नई दिल्ली/भोपाल. सेना को हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने वाली देश की 41 आयुध फैक्टरियों के करीब 82,000 असैन्य कमर्चारी गत मंगलवार से एक माह लंबी हड़ताल पर चले गये. इनमें जबलपुर की चार आयुध निर्माण फैक्टरियों के 12,000 से अधिक कर्मचारी भी शामिल हैं. ये कर्मचारी इन फैक्टरियों के निगमीकरण का विरोध कर रहे हैं. केंद्र ने हाल ही में इनके निगमीकरण का प्रस्ताव पारित किया है.
इसका विरोध कर रहे तीन मजदूर संगठनों ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लाइज (एआईडीईएफ), इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन(आईएनडीडब्ल्यूएफ) और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीएपीएमएस) का आरोप है कि सुरक्षा संस्थानों का निजीकरण करने की साजिश रच रही है. गौरतलब है कि बीपीएमएस आरएसएस के मजदूर संगठन बीएमएस से जुड़ा है.
आयुध निर्माणी बोर्ड के महानिदेशक एवं अध्यक्ष सौरभ कुमार ने यह स्वीकार किया कि तीन संगठनों ने एक माह की हड़ताल शुरू की है लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का उद्देश्य इन फैक्टरियों के रोजमर्रा के काम में लचीलापन लाना, उन्हें परिचालन की स्वतंत्रता प्रदान करना और उनकी उत्पादकता में इजाफा करना है.
उधर, आईएनडीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरुण दुबे का आरोप है कि रक्षा मंत्री सुरक्षा संस्थान के कर्मचारियों के साथ-साथ देश को भी भ्रमित कर रहे हैं. उनका कहना है कि पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन रहे इन संस्थानों को निगम बनाने के पीछे कोई ठोस दलील नहीं है. दुबे कहते हैं, "पहले इन्हें निगम बनाया जायेगा और फिर इनका निजीकरण किया जायेगा. हमें उनकी रणनीति पता है. इससे यहां के कर्मचारियों का भविष्य संकट में पड़ जायेगा. इसीलिए हम यह हड़ताल कर रहे हैं."
गौरतलब है कि जो 82,000 कर्मचारी हड़ताल पर गये हैं उनमें से करीब 44,000 ने जनवरी 2004 के बाद नौकरी शुरू की है. सरकार पेंशन पहले ही समाप्त कर चुकी है. ऐसे में निगमीकरण से उनके मन में भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गयी है. उधर, रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि आयुध फैक्टरियों के निजीकरण की बात कोरी अफवाह है. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है, बल्कि सरकार इसे रक्षा क्षेत्र का सार्वजनिक उपक्रम बनाना चाहती है जो 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाला होगा.
श्रम संगठनों की आशंका है कि सरकार निगमीकरण के बहाने रक्षा उत्पादन में 200 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड के अधीन आने वाली इन फैक्टरियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है. बोर्ड की 10 राज्यों में कुल 41 फैक्टरियां हैं. इनमें महाराष्ट्र में 10, उत्तर प्रदेश में 9, मध्य प्रदेश में 6, तमिलनाडु में 6, पश्चिम बंगाल में 4, ओडिशा, तेलंगाना, बिहार और चंडीगढ़ में एक-एक फैक्टरियां हैं.
संगठन इस बात पर सहमत हैं कि अगर सरकार निगमीकरण का निर्णय वापस नहीं लेती है तो हड़ताल जारी रहेगी. गौरतलब है कि अगर हड़ताल एक महीने चलती है तो 1,100 करोड़ रुपये के हथियारों का उत्पादन ठप हो जायेगा. इसमें 150 प्रकार के गोला-बारूद और हथियार शामिल हैं. इनमें 155 एमएम की तोप, असॉल्ट राइफल और वाहन शामिल हैं.
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