पूजा सिंह
भोपाल. मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है. एक विधेयक पर मतदान के दौरान पार्टी के दो विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ में भरोसा जताते हए कांग्रेसनीत सरकार के पक्ष में मतदान किया और इसे अपनी घर वापसी बताया. सतना की मैहर विधानसभा सीट के विधायक नारायण त्रिपाठी और शहडोल की ब्योहारी सीट के विधायक शरद कोल दोनों पहले कांग्रेस में थे, त्रिपाठी मैहर से ही कांग्रेस के विधायक थे.
सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश में भी सरकार गिरने की आशंका बढ़ रही थी, ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले दांव चलने का निर्णय लिया. दोनों विधायक लंबे समय से उनके साथ संपर्क में थे लेकिन मौके का इंतजार किया जा रहा था.
गौरतलब है नारायण त्रिपाठी की ख्याति दलबदलू नेता की है. वह भाजपा और कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पिछले कुछ समय से वह सतना के सांसद गणेश सिंह से भी नाराज चल रहे हैं. उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि मैहर सीट पर भाजपा के कुछ नेताओं ने उन्हें हरवाने का प्रयास किया.
शरद कोल जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर शहडोल जिले के ब्यौहारी सीट से जीत दर्ज की थी, उन्होंने भी बुधवार को विधेयक पर मतदान के दौरान कमलनाथ सरकार का समर्थन किया. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. तब वह युवा कांग्रेस के नेता थे. कोल विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये. कोल को बीजेपी की संस्कृति ठीक नहीं लग रही है. उनके मुताबिक पार्टी के लोग उन्हें बाहरी समझते हैं. कोल के पिता जुगलाल कोल भी शहडोल जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं.
पत्रकारों से बात करते हुए दोनों विधायकों ने इसे अपनी घर वापसी बताया. इस बीच सूत्रों का कहना है कि कम से कम चार और भाजपा विधायक जल्द ही कांग्रेस का दामन थामेंगे. इसी बीच, बीजेपी नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा, "खेल कांग्रेस ने शुरू किया, खत्म हम करेंगे."
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments