छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बुखार

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छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बुखार

रवि भोई 
कही-सुनी  

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के बुखार की तपिश बढ़ती ही दिखाई दे रही है. कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव अभी नहीं, तो कभी नहीं की तर्ज पर मैदान में कूद पड़े हैं. चर्चा है कि टी एस सिंहदेव लगातार कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं और उनका रायपुर- अंबिकापुर आकर दिल्ली जाने का सिलसिला चल रहा है. खबर है कि सिंहदेव दक्षिण के एक नेता के जरिए हाईकमान तक अपना संदेश पहुंचा चुके हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार का चेहरा बदलता है या नहीं, यह तो गर्भ में छिपा है, लेकिन सत्ता संघर्ष लोगों को दिखाई पड़ने लगा है. सिंहदेव पर कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह के आरोप और निशाना के बाद अंबिकापुर कांग्रेस भवन का उद्घाटन सिंहदेव के करने के बाद मंत्री अमरजीत भगत द्वारा फिर फीता काटना कलह को बयां कर रहा है. भाजपा सरकार और स्व. अजीत जोगी से मोर्चा लेने में जय-वीरू की भूमिका वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का विपरीत ध्रुव होना लोगों को समझ नहीं आ रहा है. पर सत्ता ऐसी चीज है जो दोस्त को दुश्मन बना देती है और दुश्मन को दोस्त. कुछ साल पहले तक अमरजीत भगत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक दुश्मन अजीत जोगी के करीबी थे. अब वे भूपेश बघेल के हनुमान बन गए हैं. माना जा रहा है कि टी एस सिंहदेव खंदक की लड़ाई लड़ रहे हैं और लोग अनुमान लगा रहे हैं 24 अगस्त को क्या कुछ हो सकता है ? 23 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्म दिन है. 

चरणदास की चाल 

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को राज्य का सबसे वरिष्ठ के साथ राजनीतिक परिपक्व और सुलझा हुआ नेता माना जाता है. केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह और मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह तथा दिग्विजय सिंह के कैबिनेट में मंत्री रहे डॉ. महंत के पिछले दिनों चुप्पी तोड़कर ढाई साल के मुद्दे और निगम-मंडलों में नियुक्ति पर बोल के कई मायने निकाले जा रहे हैं. डॉ. महंत के बयान के अगले दिन उनके विधानसभा क्षेत्र सक्ती और उनकी सांसद पत्नी ज्योत्सना महंत के लोकसभा क्षेत्र में आने वाले मनेन्द्रगढ़ को जिला घोषित कर दिया गया. स्वतंत्रता दिवस परेड समारोह में जिलों की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ. महंत से राय -मशविरा की थी या नहीं, यह अलग बात है ? इसके बाद डॉ. महंत ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में 36 जिले होने साथ ही मुख्यमंत्री को और चार नए जिले बनाने के सुझाव की बात कर छक्का मार दिया. राज्य के विधायिका प्रमुख डॉ. महंत को प्रदेश के सबसे छोटे जिले माने जाने वाले कोरिया में झंडावंदन की जिम्मेदारी को राजनीतिक नजरिये से देखा जा रहा है. 2014 में प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार भूपेश बघेल को सौंपकर कोरबा लोकसभा चुनाव लड़ने चले गए डॉ. महंत 2018 में मुख्यमंत्री की रेस में रहे. भूपेश बघेल की कैबिनेट में मंत्री बनने की जगह उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के पद को चुना. संवैधानिक बंधनों में रहते हुए दिया गया डॉ. महंत के बयान को कई अर्थों में लिया जा रहा है.  

मुख्यमंत्री के संपादकों से मुलाकातों के मायने 

कहते हैं पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के कई संपादकों और ब्यूरो चीफ से अलग-अलग मुलाक़ात की और उनके विचार सुने. कहा जा रहा है मुख्यमंत्री ने पहली दफे संपादकों और ब्यूरो चीफ को बुलाकर अलग-अलग बात की. आमतौर पर विशेष अवसर पर  मुलाक़ात की परंपरा रही है, पर अचानक मुलाकत के कई मायने निकाले जा रहे हैं. विधानसभा के वर्षाकालीन सत्र के दौरान एक अंग्रेजी दैनिक में चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज के संबंध में छपी खबर के आधार पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पीयूष गोयल ने ट्वीट कर सरकार को घेरा था.  पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह और दूसरे भाजपा नेता भी हमलावर रहे.  

सुर्ख़ियों में कांग्रेस नेता 

पिछले दिनों भाजपा के एक प्रवक्ता ने सोशल मीडिया में एक वीडियो डाला और वीडियो के बोल का भी उल्लेख किया. कहते हैं इससे छत्तीसगढ़ के एक कांग्रेसी नेता को मिर्ची लग गई और वे अपने ऊपर कमेंट करने का हवाला देकर भाजपा प्रवक्ता के खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुँच गए. इस पर भाजपा प्रवक्ता ने भी मानहानि का दावा करने की धमकी दे डाली. सोशल मीडिया में रोजाना तरह-तरह के हजारों वीडियो डाले जाते हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं क्या सोशल मीडिया में डाला गया वीडियो कांग्रेस नेता से जुड़ा है ? उन्हें थाने जाकर सफाई देने की जरुरत क्या पड़ गई. लोग कह रहे हैं - 'चोर की दाढ़ी में तिनका.'  कहा जा रहा है  दिल्ली के एक कांग्रेस नेता के करीबी माने जाने वाले राज्य का यह नेता एक सार्वजनिक उपक्रम में पद पाने के बाद अपने दुश्मन पैदा कर लिए हैं और दिग्गजों की आँखों की किरकिरी भी बन गए हैं. लोग कयास लगा रहे हैं कि क्या पार्टी की लड़ाई सड़क पर तो नहीं आने वाली है. 

क्या प्रशासन में शांति या कछुआ चाल ? 

भूपेश सरकार ने करीब 10 माह बाद रिटायर होने वाले उमेश अग्रवाल को सदस्य बनाकर राजस्व मंडल की गाडी फिलहाल चला दी, लेकिन छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के महानिदेशक की नियुक्ति लंबित है. आईपीएस बद्रीनारायण मीणा प्रतिनियुक्ति से लौटकर पोस्टिंग के इंतजार में हैं तो एडीजी बने विवेकानंद सिन्हा को रेंज से प्रदेश में लाने का मामला अटका है. 2003 बैच के आईपीएस डीआईजी से आईजी बनने के इंतजार में हैं . मंत्रालय स्तर पर भी कुछ बदलाव की अटकलें हैं. कुछ लोग इसे प्रशासन का कछुआ चाल मान रहे हैं तो कुछ तूफान से पहले की शांति बता रहे हैं.  

मंत्री जी फैक्ट्री बंद 

कहते हैं राज्य के एक मंत्री जी विधायक रहते अपने इलाके में पाइप फैक्ट्री खोली थी. विधायक का रौब- दाब दिखाकर जल संसाधन और पीएचई विभाग में पाइप की खूब सप्लाई करवाई. अब मंत्री जी पाइप फैक्ट्री बंद कर अपने चमचों को आगे कर जमीन के धंधे में लग गए हैं. कहा जा रहा है कि चर्चित और महत्वकांक्षी मंत्री जी की फैक्ट्री में भले घास उग आई हो, पर सरकारी सुविधाओं की पाइप कटी नहीं है.  

जीएस मिश्रा की नई पारी 

रिटायर्ड आईएएस गणेश शंकर मिश्रा ने भाजपा में प्रवेश कर नई पारी शुरू कर दी है. कहते हैं जीएस मिश्रा रायपुर जिले के धरसींवा विधानसभा क्षेत्र से टिकट के इच्छुक हैं, उनका गांव इसी विधानसभा में आता है. धरसींवा से पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल के साथ भाजपा नेता व झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस के परिवार से औंकार बैस भी दावेदार बताये जाते हैं. इस कारण मिश्रा के लिए राह आसान नहीं है, दूसरा मिश्रा के खिलाफ कुछ लोग अभी से आवाज बुलंद करने लगे हैं.  धरसींवा से अभी कांग्रेस की अनिता शर्मा विधायक हैं.  

(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

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