संजय कुमार सिंह
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में पहले पन्ने पर आज लगातार तीसरे दिन कर्नाटक पर कोई खबर नहीं है. ऐसा नहीं है कि कर्नाटक से संबंधित खबरें खत्म हो गई हैं या उनका महत्व कम हो गया है. दूसरे अखबारों में कर्नाटक की खबर आज भी पहले पन्ने पर है. कल भी छपी थीं पर जागरण शायद अकेला अखबार होगा जो 07 जुलाई को चार कॉलम में, संकट में कर्नाटक सरकार शीर्षक से खबर छापने के बाद 24 जुलाई तक लगभग रोज पहले पन्ने पर कर्नाटक की राजनीति के बारे में कुछ ना कुछ छाप रहा था. 24 जुलाई को पहले पन्ने पर महीने भर में 18वीं खबर थी, कर्नाटक में गिरी कुमारस्वामी की सरकार. नाटक खत्म - विश्वास मत के समर्थन में 99 और विरोध में 105 वोट पड़े.
यह सही है कि 23 जुलाई को तथाकथित नाटक खत्म हो गया. पर खेल तो जारी है. अखबार नाटक की रिपोर्टिंग नहीं करते. दैनिक जागरण भी किसी नाटक समीक्षा नहीं कर रहा था. फिर सरकार गिरने के बाद इतनी निश्चिंतता क्यों? सरकार गिरने तक पहला पन्ना और गिरने के बाद पहले पन्ने पर सन्नाटा. क्यों? आप जानते हैं कि तोड़-फोड़ और विधायकों की खरीद-फरोख्त के दम पर कर्नाटक की गैर भाजपा सरकार गिराने की कोशिश और अंततः गिरा देने के आरोप हैं. अखबार में इस पूरे मामले में क्या छपा और क्या नहीं उस पर गए बिना कहा जा सकता है कि भाजपा पर यह आरोप या केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बचाव वाला बयान शीर्षक में नहीं है.
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने कल केक काटकर खुशी मनाते कर्नाटक भाजपा नेताओं की तस्वीर छापी थी. अखबार के अंग्रेजी का शीर्षक (हिन्दी में लिखा जाए तो) यही था कि हमें (कर्नाटक मामले से) कोई लेना-देना नहीं है पर हमारे पास केक रहेगा और खाएंगे भी. (यह अंग्रेजी के एक मुहावरे पर आधारित है). परोक्ष तौर पर इसका मतलब हुआ कि गिराना स्वीकार नहीं करेंगे और गिरने पर केक खाकर खुशी मनाएंगे. दैनिक जागरण में यह और इसके साथ छपी एक अन्य खबर पहले पन्ने पर नहीं थी जबकि सरकार गिरने से संबंधित अखबार के पहले पन्ने की खबरें और शीर्षक दिलचस्प हैं.
आठ जुलाई को शीर्षक था, कर्नाटक सरकार बचाने के लिए कांग्रेस और जदएस ने झोंकी ताकत (टॉप बॉक्स, सात कॉलम). अगले दिन, मंत्रियों के इस्तीफे दिलाकर कर्नाटक सरकार बचाने की अंतिम कोशिश (चार कॉलम की लीड, दो लाइन का शीर्षक). 10 जुलाई को, कर्नाटक में कांग्रेस जदयू गबंधन के बागी विधायकों के इस्तीफों पर फंसा पेंच (तीन कॉलम की खबर). 11 जुलाई को गोवा में भी कांग्रेस की जमीन खिसकी और इसके साथ जागरण में खबर थी, कर्नाटक के दो और कांग्रेस विधायकों ने दिए इस्तीफे. 12 जुलाई को खबर थी, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा - न्यायोचित फैसला करूंगा. (अखबार ने इसे अंदरुनी संकट बताते हुए प्रशांत मिश्र की त्वरित टिप्पणी छापी थी, कर्नाटक व गोवा के लिए जिम्मेदार राहुल.)
टेलीग्राफ ने कल राहुल गांधी के ट्वीट के आधार पर खबर छापी थी और बताया था कि कर्नाटक में पार्टी के समर्थन वाली सरकार गिरने के लिए राहुल गांधी ने अंदर और बाहर की ताकतों पर उंगली उठाई है. त्वरित टिप्पणी के संदर्भ में राहुल गांधी का ट्वीट महत्वपूर्ण था पर कल दैनिक जागरण में पहले पन्ने पर कर्नाटक नहीं था. 13 जुलाई को अखबार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश, कर्नाटक में बरकरार रहे यथास्थिति और कुमार स्वामी बोले विश्वास मत हासिल करने को तैयार खबर लीड थी. अगले दिन खबर थी, कर्नाटक के पांच और बागी विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट. 15 जुलाई को अखबार के पहले पन्ने पर कर्नाटक की कोई खबर नहीं थी.
दैनिक जागरण ने मंगलवार, 16 जुलाई को छापा था, कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को होगा शक्ति परीक्षण. अगले दिन 17 जुलाई को शीर्षक था, आज बागियों पर फैसला, कल शक्ति परीक्षण. अगले दिन, बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में भाग लेने को बाध्य नहीं. 19 जुलाई को हंगामे के कारण अटका शक्ति परीक्षण, विधायक विधानसभा में धरने पर बैठे. अगले दिन शनिवार को शीर्षक था, कर्नाटक में शक्ति परीक्षण सोमवार तक टला. 21 जुलाई को कर्नाटक पर कोई खबर नहीं थी. 22 को पहले पन्ने पर छोटी सी खबर थी, आज हो सकता है कुमारस्वामी सरकार के भाग्य का फैसला. 23 को खबर थी, कर्नाटक में आधी रात तक चला सियासी नाटक.
आज दैनिक जागरण में कर्नाटक पर तो कोई खबर नहीं है लेकिन नवोदय टाइम्स में खबर है, कर्नाटक : अयोग्यता का सिलसिला शुरू. इसमें बताया गया है, कांग्रेस के बागी विधायक और एक निर्दलीय अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं. इन्हें मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया गया है. इसके साथ एक और खबर है, भाजपा नेता चर्चा के लिए शाह से मिले. दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स में भी आज कर्नाटक की यह खबर पहले पन्ने पर है. विधायकों के इस्तीफे और उसपर जल्दी कार्रवाई की मांग और नियमानुसार काम करने के स्पीकर के वादे के मद्देनजर यह सूचना महत्वपूर्ण है. फोटो साभार
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