यावरण,2.द्वितीय उपमुख्यमंत्री रेणु देवी को महिला कल्याण,3.विजय चौधरी को ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण कार्य विभाग,4.मंगल पांडे को स्वास्थ्य तथा पथ निर्माण, 5.विजेंद्र यादव को ऊर्जा तथा उत्पाद एवं निबंधन, 6.मेवालाल चौधरी को शिक्षा विभाग, 7.अशोक चौधरी को भवन निर्माण और अल्पसंख्यक कल्याण तथा प्रौद्योगिकी विभाग, 8.संतोष मांझी को लघु सिंचाई तथा एससी-एसटी कल्याण विभाग, 9.मुकेश सहनी को मत्स्य व पशुपालन,10.शीला मंडल को परिवहन, 11.रामसूरत राय को राजस्व व कानून,12. जीवेश मिश्रा को पर्यटन व खनन,13. अमरेंद्र प्रतात सिंह को कृषि एवं गन्ना और14.विजय कुमार चौधरी को ग्रामीण विकास विभाग व ग्रामीण कार्य विभाग आवंटित किया गया है.


बिहार में बड़ी मुस्लिम आबादी के बावजूद उनके मंत्रिमंडल में कोई भी मुस्लिम शामिल नहीं है.एनडीए में केवल जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन वे सभी चुनाव हार गए. अब विधान परिषद से ही किसी अल्पसंख्यक समुदाय के शख्स को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. नीतीश के मंत्रिमंडल में दलित, भूमिहार, ब्रह्मण, यादव और राजपूत सभी शामिल हैं.


एनडीए से कोई मुस्लिम नहीं जीता बिहार में इस बार के चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम विधायक चुन कर नहीं आया है.एनडीए में चार घटक दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था.जेडीयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से कोई भी जीत हासिल नहीं कर सका.पिछली सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे जेडीयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज भी इस चुनाव हार गए हैं.वहीं, बीजेपी के साथ साथ वीआईपी और हम पार्टी ने किसी मुसलमान उम्मीदवार को टिकट दिया ही नहीं था.

एमएलसी को मंत्री बनाया जा सकता नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल में किसी मुस्लिम विधायक के नहीं होने के चलते एमएलसी को ही मंत्री बनाने का विकल्प बचता है.विधान परिषद में जेडीयू के पास अच्छी खासी संख्या में मुसलमान एमएलसी हैं, जिनमें गुलाम रसूल बलियावी, कमर आलम, गुलाम गौस, तनवीर अख्तर और खालिद अनवर जैसे नाम शामिल हैं.ऐसे में नीतीश अपनी कैबिनेट का विस्तार आगे करते हैं तो किसी एक मुस्लिम एमएलसी को मंत्री बनाने का निर्णय कर सकते हैं.

जेडीयू एमएलसी कमर आलम ने कहा कि अभी फिलहाल छोटे मंत्रिमंडल का गठन हुआ है.अभी इसका विस्तार होना बाकी है.हमारी पार्टी ने 11 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कोई नहीं जीत सका है.ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगे किसी मुस्लिम नेता को अपने मंत्रिमंडल में जरूर शामिल करेंगे.उन्होंने कहा कि ये हो ही नहीं सकता कि नीतीश कुमार अपनी सरकार में मुसलमानों को प्रतिनिधित्व नहीं दें, क्योंकि उन्होंने मुसलमानों के हक में बहुत काम किए हैं.15 साल से बिहार में मुस्लिमों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की है.


बता दें कि नीतीश कुमार मार्च, 2000 में जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी सिर्फ तीन मंत्री को उनकी कैबिनेट में शामिल किया गया था. इस सरकार में भी कोई मुस्लिम मंत्री नहीं बनाया गया था.हालांकि, नीतीश सरकार सदन में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के चलते महज आठ दिन में ही गिर गई थी.इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ रहने के बावजूद अपनी हर सरकार में मुस्लिम को प्रतिनिधित्व दिया था.2017 में नीतीश जब लालू का साथ छोड़कर एनडीए के साथ आए तब भी एक मुस्लिम मंत्री को शामिल किया था.


इस बार बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी 24 से घटकर 19 हो गई है. 2015 के चुनाव में 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार एआईआईएम के पांच और आरजेडी के 8 विधायक ही जीत सके हैं.इसके अलावा चार कांग्रेस से और 1-1 सीपीआई (एम) और बीएसपी से हैं. बिहार में 15 फीसदी मुस्लिम आबादी है.पिछली बार नीतीश सरकार में खुर्शीद उर्फ फिरोज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा.अब मंत्रिमंडल के विस्तार के समय ही इसमें मुस्लिम चेहरा शामिल हो सकता है. अभी भी जेडीयू में पर्याप्त संख्या में मुस्लिम पार्षद हैं.

मंत्री रहे खुर्शीद ने बिहार विधानसभा में एनडीए का विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया था.हालांकि इस चुनाव में उन्हें इसका भी कोई फायदा नहीं मिला. खुर्शीद ने बाद में इसके लिए माफी भी मांगी थी.जय श्री राम का नारा लगाने पर उनके खिलाफ इमारत-ए-शरिया ने फतवा जारी कर दिया.इसके बाद खुर्शीद ने कहा था, ‘मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं, जिन्हें तकलीफ हुई है.मैंने किसी को गाली नहीं दी.किसी ने मुझसे पूछा नहीं के मेरे दिल में क्या है?’

बिहार चुनाव में पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रचार की कमान संभाली थी.इस दौरान जय श्री राम के नारे लगवाए गए.कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के नाम पर वोट मांगे गए. इस तरह नीतीश की ऐंटीइनकंबेंसी पर ध्रुवीकरण भारी पड़ गया.बीजेपी और जेडीयू का मूल बिल्कुल अलग है. 1970 में अब्दुल गफ्फूर ने समता पार्टी बनाई थी और बाद में इसी से 1999 में जेडीयू बनी.1952 से 2020 तक सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 में चुने गए.उस साल 34 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था और तब 24 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. 2010 में 16 मुसलमान विधायक थे.


बिहार के सीमांचल और मिथिलांचल में बड़ी मुस्लिम आबादी है और राज्य के इतिहास में भी मुस्लिमों का खासा योगदान है. पटना एयरपोर्ट रोड का नाम पीर अली मार्ग है जो कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थी.तकी रहीम जयप्रकाश नारायण के दाहिने हाथ माने जाते थे.लालू प्रसाद यादव के पहले कार्यकाल के दौरान गुलाम सरवार विधानसभा अध्यक्ष थे. नीतीश की सरकार में 2017 में खुर्शीद को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. इस बार बिहार में अटल के जमाने के केवल एक नेता सुशील मोदी को भी किनारे कर दिया गया। रेणु देवी और तार किशोर को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.

इस बीच सुशील मोदी नाराज चल रहे हैं.सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि कोई नया समीकरण करने के जुगाड़ में लगे हैं.नवनिर्वाचित विधायक ग्रीन सिंग्नल के इंतजार में हैं.फिर भी बंगाल चुनाव के परिणाम तक धीरे-धीरे प्रेशर बढ़ाया जाता रहेगा.

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