विजय शंकर सिंह
नई दिल्ली .गुरुवार 8 अगस्त, रात 8 बजे, प्रधानमंत्री जी द्वारा राष्ट्र को दिया गया संबोधन उनके हर भाषण की तरह ही उत्तम था. वे एक अच्छे वक्ता हैं. मन की बात हम तक खूबसूरती से पहुंचाते हैं. अपने भाषण में उन्होंने जम्मू कश्मीर और लदाख के विकास, वहां के युवाओं के भविष्य बदलने, उनको नए सपने संजोने और उसे पूरा करने की बात कही. जम्मू कश्मीर पुलिस को केंद्रीय पुलिस के समान सुविधाएं और सेवा लाभ देने की बात की, अन्य सुरक्षा बल तथा सेना को भी उनका मनोबल बढ़े ऐसी बातें की. पुलिस, सुरक्षा बल और सेना के शहीद हुए जवानों को याद किया. जेके, लदाख को पर्यटन के मानचित्र पर अहम स्थान दिलाने की बात की. सोलर ऊर्जा, हर्बल औषधि और जम्मू कश्मीर तथा लदाख की वनस्पतियों के विकास की बात की. ईद के दिन सब सामान्य रहेगा यह भी कहा. यह भी कहा कि जैसे पहले विधानसभा थी, विधायक थे, मंत्रिमंडल था और मुख्यमंत्री थे, वह सब जस का तस रहेगा. शांति और विकास उनकी प्राथमिकता रहेगी. पाकिस्तान की चाल कभी सफल नहीं होगी और जम्मू कश्मीर के लिये यह एक नया समय होगा.
इस सुंदर और आशा भरे व्याख्यान में कश्मीरी पंडितों के वापसी के संबंध कोई उल्लेख नहीं है. वे हो सकता हो, इस नए बदलाव से वतन वापसी की बेहतर उम्मीद लगा रखे हों, और अपना ज़िक्र न होने के कारण, थोड़े निराश भी हों. हो सकता है अगले व्याख्यान मे उनके लिये कुछ ठोस योजनाएं हों . कुछ महत्वपूर्ण केंद्रीय कानून जो जम्मू कश्मीर में लागू नहीं है, जैसे, शिक्षा का अधिकार, न्यूनतम मजदूरी कानून, एससीएसटी एक्ट, आदि अब आसानी से लागू किये जा सकेंगे.
भाषण में कुछ तथ्यात्मक भूले भी हैं जो अक्सर पीएम के भाषणों में हो जाती हैं. जैसे अनुच्छेद 370 ने देश को अलगाव वाद और आतंकवाद के रास्ते पर धकेला है. जबकि यह अनुच्छेद 370, सन 1957 से प्रभावी है और कश्मीर 1989 तक शांत था. आतंक का कारण पाकिस्तान तथा तालिबान आदि कट्टरपंथी तत्व हैं.
यह भी कहना सही नहीं है कि इस अनु को किसी सरकार ने नहीं बदला, पर सत्यता यह है कि, अब तक लगभग 47 संवैधानिक संशोधन इस अनुच्छेद में विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में किये जा चुके हैं. फिलहाल जो याद आया है वह दे दे रहा हूँ. जैसे जैसे अन्य तथ्य ज्ञात होते जाएंगे वे जुड़ते जाएंगे. अगर भविष्य में राज्य की स्थिति ठीक हुयी तो केंद्र शासित जम्मू कश्मीर को पुनः राज्य के रूप में बहाल भी किया जा सकता है. ऐसा संकेत भी उन्होंने दिया. उनका भाषण सधा हुआ था. मैंने बहुत ध्यान से सुना पर जिन कश्मीरी भाइयों औऱ बहनों के लिए यह भाषण अधिक ज़रूरी और महत्वपूर्ण था, उन्होंने इसे सुना या नहीं सुना, यह मुझे नही पता.
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